
परिवार के सदस्यों से !
सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम,
मैं तो ब्लॉग पर अधिक समय नहीं दे पाती हूँ लेकिन फिर भी इस तरफ नजर रहती है। आज जब अपने इस ब्लॉगकी प्रगति देखी जो कि विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक ब्लॉग कहा जा रहा है और हमारी सामुदायिकता की भावनाधीरे धीरे क्षीण होती नजर आ रही है। क्या दूसरा घर बना लेने पर पुराने की उपेक्षा कर दी जाती है। घर उसी तरह सेसजाये रखे जाते हैं । सदस्य बढ़ते हैं तो उनसे अपेक्षाएं भी बढती हैं। कोई भी बगीचा लगाया जाता है तो उसकेखिलते हुए पुष्प ही उसकी शोभा का प्रतीक होते हैं।
हमारे ब्लॉग पर उसमें आने वाली पोस्ट ही उसके पुष्प हैं और मैं अधिक तो नहीं आ पाती लेकिन आज जब मैंनेदेखा और विश्लेषण किया तो पता चला की ये बगीचा तो सूखने लगा है , इसकी जड़ों में जब जल डाला ही नहींजायेगा तो ये एक दिन उजड़ा चमन से दिखलाई देगा। इसके लिए शायद इसके संरक्षक ही जिम्मेदार होंगे।
अभी बगिया सजाने का समय है। कुछ तो हमसे भूल हो रही है कि कलियाँ खिलने से पहले ही मुरझाने लगी।
सिर्फ हमने पिछले और इस महीने का विश्लेषण किया तो पाया की इस माह में २० दिन में सिर्फ ८ पोस्ट आई हैं।ऐसा क्यों? पहले भी हम ही इसमें लिखने वाले थे और आज भी हैं। ऐसी कौन सी गलती इस ब्लॉग से या ब्लॉग केसंरक्षकों से हुई है की आप लोगों ने असहयोग का रवैया अपना लिया है। पिछले महीने की पोस्टों की संख्या देख लेंऔर इस महीने की।
इस ब्लॉग को कोई अध्यक्ष या संरक्षक नहीं चला सकते हैं इसके लिए परिवार का हर सदस्य उतना ही महत्वपूर्णहै और बराबर का हक़दार है। इसको आपकी छत्रछाया की जरूरत है। अगर आप लोग अन्यथा न लें तो आप सबसेअनुरोध है की इस सामुदायिक ब्लॉग की तरफ भी उतना ही ध्यान दें जितना कि अन्य अपनाये गए ब्लॉग कीतरफ हम देते हैं।
आशा नहीं पूरा विश्वास है की आप अपना इसके प्रति स्नेह बनाये रखेंगे।
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मैं तो ब्लॉग पर अधिक समय नहीं दे पाती हूँ लेकिन फिर भी इस तरफ नजर रहती है। आज जब अपने इस ब्लॉगकी प्रगति देखी जो कि विश्व का सबसे बड़ा सामुदायिक ब्लॉग कहा जा रहा है और हमारी सामुदायिकता की भावनाधीरे धीरे क्षीण होती नजर आ रही है। क्या दूसरा घर बना लेने पर पुराने की उपेक्षा कर दी जाती है। घर उसी तरह सेसजाये रखे जाते हैं । सदस्य बढ़ते हैं तो उनसे अपेक्षाएं भी बढती हैं। कोई भी बगीचा लगाया जाता है तो उसकेखिलते हुए पुष्प ही उसकी शोभा का प्रतीक होते हैं।
हमारे ब्लॉग पर उसमें आने वाली पोस्ट ही उसके पुष्प हैं और मैं अधिक तो नहीं आ पाती लेकिन आज जब मैंनेदेखा और विश्लेषण किया तो पता चला की ये बगीचा तो सूखने लगा है , इसकी जड़ों में जब जल डाला ही नहींजायेगा तो ये एक दिन उजड़ा चमन से दिखलाई देगा। इसके लिए शायद इसके संरक्षक ही जिम्मेदार होंगे।
अभी बगिया सजाने का समय है। कुछ तो हमसे भूल हो रही है कि कलियाँ खिलने से पहले ही मुरझाने लगी।
सिर्फ हमने पिछले और इस महीने का विश्लेषण किया तो पाया की इस माह में २० दिन में सिर्फ ८ पोस्ट आई हैं।ऐसा क्यों? पहले भी हम ही इसमें लिखने वाले थे और आज भी हैं। ऐसी कौन सी गलती इस ब्लॉग से या ब्लॉग केसंरक्षकों से हुई है की आप लोगों ने असहयोग का रवैया अपना लिया है। पिछले महीने की पोस्टों की संख्या देख लेंऔर इस महीने की।
इस ब्लॉग को कोई अध्यक्ष या संरक्षक नहीं चला सकते हैं इसके लिए परिवार का हर सदस्य उतना ही महत्वपूर्णहै और बराबर का हक़दार है। इसको आपकी छत्रछाया की जरूरत है। अगर आप लोग अन्यथा न लें तो आप सबसेअनुरोध है की इस सामुदायिक ब्लॉग की तरफ भी उतना ही ध्यान दें जितना कि अन्य अपनाये गए ब्लॉग कीतरफ हम देते हैं।
आशा नहीं पूरा विश्वास है की आप अपना इसके प्रति स्नेह बनाये रखेंगे।