tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post2013141112439748068..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: परिवार के सदस्यों में भेदभाव क्यों कर रहे हैं LBA के पदाधिकारीगण ?Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-80731162426589724272011-01-25T19:55:14.307+05:302011-01-25T19:55:14.307+05:30क्या विज्ञान भी वैदिक धर्म का ही एक अंग नहीं है ??...क्या विज्ञान भी वैदिक धर्म का ही एक अंग नहीं है ????????????????????????????????? shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-65537313062403976682011-01-24T20:37:54.604+05:302011-01-24T20:37:54.604+05:30हां तो फिर क्या सोचा एलबीए के पदाधिकारीगणों ने ?
क...हां तो फिर क्या सोचा एलबीए के पदाधिकारीगणों ने ?<br />क्या डा. श्याम गुप्ता जी को ब्रह्मा जी के गुण और कार्यों से संबंधित धार्मिक लेख इस साझा ब्लाग पर छापने से रोका जाएगा कि नहीं ?<br />अगर उन्हें नहीं रोका जाता है तो फिर उनके लेख पर उठने वाले सवालों को बाद में एलबीए पदाधिकारीगण कैसे रोक पाएंगे ?<br />क्या विज्ञान भी वैदिक धर्म का ही एक अंग नहीं है ?<br />क्या वैदिक विज्ञान का प्रचार करना भी वैदिक धर्म के ही एक अंग का प्रचार करना नहीं है ?<br />डा. श्याम गुप्ता जी ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि उत्पन्न किया जाना मानते हैं। सृष्टि की उत्पत्ति के इस प्रकरण में सरस्वती और कामदेव का ज़िक्र भी आएगा और उसमें अलग अलग लोगों के अलग अलग मत हैं।<br />क्या ऐसे विवादित प्रकरण को यहां उठाया जाना उचित है ?<br />मेरी समझ में तो जो भी नियम हो वह सभी पर लागू होना चाहिए और यहां किसी भी धर्म के ग्रंथ का उद्धरण देना वर्जित होना चाहिए ताकि धर्मग्रंथ के विषय में ऐसी कोई बहस का सिलसिला यहां शुरू न होने पाए जैसी बहसें मेरे ब्लाग पर अक्सर होती हैं, उदाहरणार्थ-<br />1.Mandir-Masjid मैं चाहता हूं कि अयोध्या में राम मन्दिर बने - Anwer Jamal<br /><br />2.The message of Eid-ul- adha विज्ञान के युग में कुर्बानी पर ऐतराज़ क्यों ?, अन्धविश्वासी सवालों के वैज्ञानिक जवाब !<br /><br />3.मसीह का मिशन था ‘सत्य पर गवाही देना‘ - Anwer Jamal<br /><br /> <br /><br />क्या मेरे इस सुझाव से सहमत होने में किसी को कोई संकोच है ?<br /><br /><br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/09/mandir-masjid-anwer-jamal.html" rel="nofollow">http://vedquran.blogspot.com/2010/09/mandir-masjid-anwer-jamal.html</a><br /><br /> <br /><a href="http://islamdharma.blogspot.com/2010/11/message-of-eid-ul-adha-maulana_17.html" rel="nofollow">http://islamdharma.blogspot.com/2010/11/message-of-eid-ul-adha-maulana_17.html</a><br /><br /> <br /><a href="http://vedquran.blogspot.com/2010/10/what-was-real-mission-of-christ-anwer.html" rel="nofollow">http://vedquran.blogspot.com/2010/10/what-was-real-mission-of-christ-anwer.html</a>DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-47102640707552611752011-01-23T23:28:12.745+05:302011-01-23T23:28:12.745+05:30शठे-शाठ्यं समाचरेत --उक्ति जब लागू होती है जब कोई ...शठे-शाठ्यं समाचरेत --उक्ति जब लागू होती है जब कोई अपने को पूर्ण शठ साबित करदे, आप किसी को कैसे शठ कह सकते हैं--सिर्फ़ विचार भिन्नता से?<br />--इन उक्तियों को समझना, उचित समय पर प्रयोग सभी के बश की बात नहीं है....