.होली के अवसर पर .डा श्याम गुप्त का पद....सखी री...
भरि पिचकारी प्रीति भरे रंग, पीलो नीलो लाल |
तकि-तकि अँग-अँग रंगरस डारो,अंग अंग भये निहाल |
बरबस बरजूं लोक लाज वश नहिं मान्यो गोपाल |
भीजी अंगिया, भीजी सारी , सकुचि हिये भई लाल |
अँग अँग रस टपकै झर-झर, लखि मुसुकावैं ग्वाल |
श्याम' श्याम ऐसी रंगि दीन्ही ,तन मन भयो गुलाल |
सखी री मोहे रंगि दीन्हो गोपाल ||