tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post5162550879194981599..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: कालीन नगरी में ईसाई मिशनरी का फैलता जालSaleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-7879412171994780142010-12-22T14:19:56.804+05:302010-12-22T14:19:56.804+05:30अच्छी जानकारी के लिए आभार , इसके लिए कहीं-न कहीं ह...अच्छी जानकारी के लिए आभार , इसके लिए कहीं-न कहीं हम ही जिम्मेदार है , आभार आपका ।Mithilesh dubeyhttps://www.blogger.com/profile/14946039933092627903noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-12886027473762072202010-12-20T23:20:15.282+05:302010-12-20T23:20:15.282+05:30गुप्ता जी, निःसंदेह मध्यकाल में ही हमारे समाज में ...गुप्ता जी, निःसंदेह मध्यकाल में ही हमारे समाज में भ्रान्तिया फैलाई गयी, दलित व कुत्ते के बारे में मैंने जो लिखा है वह मेरा अनुभव है, बचपन में मैंने ऐसी घटनाये देखी है, किन्तु अधिक नहीं जितना मैंने पढ़ा है अपने अल्पज्ञान के तहत शंका समाधान के लिए कुछ प्रश्न पूछना चाहता हू............<br /><br />१. यदि किसी शुद्र के कान में वेद का एक वाक्य पड़ जाय तो उसमे पिघला शीशा डाल देना चाहिए क्यों?<br /><br />२. ब्रह्मण किसी भी जाति की लड़की से शादी कर सकता है. किन्तु कोई अन्य छोटी जाति का व्यक्ति ब्रह्मणि से शादी करे तो उसे अपना लिंग पकड़कर तब तक नैरीत्य दिशा की और जाना चाहिए जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती क्यों?<br /><br />३. यदि शुद्र किसी ब्रह्मण को धर्म का उपदेश दे तो उसे तीन बार जलती अग्नि में सिर के बल फेकना चाहिए क्यों?<br /><br /><br /><br />यह किन परिस्तिथियों में लिखा गया और उसका कारण क्या है, शायद आप मुझे बेहतर समझा सके किन्तु इन्ही बातों का फायदा उठाया जा रहा है. और हिन्दू धर्म के ठेकेदार लोंगो को सही मार्ग न दिखलाकर सिर्फ राजनितिक रोटी सेंकने में लगे हैं.हरीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/13441444936361066354noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-14225083352328462982010-12-20T19:48:28.858+05:302010-12-20T19:48:28.858+05:30----वेदों व अन्य हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहीं भी...----वेदों व अन्य हिन्दू धर्म शास्त्रों में कहीं भी एसी बात नही लिखी है कि जो कुत्ता व दलित वर्ग के बारे में आप ने कहा है---बाल्मीकि व अन्य तमाम महर्षि लोग शूद्र वर्ण के थे( दलित नाम कहीं नहीं है)...शूद्र से कर्म व विद्या द्वारा लोग ब्राह्मण व क्षत्रिय बन जाते थे.... हां निश्चय ही पश्च-मध्य काल में , मुस्लिम व अन्ग्रेज़ो के काल में ये बुराइयां, जमीदारी व अक्रिय राजे महाराजों के काल में- ,वैदिकग्रन्थ व ग्यान नष्ट व लुप्त होने से , समाज में फ़ैलीं --जिसका लाभ मिशनरियों ने( ब्रिटिश व भारतीय अन्ग्रेज़ी सरकार के उत्साहवर्धन द्वारा) उठाया व उठाते रहे है ...आज भारत सरकार की कमजोरियों का लाभ उठाया जारहा है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-28385076895991351432010-12-20T18:17:53.274+05:302010-12-20T18:17:53.274+05:30सभी लोगों इस पर विचार करना चाहिए
बेहतरीन लेखसभी लोगों इस पर विचार करना चाहिए <br />बेहतरीन लेखTausif Hindustanihttps://www.blogger.com/profile/13794797683013534839noreply@blogger.com