आज तम्बाकू निषेध दिवस - हर वर्ष आता है और हर वर्ष इसी तरह से चला जाता है, लोग अखबार में आलेख देखते हैं और रख देते हैं.
पर आज ये क्रांति दिवस ब्लॉग की दुनियाँ में भी छाएगा. ऐसा नहीं है कि हमारे ब्लॉगर बन्धु इस शौक से दोस्ती न रखते हों और रखने वाले इन बातों को बेकार की दलीलें न मानते हों और कहते हों कि देखो अमुक तो कुछ भी नहीं खाता था और उसको मुंह या गले का कैंसर हो गया. ये आप किसे झुठलाने की कोशिश करते हैं , खुद को या घर वालों या अपने शुभचिंतकों को. अगर आग पर चलेंगे तो आज नहीं कल पैर जरूर जलेंगे और छाले भी आपको ही पड़ेंगे उसकी तपिश आप अकेले नहीं झेलेंगे अपितु आपके घर वाले भी उसमें झुलसेंगे. अभी भी देर नहीं हुई है - जो इसके सेवन में लिप्त हैं छोड़ने का मन बना लें तो दुनियाँ में असंभव कुछ भी नहीं है.
मैंने इस विभीषिका को झेला है इसलिए जानती हूँ, मेरे ससुर जी तम्बाकू खाते थे और उससे ही उन्हें कैंसर की शुरुआत हुई थी. उनके कष्ट को मैं नहीं झेल सकती थी लेकिन मैंने बहुत कुछ झेला. इस लिए यही चाहती हूँ कि कोई और क्यों झेले? अगर मेरे इस जानकारी भरे आलेख से कुछ लोगों ने भी इस का सेवन छोड़ दिया तो मेरा लेखन सार्थक हो जाएगा. इसीलिए मैं इसको आज कई ब्लॉग में डालूंगी.
तम्बाकू धूम्र सहित और रहित दोनों से तरीके से सेवन की जाती है. सिगरेट, बीडी, सिगार , चिलम, हुक्का आदी धूम्रपान के साधन है और तम्बाकू, चाहे उसे सीधे खाएं या पान में या पानमसाले के रूप में सब घटक हैं. इस तरह से इस बारे में अपनी जानकारी के अनुरुप आपको बतलाने की कोशिश कर रही हूँ.
आँख और कान - जब धूम्रपान करते हैं तो उसका धुंआ पूरे श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है. जिसका प्रभाव अन्धपन और श्रवण ह्रास के रूप में प्रकट हो सकता है.
मुँह और दाँत - इसका सीधा सम्बन्ध मुँह से ही होता है, इससे दांतों में विकार, मसूड़ों में विकार और मुख कैंसर होने की पूरी पूरी संभावना बन जाती है. अब भी देर नहीं होती है, अगर आप इसका उपयोग करते हैं और अपने मुँह को खोल कर देखें अगर वह पूरा नहीं खुल रहा है तो उसके लिए तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सलाह ले सकते हैं. अगर मुँह के अन्दर दोनों ओर सफेद लाइने या फिर सफेदी आ रही हैं तब भी आप कैंसर की ओर कदम बढ़ा रहे हैं लेकिन रोका जा सकता है.
फेफड़े - सिगरेट और इसी श्रेणी की तमाम चीजें सीधे फेफड़ों को प्रभावित करती हैं और इससे खांसी, टी बी, कैंसर , ब्रोंकाइटिस , इन्फैसेमा आदी रोग हो सकते हैं.
मांसपेशियां और जोड़ - धूम्रपान मांसपेशियों से आक्सीजन खीचकर आपको कमजोर बनाता है और साथ ही जोड़ों के लिए दर्द युक्त संधि शोथ के खतरे को बढ़ा सकता है.
मष्तिष्क - मानव शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग, जिससे कि सम्पूर्ण शरीर का सञ्चालन होता है. निकोटिन इन पदार्थों में होता है और ये मनुष्य को अपना आदी बना लेता है. ये जब मष्तिष्क में प्रवेश करती तो आपको लगता है की आप बहुत ही अच्छा अनुभव कर रहे हैं , तनाव मुक्त हो रहे हैं जब कि वह आपके मष्तिष्क को शिथिल कर देती है. इसके पश्चात की स्थिति में आप व्यग्र , उत्तेजित और हतोत्साहित हो जाते हैं.
गला - सिगरेट , तम्बाकू, पानमसाला गले और स्वरयंत्र के कैंसर का कारण हो सकता है क्योकि यही से होकर तम्बाकू अंदर प्रवेश करती है या धुआं अंदर जाता है.
ह्रदय - धूम्र सहित या धूम्र रहित तम्बाकू की निकोटीन रक्त नलिकाओं को संकुचित करती है और जो आपके हृदय को अधिक कार्य करने के लिए मजबूर करती हैं. धूम्रपान धमनियों को भी अवरुद्ध कर सकता है जो की हार्ट अटैक तथा स्ट्रोक्स का कारण बनाता है. धूम्रपान शिराओं में जमकर उन्हें संकुचित और अवरुद्ध करता है जो की हृदयाघात का कारण बनाता है.
अन्य रोग - धूम्रपान या अन्य वस्तुएं गुर्दे, पैन्कियाज, पेट, प्रजानना अंगों के कैंसर के खतरे को बढ़ता है इससे प्रजनन क्षमता भी क्षीण होती है कभी कभी समाप्त तक हो जाती है.
मेरी करबद्ध प्रार्थना है की इसको पढ़ाने वाले सभी बन्धु अगर खुद इसके ग्रसित नहीं हैं तो जो उनके मित्र हों उनके इस बारे में जरूर अवगत कराएँ तभी मेरे इस आलेख की सार्थकता सिध्ध होगी.
waise mujhe to aisa koi shauk nahi ...par college me dosto ko dekha ...kaise shauk se shuru hui cheez aadat fri zarurat ban jaati hai...jaankaari ke liye dhanywaad...
yaqeenan sandesh-parak post !!!