
जवाब- कुरआन को विचार करके पढ़ो। जिसे रमज़ान में तरावीह पढ़ानी हो वह हिफ़्ज़ करे।
मौलाना के कहने का तात्पर्य यह था कि जीवन को दिशा तभी मिलेगी जबकि उसे समझकर पढ़ा जाये। कुरआन एक उपदेश और नसीहत है और उपदेश और नसीहत पर अमल तभी मुम्किन है जबकि उसे समझकर पढ़ा जाये।
agli kadi ka intezar hai .
maulana khud uljhan me ho to dusro ko kya rah dikhayega bhai ji.....?
बेनामी से आधा सहमत ।
sahi kaha.....
आईये जानें .... क्या हम मन के गुलाम हैं!
आचार्य बेटे ! तू मेरी बीवी का गुलाम है ।
अच्छी पोस्ट
देखो इस आचार्य से को । दूसरो के कोठे पे अपने लिये कबूतर पकड़ता फिर रहा है । हुशियार कही का ।
तुम हर समय एक ही रट क्यो लगाए रहते हो क्या तुम्हे और कोई काम नही है
उम्दा क़ौल ।
@नितिन त्यागी जी जिस दिन आप जीवन का मकसद समझ लोगे तुम भी यही रट लगाओगे
मौलाना ने सही फ़रमाया है. समझ के पढो कुरान जिस से उसपे अमल कर सको.