्गहन शान्तिपूर्ण मनीषा व अन्तः की आवश्यकता होती है..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-48797550287403275502011-01-23T23:23:40.302+05:302011-01-23T23:23:40.302+05:30अस्तु-यदि आप ध्यान से देखेंगे तो हिन्दू/वैदिक धर्म...अस्तु-यदि आप ध्यान से देखेंगे तो हिन्दू/वैदिक धर्म में अवतारों का वास्तविक अभिप्रायः ही--बोधिसत्व भाव, बुद्ध भावना रही है,जो बुद्ध के जन्म से बहुत पहले ही से उपस्थित है अर्थात समय समय पर धर्म का बोध कराना---"यदा यदा हि..".आदि। अतः इस सर्वग्राही कल्चर, संस्क्रिति, धर्म, जीवन शैली को- समाज, देश, सन्स्क्रिति की भलाई हेतु बुद्ध को भी स्वीकार करने में उन्हें कोई परेशानी नही हुई। shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-15292644082556060782011-01-23T23:12:46.442+05:302011-01-23T23:12:46.442+05:30----सही बात है अनवर जी, सबाल जबाव तो ज़िन्दगी है पर...----सही बात है अनवर जी, सबाल जबाव तो ज़िन्दगी है पर इसका अर्थ तू-तडाक बिल्कुल नहीं होनी चाहिये, दुनियां में सदा से ही आस्तिक-नास्तिक दोनों साथ साथ रहते आये हैं, अतः मतभेद के साथ भाषा सन्तुलन बहुत जरूरी है।यही हिन्दू धर्म कामूल भाव आपके बुद्ध के बारे में सवाल का भी ज़बाव है।<br />---निश्चय ही भागवत से पहले दशावतार में बलराम का नाम था। ये अवतार सदा सन्ख्या में बदलते रहे हैं जो १ से लेकर २-३-४-२४-२२-९-१० माने जाते रहे है क्रमशः इतिहास व मानव प्रगति के साथ गतिमयता हेतु---- हिन्दू धर्म में कालक्रम प्रभाव व भौतिकता बढने के कारण वैदिक विग्यान/ ग्यान की कमी से कर्मकान्डों की अतिरेकता होचली थी,अतः---<br />१- बुद्ध की कर्मकान्ड विरोधी बातें सामयिक रूप से उचित थीं अतः उन्हें भागवतकार ने एक अवतार का रूप मानकर राष्ट्रीय, सामाजिक व सान्स्क्रितिक समन्वय के भारतीय स्वरूप का प्रतिपादन किया। <br />२- क्योंकि उनका दर्शन अनीश्वरवादी था अतः उन्हें रिणात्मक अवतार ( वास्तव में स्पष्टतः कहीं उन्हे पाप अवतार नहीं कहा गया है)।<br />३- भागवत धर्म की एक शाखा क्र्ष्ण को ्पूर्ण भगवान मानकर सिर्फ़ ९ अवतार ही मानती थी, अतः कहीं बलराम+=१०, कहीं बाद में बुद्ध+= १० कहीं क्रष्ण+बुद्ध= १० माना जाने लगा ।<br />४-वास्तव में भागवतकार ने अत्यन्त चतुरता का परिचय दिया, विद्रोही को अपना बनालो, विद्रोह समाप्त---बुद्ध धर्म के प्रभाव को कम करने व बुद्ध-दर्शन से भारतीय-वैदिक धर्म की शुद्धि्करण करने हेतु बुद्ध को भगवान की अपेक्षा विष्णु का अवतार स्वीक्रति से बौद्ध धर्म का फ़ैलाव ( महत्व) कम हुआ।<br />----वास्तव में बौद्ध लोगों ने उन्हें कभी भी विष्णु अवतार स्वीकार नहीं किया.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-67075898835147466122011-01-23T22:53:02.578+05:302011-01-23T22:53:02.578+05:30@@@@भाई अनवरहम भी आपको बुद्धिमान समझते थे, लेकिन आ...@@@@भाई अनवरहम भी आपको बुद्धिमान समझते थे, लेकिन आपने वह कहावत यतार्थ चित्रण कर भैंस के आगे बीन बजावे भैंस खड़ी पगुराअ ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-7790288236468445362011-01-23T22:52:46.728+05:302011-01-23T22:52:46.728+05:30चर्चाशाली मंच में आपका स्वागत है
