Behaviour, Blogvani यह पोस्ट भी एक अच्छी और यादगार पोस्ट रही। ब्लॉगवाणी भी अपने सितम से बाज़ नहीं आई। प्यारे भाई सुनील दत्त ! यह नाम ही हमें प्यारा है।
अच्छा लगा जब मेरे ब्लॉग पर जनाब गोदियाल जी पधारे और तब और भी अच्छा लगा हमारे फ़ॉरेन रिटर्न भाई सतीश सक्सेना जी नुमूदार हुए और ‘जमकर‘ तारीफ़ की। दरअस्ल यह तारीफ़ हमें जनाब गोदियाल जी से मिलने वाली थी। लेकिन पालनहार जानता है कि आदमी ज़्यादा तारीफ़ पाकर घमण्ड का शिकार हो जाता है लिहाज़ा तुरन्त उसने हम पर सुनील दत्त जी को मुसल्लत कर दिया और उन्होंने हमें आईना दिखा दिया। आत्मावलोकन भी ज़रूरी है। हरेक आदमी को चाहिये कि निंदको के वचन को सारहीन न समझे। कोई न कोई पीड़ा तो उसे व्याकुल किये होती है तभी तो वह अपना समय , ऊर्जा और धन लगाता है।
लेकिन आदमी बहरहाल आदमी है। एक दिन जागेगा ज़रूर। इसी आस में समय गुज़र रहा है। ख़ैर यह पोस्ट भी एक अच्छी और यादगार पोस्ट रही। ब्लॉगवाणी भी अपने सितम से बाज़ नहीं आई। प्यारे भाई सुनील दत्त ! यह नाम ही हमें प्यारा है। इस नाम का आदमी इन्सानियत और भाईचारे के लिये के लिये जाना जाता है। मुसलमानों के प्रति आपका आक्रोश जायज़ ही होगा। मैं मुसलमानों के पक्ष में लड़ने के लिये यहां नहीं बैठा हूं। आपका उददेश्य भारत को सशक्त बनाना मालूम होता है। मेरा मानना है कि भारत के सशक्तिकरण के लिये हमें आपस का बैर भाव ख़त्म करना होगा। मुसलमान भारत की एक बड़ी आबादी हैं, उनके साथ मन मुटाव बढ़ाना धर्म की दृष्टि से तो क्या किसी नीति के अनुसार भी उचित नहीं है।
आपकी यह शिकायत भी दुरूस्त हो सकती है कि मैंने हिन्दुओं की आस्था पर चोट की है। कृपया निशानदेही करें कि कब किस लेख में मैंने ऐसी बात कह दी जो मुझसे पहले किसी ‘प्रातः वन्दनीय‘ हिन्दू महापुरूष ने नहीं कही है ?
प्रमाण मिलते ही मैं आपसे सार्वजनिक रूप से क्षमा मांग लूंगा।
लेकिन अगर वे सभी बातें हिन्दू सुधारकों के मुख से आप पहले ही सुन चुके हैं और उनके क़लम की तहरीरों की शक्ल में भी आप पढ़ चुके हैं और आपने उन्हें महापुरूष का दर्जा दे रखा है तो फिर चाहे आप मुझे महापुरूष का दर्जा तो न दें लेकिन यह तो समझ ही सकते हैं कि मेरा उददेश्य भी अंधविश्वास और पाखण्ड का सफ़ाया करना ही है , जोकि भारत के सशक्तिकरण के लिये आवश्यक है।
मैं एक आम इन्सान हूं , ग़लतियों से पाक नहीं हूं। अपने सुधार के लिये हर समय तैयार हूं। बहुत जल्द मौत मुझे उचक कर ले जायेगी और मालिक के दरबार में ले जाकर खड़ा कर देगी जहां धर्म-कर्म देखा जाता है साम्प्रदायिकता नहीं। उस सर्वशक्तिमान प्रभु के सामने मैं एक निरीह जीव मात्र हूं। मेरे मन का द्वेष और अहंकार मुझे नरक का ही पात्र बनायेगा। मैं डरता हूं अपने मालिक के प्रकोप से और आपको भी उसके आदेश निर्देश सुनाने का मक़सद केवल यही है, आपकी हमदर्दी और ख़ैरख्वाही। आपके पास जो भी ख़ैर और भलाई की बात हो उसे हमें बताएं। अच्छी बातें हरेक से हर समय सीखनी चाहियें। आप भी एक अच्छे लेखक हैं। ईश्वर को साक्षी मानकर लेखन करेंगे तो आपके ओजस-तेजस में भी वृद्धि होगी और कई तरह के दोष भी दूर हो जायेंगे।
आपने इतना समय देकर इतनी सुन्दर टिप्पणियां की हैं। इन्हें मैं मिटाना मुनासिब नहीं समझता, चाहे इनसे मैं असहमत ही क्यों न होऊं।
बोले तो बिन्दास का आना भी एक उपलब्धि मानी जाएगी क्योंकि उस बन्दे ने खुदा के एक से ज़्यादा सच्चे बन्दों को देखा है।