एक सूचना आती है की इनकम टैक्स वाले ऑनलाइन लिफंड भेजेंगे | वित्त मंत्री के इस बयान को सूचना के मूल-भूत वाहक प्रेस ने भरपूर मात्रा में मुझे और आपको परोसा | दिल में जाने कितने मंसूबे पाल लिए कि चलो अब उस बाबू कि मिन्नते नहीं करनी पड़ेगी और घर बैठे इनकम टैक्स का रिफंड हमारे बैंक खाते में आ जायेगा | यूँ तो भारत में ये कुछ ज्यादा कल्पनाशील होने जैसा भी हो सकता है पर अभी हाल ही के पिछले पन्द्रह वर्षों में ही हमने दुर्लभ प्रजाति 'हथोड़ा छाप' टेलीफोन से पी. सी. ओ. और मोबाइल की गलियों से होते हुए इंटरनेट और सैटेलाईट संचार का सफर कुछ इस सुलभता और तेजी से तय किया कि दिल उम्मीदें लगा बैठता है | शायद कभी या शायद इसी साल ही इनकम टैक्स का रिफंड इक दिन चुपके से मेरे और आपके बैंक खाते में पड़ा हो और जब एक दिन पास - बुक की एंट्री कराते समय इसका पता चले तो ! हो जायेगी बल्ले - बल्ले | हैं न |
पर साहब ज्यादा खुश-फहमियाँ न पालें और लौट आयें जमीं पर | जिस सूचना क्रांति को लेकर अभी - अभी आप कल्पना के समुद्र में एक गोता लगा आयें हैं उसे ही प्रयोग करके कुछ कलंदर टाइप के लोग इसे सूचना जनित फ्राड क्रान्ति की शक्ल देने में निरंतर जोर अजमाइश कर रहें है | आन - लाइन लाटरी में बिना कोई टिकट खरीदे या बिना दांव लगाए करोड़ों डालर जीतने वाले इ-मेल आप सभी को मिल चुकें होंगे | और झूठा ही सही एक फिल-वक्त का सकून तो दिल को मिलता ही होगा जब आप को सूदूर अफ्रीका या यूगांडा के बैंक का अधिकारी आपके ईमानदार होने की दुहाई देते हुए यह बताता होगा कि उसके बैंक में करोड़ों डालर की ऐसी रकम है जो कि वह अपने देश से निकाल कर आपके बैंक खाते में भेजना चाहता है | पर हाय ! उसे यह रकम भेजने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के लिए कुछ रकम चाहिए जो कि आपको उसके बताये बैंक खाते में (हो सकता है कि वो बैंक खाता भारत में ही हो ) डालनी होगी| इस रकम का प्रयोग करके अगला बड़ी इमानदारी से बेईमानी को इमानदारी साबित करने वाले कागजात बनवाएगा और फिर आपको सारी रकम भेज देगा | आप चाहें तो यह रकम जो आपने भेजी होगी उसे 'उसके हिस्से' से काट कर उसके भारत आने पर उसे सौंप दें |
उसके बाद भर मंदी के समय में विदेशों में लकालक नौकरी दिलाने के आफर मेरे छात्रों को ही नहीं वरन मुझे भी मिले | भला हो उन फिरंगी आदम जात को जो की हमारे जैसे गरीब भारतीयों को नौकरियां दिलाने को लेकर दिन-रात सूख - सूख कर आधे हुए जा रहे हैं | एक बार तो लकालक तनख्वाह के लालच में आ ही गया था और सरकारी नौकरी पर लानत भेजने ही वाला था | पर जब पूरा आफर पड़ा तो पता चला की उन बेचारे, भले फिरंगियों कुछ हजार डालर के बराबर रकम विदेश जाने के मेरे कागजात बनवाने के लिए भेजने पड़ेंगे | अब ये रकम आपसे आपके ही कागजात बनवाने के नाम पर अगर झटक ही ले रहें हों तो कौन गुनाह हो गया | आखिर इतनी भल-मंसाहत दिखाने की भी तो कुछ कीमत होती है |
अभी नौकरी के आफर मिलने ख़तम भी नहीं हुए थे और हम विदेशों से कमा कर अपना धन रखने के लिए बैंक अकाउंट भी नहीं खुलवा पाए थे की मुआ जाने क्या हुआ की अचानक देश के लगभग सभी बड़े - बड़े बैंकों के विदेशों में रखे सर्वर रातों - रात क्रैश करने लगे | एक बार फिर मालूम हुआ की दुनिया में भले मानुष अभी पूरी तरह से ख़तम नहीं हुए हैं | तुरत - फुरत हमें इ-मेल आने लगे की सर्वर क्रैश होने की वजह से बैंक का सारा डाटा ध्वस्त हो गया है | मजा तो यह की, जिन बैंकों में मेरा कोई लेना - देना नहीं था वो भी मुझपर मेहरबान होकर मुझे यह सूचना दे रहे थे |
अब मुझे यदि अपना बैंक अकाउंट चेक करके देखना हो तो इ-मेल में दिए लिंक को खोलकर उसमे दिखने वाली वेब -साईट (जो की दिखने में आपके बैंक जैसी ही होगी) पर जाकर अपना नाम, पता, वही पुराना वाला अकाउंट नंबर और पासवर्ड आदि डालकर बैंक का रिकार्ड पूरा करना था | इसके बाद आप अपना बैंक अकाउंट पहले के जैसे चेक कर सकेंगे | यहाँ भी भाई लोगों ने भल - मंसाहत की मिसाल पेश करते हुए आपको भविष्य में अपने बैंक अकाउंट चेक करने और पैसे लिकालने के काम से मुक्त करते हुए सारा काम खुद ही कर दिया | उनके लिए दुआ कीजिये | नहीं तो आज भी अपना कीमती समय बैंक से सर फोड़ने में खर्च कर रहे होते |
अब यही सूचना - क्रान्ति हमारे जीवन में और गहरे पैठ बनाता जा रहा है | 'इनकम टैक्स वाले' आज कल इ-मेल भेज कर आपसे आपका इनकम टैक्स रिफंड आन लाइन दिलाने के नाम एक वेब साईट पर जाकर (जो की दिखने में इनकम टैक्स की साईट जैसी ही होगी) अपना नाम, पता, बैंक अकाउंट नंबर, उसका इन्टरनेट लाग- इन आई-डी और पासवर्ड आदि मांगे जाएगा | जो की एक बार गया तो गया | यदि ऐसा हो भी जाए तो भी हमें नतमस्तक होकर प्रणाम करना चाहिए की जिस कम की वित्तमंत्री सिर्फ घोषणा करते रह , कम से इन रणबांकुरों ने उसे अंजाम तक पहुँचने से पहले ही अपने साधुवादी प्रयास शुरू कर दिए | अब इनकम टैक्स का आनलाइन रिफंड मिले या न मिले पर वो बाबू जरुर मुस्करा रहा होगा जिसका 'हक़' मारने की योजना आप बना रहे थे | अरे - अरे वो 'हक़' मिलने की उम्मीद में नहीं मुस्कुरा रहा है | वो तो इसलिए मुस्कुरा रहा है कि जाइये हुजूर कहाँ जायेंगे, ये नजर लौट के फिर ... |
और आप किससे ठगना पसंद करेंगे | स्वदेशी या विदेशी | अरे नहीं!
ग्लोबलाइजेशन के दौर में भेद - भाव की बात न करें |
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