जीवन को दिशा तभी मिलेगी जबकि कुरआन समझकर पढ़ा जाये।

जवाब- कुरआन को विचार करके पढ़ो। जिसे रमज़ान में तरावीह पढ़ानी हो वह हिफ़्ज़ करे।
मौलाना के कहने का तात्पर्य यह था कि जीवन को दिशा तभी मिलेगी जबकि उसे समझकर पढ़ा जाये। कुरआन एक उपदेश और नसीहत है और उपदेश और नसीहत पर अमल तभी मुम्किन है जबकि उसे समझकर पढ़ा जाये।