tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post8916038207566226425..comments2023-10-29T18:16:26.466+05:30Comments on <center>Lucknow Bloggers' Association लख़नऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन</center>: बागों का शहर लखनऊ और चन्द्रभूषण तिवारीSaleem Khanhttp://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-57152972739661286462011-09-24T21:09:47.690+05:302011-09-24T21:09:47.690+05:30--ये पेड़ लगाने से क्या होगा....तिवारी जी जहां जहाँ...--ये पेड़ लगाने से क्या होगा....तिवारी जी जहां जहाँ एक तरफ से पेड़ लगाते जाते हैं दूसरी ओर से वे पेड़ नष्ट होते जाते हैं ...कोई उनकी देखभाल नहीं करता...एक स्थान से लगे हुए पेड़ नष्ट और होजाते हैं ....हमने देखा है ..उसी स्थान पर बार बार वही पेड़ लगा दिए जाते हैं....<br />----हाँ लगाने वाला अपना नाम अवश्य कर लेता है..<br /><br />--हर व्यक्ति सिर्फ एक पेड़ लगाए व उसे पाले-पोषे तो अधिक अच्छा होगा ..बजाय दिखावट के लिए १ लाख पेड़ लगाना ... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-554106341036687061.post-88073763447148983742011-09-24T21:05:28.898+05:302011-09-24T21:05:28.898+05:30"पशु-पक्षी भोजन करने के पश्चात् न तो भोजन की ..."पशु-पक्षी भोजन करने के पश्चात् न तो भोजन की इच्छा रखेंगे और हिंसक होने के बावजूद किसी जीव का शिकार नहीं करेंगे। किन्तु मनुष्य पेट भरने के बाद भी हिंसक हो जाता है। पशु का आचरण निश्चित है, मनुष्य का आचरण अनिश्चित है। पढ़े-लिखे लोगों की वजह से संकट ज्यादा है। अनपढ़ लोग प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम करते हैं। "---<br />---तो प्रश्न उठता है कि प्रकृति/ ईश्वर ने मनुष्य को जानवरों से विकास करके क्यों बनाया .....तो हम जानवर ही क्यों न बने रहें ...और फिर हम क्यों पढ़ें व लिखें ?? shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.com