tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post3506548646258848165..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: बदल जाएगा मदरसों का मुगलिया पाठ्यक्रम !Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-2278160529397154462010-08-14T13:35:46.089+05:302010-08-14T13:35:46.089+05:30दूरदर्शी कदम है,नये ग्यान का प्रकाश सभी को मिलना च...दूरदर्शी कदम है,नये ग्यान का प्रकाश सभी को मिलना चाहिये,आज भारत में शायद ही कोई शिक्षा संस्थान हो जहां सिर्फ़ धार्मिक/ पन्थिक शिक्षा दी जाती हो। shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-24229042633718095692010-08-13T10:33:23.346+05:302010-08-13T10:33:23.346+05:30सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् भारतवर्ष...सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के पश्चात् भारतवर्ष से मुस्लिम हुकुमत खत्म हो गई एवं उलेमाओं को यह डर सताने लगा कि अंग्रेजों के प्रभाव एवं नई शिक्षा प्रणाली के कारण साधारण मुसलमानों में इस्लाम का प्रभाव कम हो जायेगा। अत: उन्होंने 1866 में देवबंद में दारुल उलूम की नींव डाली। उसके पश्चात् लखनऊ में नदावत-अल-उलेमा नाम का एक और मदरसा प्रारंभ हुआ। उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त में देवबंद का दारुल उलूम एवं लखनऊ के फिरंगी महल तथा नदावत-उल-उलेमा इस्लामी शिक्षा एवं अरबी-फारसी परम्पराओं के प्रमुख केंद्र बन गये। ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति अत्यंत वफादार एक अन्य मुस्लिम विद्वान सर सैयद अहमद खान ने 1873 में अलीगढ़ में मदसरातुल उलूम प्रारंभ किया जो बाद में मोहमडन एंग्लो ओरियंटल कॉलेज एवं तत्पश्चात् अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय बन गया। सर सैयद अहमद खान का मुसलमानों की शिक्षा के विषय में देवबंदियों से विपरीत विचार था। सर सैयद मुसलमानों की शिक्षा को केवल कुरान, हदीस एवं अरबी भाषा तक सीमित नहीं रखना चाहते थे। उन्होंने अलीगढ़ विश्वद्यिालय के पाठ्यक्रम में समस्त आधुनिक पाठ्यक्रमों को सम्मिलित कराया किन्तु एक बिन्दु पर ये दोनों समान विचार रखते थे एवं वह है मुसलमानों की अलग पहचान। यह विचार ही आगे चलकर द्विराष्ट्र के सिद्घांत का जनक बना जिसकी परिणति देश के विभाजन के रूप में हुई।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-13548546906259862002010-08-13T10:33:08.253+05:302010-08-13T10:33:08.253+05:30मदरसे का इतिहास
मदरसा अरबी भाषा का शब्द है एवं ...मदरसे का इतिहास<br /><br /> मदरसा अरबी भाषा का शब्द है एवं इसका अर्थ है शिक्षा का स्थान। इस्लाम धर्म एवं दर्शन की उच्च शिक्षा देने वाली शिक्षण संस्थाएं भी मदरसा ही कहलाती है। वास्तव में मदरसों को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता है। प्राथमिक शिक्षा देने वाले मदरसों को मक़तब कहते है। यहाँ इस्लाम धर्म का प्रारंभिक ज्ञान कराया जाता है। मध्यम श्रेणी के मदरसों में अरबी भाषा में कुरान एवं इसकी व्याख्या, हदीस इत्यादि पढ़ाई जाती है। इससे भी आगे उच्च श्रेणी के मदरसे होते हैं जिन्हें मदरसा आलिया भी कहते हैं। इनके अध्ययन का स्तर बी.ए. तथा एम.ए. के स्तर का होता है। इनमें अरबी भाषा का साहित्य, इस्लामी दर्शन, यूनानी विज्ञान इत्यादि विषयों का अध्ययन होता है। इन उच्च शिक्षा संस्थानों का पाठ्यक्रम दार्से-निजामी कहलाता है। इसे मुल्ला निजामी नाम के विद्वान ने अठारहवीं शताब्दी में बनाया था एवं ये आज भी वैसा ही चल रहा है। उदारवादी एवं कट्टरपंथी मुसलमानों में इस मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है कि क्या इस पाठ्यक्रम को ज्यों का त्यों जारी रखा जाये या परिर्वितत कर दिया जाये।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-76919394907018180762010-08-13T10:32:57.259+05:302010-08-13T10:32:57.259+05:30पश्चिम बंगाल में अब अंग्रेजी माध्यम मदरसे
पश्चिम ब...पश्चिम बंगाल में अब अंग्रेजी माध्यम मदरसे<br />पश्चिम बंगाल के मदरसों में जल्द ही शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी कर दिया जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री अब्दुस सत्तार ने कहा है कि इसी शैक्षिक सत्र ( सत्र २००९ ) में दस मदरसों में शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी कर दिया जाएगा. आने वाले कुछ वर्षों में बाकी के 566 मदरसों में इसे लागू किया जाएगा। इन मदरसों में 70 इसी वर्ष से शुरू किए गए हैं जिनमें 34 सिर्फ़ लड़कियों के लिए हैं। यह बात उन्होंने बीबीसी के संवाददाता सुबीर भौमिक से बातचीत में पिछले साल ( शुक्रवार, अक्तूबर 16, 2009 ) कही थी।