tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post2936260460474277268..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: Bezaban: महिलाओं को दैहिक स्तर पर देखने की मानसिकता और महिल...Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-3724687669120867522011-07-27T17:59:20.870+05:302011-07-27T17:59:20.870+05:30हम आधुनिक होने की होड़ में या फिर अपनी बेटियों को ...हम आधुनिक होने की होड़ में या फिर अपनी बेटियों को अखबारों की सुर्ख़ियों में देखने के लिए ऐसे विज्ञापनों , ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए अनुमति देते हैं. मैं इस बात से सहमत हूँ कि इसमें माँ का सहयोग अधिक होता है. ये कुछ प्रतिशत ही सही लेकिन देखने वालों की मानसिकता पर जो प्रभाव पड़ रहा है कि पुरुष वर्ग इसके लिए न उम्र का लिहाज करता है और न ही रिश्तों का. अखबार किसी भी दिन ऐसी घटनाओं से वंचित नहीं होता. सबसे बड़ी विडम्बना तो यह है कि कभी कभी महिला डॉक्टर पीडिता को या इस कार्य में मृतका को घोषित कर देती हैं कि यह दुष्कर्म से नहीं और किसी कारण सेमरी है. तब हमें अपने पर शर्म आती है कि क्या इस जगह इनकी अपनी बेटी होती तो ये यही कहती.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-66265235284488488522011-07-27T13:51:16.186+05:302011-07-27T13:51:16.186+05:30सही है...सही है...वीना श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09586067958061417939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-17164979276029545952011-07-27T12:00:52.637+05:302011-07-27T12:00:52.637+05:30ya to sahi haiya to sahi haividhyahttps://www.blogger.com/profile/04419215415611575274noreply@blogger.com