स्मृति गीत / शोक गीत
संजीव 'सलिल'
*
याद आ रही पिता तुम्हारी
याद आ रही
पिता तुम्हारी...
*
तुम सा कहाँ
मनोबल पाऊँ?
जीवन का सब
विष पी पाऊँ.
अमृत बाँट सकूँ
स्वजनों को-
विपदा को हँस
सह मुस्काऊँ.
विधि ने काहे
बात बिगारी?
याद आ रही
पिता तुम्हारी...
*
रही शीश पर
जब तव छाया.
तनिक न विपदा
से घबराया.
आँधी-तूफां
जब-जब आये-
हँसकर मैंने
गले लगाया.
बिना तुम्हारे
हुआ भिखारी.
याद आ रही
पिता तुम्हारी...
*
मन न चाहता
खुशी मनाऊँ.
कैसे जग को
गीत सुनाऊँ?
सपने में आकर
मिल जाओ-
कुछ तो ढाढस-
संबल पाऊँ.
भीगी अँखियाँ
होकर खारी.
याद आ रही
पिता तुम्हारी...
*
होकर खारी.
याद आ रही
पिता तुम्हारी...
*
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