
गण्तन्त्र- दिवस पर..डा श्याम गुप्त के अगीत...
गणतन्त्र- दिवस पर कुछ अगीत----
१-टोपी --
वे राष्ट्रगान गाकर,
भीड़ को, देश पर मर मिटने की -
कसम दिलाकर;
बैठ गए लक्ज़री कार में जाकर |
टोपी पकडाई पी ऐ को,
अगले वर्ष के लिए , रखे -
धुलाकर ||
२-कहाँ है मेरा देश.....
यह अ जा का ,
यह अ ज जा का,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का -
कहाँ है मेरा देश ||
३-किस देश के लिए .....
कितने शहीद,
कब्र से उठाकर पूछते हैं;
हम मरे किस देश के लिए ?
अल्लाह के-
या ईश्वर के ||
४-कहाँ खोगया....
कल जिनके ओठों पर -
देश था |
आज , अल्लाह -
या ईश्वर है ;
देश कहाँ खोगया ||
५-विकास ---
विकास की कुलांचें भरता देश
व्यक्ति को धकिया कर,
चढ़ गया ऊंचा ,
होकर-
निर्धनों का धनी देश ||
६- मित्र पुलिस --
मुस्तैद ,
मित्र पुलिस ;
हर दम तैयार ;
फिर भी नहीं मिली ,
उत्तम प्रदेश में -
चोरी गयी कार ||
१-टोपी --
वे राष्ट्रगान गाकर,
भीड़ को, देश पर मर मिटने की -
कसम दिलाकर;
बैठ गए लक्ज़री कार में जाकर |
टोपी पकडाई पी ऐ को,
अगले वर्ष के लिए , रखे -
धुलाकर ||
२-कहाँ है मेरा देश.....
यह अ जा का ,
यह अ ज जा का,
यह अन्य पिछड़ों का ,
यह सवर्णों का -
कहाँ है मेरा देश ||
३-किस देश के लिए .....
कितने शहीद,
कब्र से उठाकर पूछते हैं;
हम मरे किस देश के लिए ?
अल्लाह के-
या ईश्वर के ||
४-कहाँ खोगया....
कल जिनके ओठों पर -
देश था |
आज , अल्लाह -
या ईश्वर है ;
देश कहाँ खोगया ||
५-विकास ---
विकास की कुलांचें भरता देश
व्यक्ति को धकिया कर,
चढ़ गया ऊंचा ,
होकर-
निर्धनों का धनी देश ||
६- मित्र पुलिस --
मुस्तैद ,
मित्र पुलिस ;
हर दम तैयार ;
फिर भी नहीं मिली ,
उत्तम प्रदेश में -
चोरी गयी कार ||