Request as a order बहन फ़िरदौस की ख़ातिर भाई एजाज़ इदरीसी से एक पठानी विनती
आंसुओं की शमशीरों से ये जंग न जीती जाएगी
लफ़्ज़ ए मुजाहिद लिखना होगा झंडों पर दस्तारों पर
शब्दार्थ - अश्क - आंसू , शमशीर - तलवार ,
मुजाहिद - सत्य के लिए जानतोड़ संघर्ष करने वाला , दस्तार - पगड़ी
भाई एजाज़ साहब के लिए एक फ़रमान बशक्ले इल्तेजा यह है कि आइन्दा आप बहन फ़िरदौस के बारे में ख़ामोशी इख्तियार करें या फिर उनका तज़्करा ख़ैर के साथ करें । उनके साथ गुफ़्त ओ शुनीद के लिए हम लखनवी अख्लाक़ से मुज़य्यन जनाब सलीम ख़ान साहब को काफ़ी समझते हैं । कोई भी एजाज़ लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी और हमारी मुश्तरका इज़्ज़त को मजरूह करने का मजाज़ हरगिज़ हरगिज़ नहीं है ।