tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post5473314642416261153..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: कुछ कहने से पहले सोचते क्यों नहीं जनाब. क्यों विवादों में जी रहे हैं. ह्रदय परिवर्तन करिए.Saleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-23180558113367870822011-01-23T23:52:00.949+05:302011-01-23T23:52:00.949+05:30वाह भाई, डेस्ट्रोयर भी और वो भी झूठ्के..क्या बात ह...वाह भाई, डेस्ट्रोयर भी और वो भी झूठ्के..क्या बात है...क्या बात कही है...मान गये... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-35163907990198538852011-01-23T21:46:50.464+05:302011-01-23T21:46:50.464+05:30अनवर जमाल,
" सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु...अनवर जमाल,<br /><br />" सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया" <br />और गीता ही क्या मुझे तो यह चारों वेदों , १८ पुराणों , १०८ उपनिषदों में भी कहीं नहीं मिला . रामायण - महाभारत में भी यह सूत्र नहीं है और किसी भी स्मृति में नहीं है . ज़रूर मेरी नज़र से चूक हुई होगी . अब अगर आप मुझ से ज़्यादा जानकार हैं तो कृपया बताएं कि इतनी महान शिक्षा जो मैं अक्सर अपने हिन्दू भाईयों के मुंह से सुनता रहता हूँ , वह आखिर है कौन से ग्रन्थ में ?<br /><br />यही प्रश्न है तुम्हारा?<br /><br />जब तुम मानते हो यह अच्छी महान शिक्षा है, तो अपनाओं न, अच्छी बात तो बस ग्रहण करनी चाहिए।<br />कहां है? किस ग्रंथ में है? क्या करना है तुम्हें?<br />अपने ज्ञानीपने का ढोंग रहने दो और गुण कहीं भी मिले स्वीकार करो।<br />अच्छी बातों में भी अडंगे से बाज़ नहीं आओगे।<br />इसीलिये तुम्हें और अयाज़ को रोका जाता है।Lies Destroyerhttps://www.blogger.com/profile/10258414691048545967noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-78751827094962753902011-01-23T17:17:46.698+05:302011-01-23T17:17:46.698+05:30@ हरीश जी ! इस साझा ब्लाग पर किसी को भी धर्मग्रंथो...@ हरीश जी ! इस साझा ब्लाग पर किसी को भी धर्मग्रंथों को प्रमाण के रूप में पेश करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए वरना जो उसके मत से असहमत है वह सवाल ज़रूर उठाएगा और तब जवाब दिया जाना चाहिए ।<br />अगर आपके पास तार्किक उत्तर नहीं हैं तो फिर पुराणों को विज्ञान का स्रोत बताकर भ्रम न फैलाया जाए ।<br />सभी धर्म न तो एक ईश्वर की पूजा करना बताते हैं और न ही वे सब के सब मानव जाति के लिए समान रूप से कल्याणकारी हैं ।<br />धर्म के नाम से जाने जा रहे कितने ही दर्शन तो ईश्वर का वजूद ही नहीं मानते !<br />पता नहीं आपने कहाँ पढ़ लिया कि सभी धर्म एक ही ईश्वर की पूजा करना बताते हैं ?<br />सही बात आपको बताई जाती है तो इसे आप शास्त्रार्थ कहने के बजाय विवाद करना समझकर अल्पबुद्धि का परिचय क्यों देते हैं बार बार ?<br />@ हरीश जी ! जब पोस्ट लेखक डा. श्याम गुप्ता जी को कोई ऐतराज नहीं है हमारे द्वारा सवाल पूछने पर बल्कि वह चाहते हैं कि उनसे सवाल पूछे जाएँ तो आपको क्या ऐतराज है भाई ?<br />जो सवाल आपसे पूछा है उसका जवाब आपने अभी तक क्यों नहीं दिया है ? <br />@ गुप्ता जी ! आपने भी नहीं बताया कि भागवत में महात्मा बुद्ध को विष्णु जी का पापवतार क्यों बताया गया है ?DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.com