@ हरीश जी ! मुझे ...<b>चर्चाशाली मंच में आपका स्वागत है</b><br />@ हरीश जी ! मुझे आप जो समझते थे वह मैं नहीं हूँ । बल्कि मैं वह हूँ जो कि मेरे व्यवहार से सिद्ध हो रहा है। <br />शठे शाठ्यं समाचरेत्<br />की नीति का प्रतिपादन विद्वानों ने ऐसे ही अवसर के लिए किया है।<br />जो अपने लिए सम्मान चाहता हो उसे दूसरों की भावनाओं को आदर देने की आदत भी बना लेनी चाहिए।<br />काजल जी को मेरा लगाया यह एक टीका उन्हें पूरे जीवन अपमान से बचाएगा। उनका हित इसी में था । दूसरे की पीड़ा को आदमी तभी जानता है जब कि उसी पीड़ा को वह खुद भोगे। <br />आपके पास धर्म नहीं है इसीलिए आपको धर्म से प्यार भी नहीं है । कोई धर्म को वाहियात बताता रहता है और आप सुनते रहते हैं लेकिन अगर काजल जी आपकी माँ को वाहियात बताते तो आपको यक़ीनी तौर पर ग़ुस्सा आ जाता क्योंकि आपको अपनी माँ से प्यार है । आप अपनी मां का अपमान होते नहीं देख सकते और मैं धर्म और धार्मिक जनों का। <br />सही-ग़लत का शऊर जो आज लोगों को हासिल है वह धर्म पर चलने वाले हमारे धार्मिक पूर्वजों की ही वजह से तो है। हमारे लिए वे अपने माँ बाप से भी बढ़कर हैं ।<br />काजल जी में शिष्टाचार की समझ होगी तो वे माफ़ी मांग लेंगे।<br /><a href="http://charchamanch.blogspot.com" rel="nofollow">चर्चाशाली मंच</a><br />में आपका स्वागत है और काजल कुमार जी का भी ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-61863131152790858252011-01-23T20:04:49.139+05:302011-01-23T20:04:49.139+05:30अनवर भाई हम तो आपको बुद्धिमान समझते थे किन्तु आप त...अनवर भाई हम तो आपको बुद्धिमान समझते थे किन्तु आप तो तू-तड़ाक की भाषा इस्तेमाल करने लगे. काजल कुमार के साथ ऐसा व्यव्हार उचित नहीं है, कृपया भाषा पर संतुलन बनाये रखे यदि आपको किसी बात पर एतराज़ है तो उसे व्यक्त करने के लिए ऐसी भाषा का प्रयोग करे जो आपके व्यक्तित्व को को प्रस्तुत करे. और हमें किसी की बात पर कोई एतराज़ नहीं है. आप बड़े भाई है जो आपको शोभा दे वह करे.हरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-64914336267265644092011-01-23T16:49:34.320+05:302011-01-23T16:49:34.320+05:30@ काजल कुमार ! जिस पानी से आपका शरीर बना है , उस प...@ काजल कुमार ! जिस पानी से आपका शरीर बना है , उस पानी की हक़ीक़त भी आपकी समझ में न आए तो वह भी आपको अपनी सोच की तरह ही वाहियात नज़र आएगा , अक़्ल से पैदल कहीं के , मुंह फाड़ देते हैं बस , बोलने की तमीज़ नहीं है। <br />कार्टून बनाते बनाते तेरी हिम्मत हो कैसे गई धर्म का मख़ौल उड़ाने की ?<br />दुबे जी और गुप्ता जी से बात हो रही है ,तू बीच में टपका कैसे ?<br /> <br />@ हरीश जी ! जब पोस्ट लेखक को कोई ऐतराज नहीं है हमारे सवाल पूछने पर बल्कि वह चाहते हैं कि उनसे सवाल पूछे जाएँ तो आपको क्या ऐतराज है भाई ?<br />जो सवाल आपसे पूछा है उसका जवाब आपने अभी तक क्यों नहीं दिया है ? <br />@ गुप्ता जी ! आपने भी नहीं बताया कि भागवत में महात्मा बुद्ध को विष्णु जी का पापवतार क्यों बताया गया है ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-49962709887989228102011-01-23T16:42:20.791+05:302011-01-23T16:42:20.791+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-60548771674350853262011-01-23T15:25:52.502+05:302011-01-23T15:25:52.502+05:30मुझे तो समझ ही नहीं आता कि आखिर धरम जैसी वाहियात च...मुझे तो समझ ही नहीं आता कि आखिर धरम जैसी वाहियात चीज़ पर लिखा ही क्यों जाता है...Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-2178988327196481092011-01-23T12:51:01.958+05:302011-01-23T12:51:01.958+05:30sawalo aur jababo se hi hi jindgi bitayenge janabsawalo aur jababo se hi hi jindgi bitayenge janabहरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-6853688057504078502011-01-23T12:43:47.575+05:302011-01-23T12:43:47.575+05:30@ भाई मिथिलेश जी ! क्या आप डा. श्याम जी के वक्तव्य...