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-70925300390427421442010-08-13T10:32:44.136+05:302010-08-13T10:32:44.136+05:30उत्तरप्रदेश ने मदरसों के मुगलकालीन पाठ्यक्रम को अल...उत्तरप्रदेश ने मदरसों के मुगलकालीन पाठ्यक्रम को अलविदा कहा<br />उत्तर प्रदेश के मदरसे अब कुरआन हदीस और दीगर इस्लामी शिक्षा तक सीमित नहीं रहेंगे। उत्तर प्रदेश अरबी फारसी मदरसा बोर्ड ने दीनी मकतबों के पाठ्यक्रमों को पुनरीक्षण कर संशोधित पाठ्यक्रम लागू करने का फैसला किया है। नये मदरसों में अध्ययनरत छात्र माध्यमिक (आलिया) एवं उच्च शिक्षा (उच्चतर आलिया) स्तर पर सामान्य हिन्दी, अंग्रेजी, कम्प्यूटर, भूगोल, सामाजिक विज्ञान एवं टाइपिंग सहित आधुनिक विषयों का अनिवार्य रूप से अध्ययन करेंगे। शासन ने प्रदेश के लगभग तीन हजार से अधिक मदरसों के लिए संशोधित पाठ्यक्रमों की सूची जारी कर दी है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-60912940286052187602010-08-13T10:32:28.358+05:302010-08-13T10:32:28.358+05:30हाल ही में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हु...हाल ही में आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हुई बैठक में बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने कहा कि मदरसों में सरकारी हस्तेक्षेप कुबूल नहीं किया जाएगा। दरअसल मौलाना का ये रूख इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्रीय सरकार मदरसों के लिए केंद्रीय मदरसा बोर्ड बनाने की तैयारी में है। मौलाना ने कहा कि केंद्रीय मदरसा बोर्ड के प्रस्ताव को हम दोनों शैक्षिक संस्थाओं के लिए हानिकारक मानते हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों के जरिए इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। इस वजह से उसमें हम किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं चाहते। आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने प्रस्तावित सांप्रदायिक हिंसा विरोधी बिल पर असहमति जताई है। बोर्ड के प्रवक्ता अब्र्दुरहीम कुरैशी ने कहा कि प्रस्तावित बिल में पीडित लोगों में पीडित लोगों के लिए राहत और फिर से बात नहीं की गई है। पुलिस अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाती है और ऐसे में दंगे के दौरान बेकसूर लोग फंसते है। उन्होंने ये भी कहा कि लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन केंद्र सरकार के बारे में कुछ नहीं कहा गया है जिस पर बोर्ड को सख्त ऐतराज है। जिन लोगों को अयोध्या विध्वंस के लिए जिम्मेदार माना गया है उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-33029056590424191552010-08-13T10:32:02.535+05:302010-08-13T10:32:02.535+05:30अब उत्तर प्रदेश सरकार ने जहां नया पाठ्यक्रम नए सत्...अब उत्तर प्रदेश सरकार ने जहां नया पाठ्यक्रम नए सत्र से लागू करने का फैसला किया है वहीं पश्चिम बंगाल की वाममोर्चा सरकार ने मदरसों की पढ़ाई को आज की जरूरतों के हिसाब से बदलना तय किया है।और भी राज्यों के मदरसों में तकनीकी शिक्षा की पहल की जा रही है। भारत सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए एक क़ानून बनाने का प्रस्ताव रखा है जिसका उद्देश्य पाठ्यक्रम और पढ़ाई की व्यवस्था को बेहतर बनाना बताया जा रहा है। सरकार मदरसों को सीबीएसई की तरह केंद्रीय मदरसा बोर्ड के तहत लाने के लिए एक क़ानून पारित करना चाहती है। सरकार का कहना है कि इससे मदरसों की पढ़ाई को आधुनिक और उपयोगी बनाया जा सकेगा ।<br />प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सहित कई लोग इस नए क़ानून की पुरज़ोर हिमायत कर रहे हैं, वहीं इसका विरोध करने वाले भी हैं मगर कुछ मुसलमान धार्मिक नेताओं का कहना है कि धार्मिक अध्ययन के केंद्र मदरसों के कामकाज में सरकारी हस्तक्षेप अनुचित है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-44756749434532532862010-08-13T10:31:46.758+05:302010-08-13T10:31:46.758+05:30मदरसों को बदलने की कोशिश की जा रही है। मदरसे काफी ...मदरसों को बदलने की कोशिश की जा रही है। मदरसे काफी पुराने पाठ्यक्रम और इस्लामी शिक्षा पद्धति पर ही चल रहे थे।पिछले कुछ समय से मदरसों की भूमिका को लेकर लगातार बहस होती रही है, मदरसों पर चरमपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। पाकिस्तान की लाल मस्जिद के मदरसे के छात्रों और सैनिकों के बीच टकराव के बाद यह बहस एक बार फिर तेज़ हुई। मालूम हो कि राजेंद्र सच्चर कमिटी ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मुसलमान आधुनिक शिक्षा के अवसरों से वंचित हैं।Anonymousnoreply@blogger.com