-माननीय दिल्ली हाई कोर्ट
माननीय उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायधीश ए.पी शाह की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ ने माननीय उच्चतम न्यायलय की याचिका को ख़ारिज कर दिया। सवाल यह था कि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचनाएं प्राप्त करने का अधिकार जनता को न्यायपालिका से है या नहीं, यह विवाद काफी दिन से चल रहा था। चीफ जस्टिस ऑफ़ इंडिया का कहना था कि उनका पद सूचना अधिकार अधिनियम के तहत नहीं आता है । जिसको लेकर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली उच्च न्यायलय में एक याचिका दाखिल की थी । दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट की याचिका को ख़ारिज कर दिया जिसपर माननीय उच्चतम न्यायलय ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का निश्चय किया है ।
जब माननीय उच्चतम न्यायलय इस तरह के कार्य करेगा तो उसकी गरिमा निश्चित रूप से गिरेगी जनता को न्यायधीशों को उनके पद पे रहते हुए उनके द्वारा अर्जित संपत्ति का ब्यौरा जानने का अधिकार है क्योंकि चाहे कर्नाटक के मुख्य न्यायधीश दिनकरण का मामला हो या अन्य न्यायधीशों के भ्रष्टाचार का सवाल हो आज न्यायमुर्तियो के आचरण के सम्बन्ध में अंगुलियाँ उठ रही हैं ऐसे समय में माननीय उच्चतम न्यायलय का व्यवहार समझ में नहीं आता है। संविधानिक पदों पर बैठे हुए लोग अगर आपस में मुक़दमेबाजी करते रहेंगे तो इस देश का क्या होगा लेकिन दिल्ली उच्च न्यायलय ने अपना एतिहासिक फैसला देकर उम्मीद की नयी किरण भी जगाई है।
सुमन
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main apki baat se bilkul sahmat hun . mera to manana hai ki angrejon ke jamane se chale a rhe aise kai niymon me sudhar ki jarurt he