@ भाई मिथिलेश जी ! क्या आप डा. श्याम जी के वक्तव्य से सहमत हैं ?<br />फिर सवाल जवाब शुरू हो जाएं तो ऐतराज़ करने मत आईयेगा बाद में ।<br />अभी अपना मत स्पष्ट कर दीजिए ।DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-86423776860717538152011-01-23T10:45:49.847+05:302011-01-23T10:45:49.847+05:30--अस्तु--मुझे भी मलाल है कि अभी तक किसी ने इस विषय...--अस्तु--मुझे भी मलाल है कि अभी तक किसी ने इस विषय पर सवाल क्यों नहीं किये( क्या लोग इतने मगशूल हैं अपने दैनिक नित्यकर्मों में), मैं तो टिप्पणियों-सवाल-ज़बाव का इन्तज़ार कर रहा हूं.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-74872030176136290672011-01-23T10:41:36.804+05:302011-01-23T10:41:36.804+05:30अनवर जी, अयाज़ जी---मेरी पोस्ट--दुनिया के सबसे पहले...अनवर जी, अयाज़ जी---मेरी पोस्ट--दुनिया के सबसे पहले व अब तक अनुत्तरित प्रश्न----श्रिष्टि-रचना पर है जो एक वैग्यानिक विषय है एवं दर्शन व आधुनिक विग्यान के मतों के तारतम्य के साथ मानव-सदाचरण के मूल व अत्यावश्यक भाव को केन्द्र में रखा गया है-- जो मेरी अपनी पुस्तक श्रिष्टि महाकाव्य में वर्णित है---को लिखा जारहा है। आप लोग भी श्रिष्टि -रचना के अपने -कुरानिक व बाइबल दर्शन के अनुसार लिख सकते हैं व लिखना ही चाहिये--यह कोई धार्मिक क्रित्य नहीं है, न होगा.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-38297195630739606872011-01-23T10:08:03.475+05:302011-01-23T10:08:03.475+05:30@ श्याम जी ! डा. अनवर जमाल साहब की बात पर एतराज़ जत...@ श्याम जी ! डा. अनवर जमाल साहब की बात पर एतराज़ जताकर इस सारे बखेड़े की शुरूआत करने वाले आप ही तो हैं जबकि किसी भी मुसलमान ने आपकी पुराण संबंधी पोस्ट पर आज तक कोई सवाल नहीं किया ?<br />मुसलमानों की इस उदारता और सभ्यता के बावजूद आप इस्लाम को रिजिड मत बताते हैं ?<br />शर्म नहीं आती आपको इस्लाम को बदनाम करते हुए ?<br />Shame on you . <br />अब पूछे गये सवालों के जवाब दीजिए।<br />और अपनी पौराणिक मान्यताओं पर भी ऐतराज़ और सवाल ग्रहण करने के लिए तैयार रहिए ।<br />आप विद्वान होंगे तो जवाब देकर उनका निराकरण भी कर देंगे । <br />है न ?Ayaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-42635390320519082772011-01-23T10:03:09.286+05:302011-01-23T10:03:09.286+05:30@ मिथिलेश जी ! आप पहले पोस्ट पढ़ लिया कीजिए । आपसे ...@ मिथिलेश जी ! आप पहले पोस्ट पढ़ लिया कीजिए । आपसे सवाल डा. श्याम जी के धर्मप्रचार अभियान के बारे में पूछा जा रहा है । उनकी किसी पोस्ट पर अपना ऐतराज़ या परामर्श दिखाएं वर्ना मान लीजिए अपने पक्षपात को।Ayaz ahmadhttps://www.blogger.com/profile/09126296717424072173noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-1097378281267413722011-01-23T09:24:13.226+05:302011-01-23T09:24:13.226+05:30जनाब अहमद जी पहले कमेंट देख लिया करिए तब कुछ उसके ...जनाब अहमद जी पहले कमेंट देख लिया करिए तब कुछ उसके विषय में लिखा करिए, मैंने हरीश जी के पोस्ट पर भी वहीं कमेंट किया तो जो अनवर जमाल जी के पोस्ट पर किया था , मैंने दोनों से कहा था कि कृपया धर्म से संबधित अपने ब्लोग पर लिखे ना कि सामुहिक ब्लोग पर । कृपया एल बी ए के ब्लोग सदस्यों में फूट डालने की कोशिश ना करिए ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.com