उत्तरप्रदेश की मुख्यमंत्री सुश्री मायावती कहती है की उत्तरप्रदेश में कानून का राज कायम है जबकि उत्तरप्रदेश में पुलिस पूरी तरह निरंकुश हो गयी है. इसका जीता जागता उदाहरण है प्रदेश के संतरविदास नगर भदोही जनपद के सुरियावां थाना क्षेत्र का जहाँ पुलिस के खिलाफ निर्भीक होकर सच छापने का खामियाजा दो पत्रकार भुगत रहे हैं. पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ दिखाकर पत्रकारों के परिजनों को झूठे मुकदमे में फंसा दिया .
अमर उजाला के पत्रकार अशोक कुमार सिंह व दैनिक जागरण के पत्रकार कृस्नानंद उपाध्याय विगत २० वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत हैं. गत दिनों जब सुरियावां थाने का कार्यभार एस ओ सुनील कुमार सिंह ने संभाला तो क्षेत्र में अपराधो की बढ़ आ गयी जिसे दोनों पत्रकारों ने बेबाक होकर लिखना शुरू कर दिया, इस बात को लेकर एस ओ ने कई बार दोनों पत्रकारों को धमकियाँ भी दी किन्तु दोनों ने अपनी बेबाक लेखनी से समझौता नहीं किया, लिहाजा एस ओ ने उन्हें परिवार सहित बर्बाद करने की धमकी तक दे डाली.
थानाध्यक्ष सुनील कुमार सिंह व अन्य पुलिस कर्मियों ने भिखारी राम पुर निवासी शिवनाथ यादव के दरवाजे से दो वाहन बोलेरो व इंडिका २२/०५/२०१० को सुबह ६ बजे जबरदस्ती उठा लाये [ जिसका हलफनामा शिवनाथ ने डीएम को भी दिया है] उससे पहले एस ओ ने जौनपुर के एक अपराधी अनवर को भी थाने में बिठा रखा था. तत्पश्चात २३/०५/२०१० को शाम सवा सात बजे फर्जी मुठभेड़ दिखाया की अपराधी पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग निकले, इसमें अशोक कुमार सिंह के पुत्र आशीष कुमार सिंह व कृस्नानंद के भतीजे चन्दन उपाध्याय को फरार दिखाकर फर्जी मुकदमे में फंसा दिया गया, पुलिस ने इन दोनों के खिलाफ भी अपराध संख्या ९९/१० धरा ४१९/४२०/५०६ व अपराध संख्या १००/१० धारा १४७/१४८/१४९/३०७ लिख लिया. जबकि आशीष २० मई से २५ मई तक अस्पताल में भर्ती था वही चन्दन बाहर अध्ययनरत था. इस मामले को द्वय पत्रकारों ने प्रमुख सचिव, मानवाधिकार सहित अन्य जगहों पर पत्र भेजा है.
apni jaan jokhim me dalkar aam janta tak khabren pahuchane walo patrkaro ke sath jyadti uchit nahi, bloger bhi media se hi juda vykti hai. sabhi blogro ko chahiye ki yah sandesh har jagah e-mail kare taki patrkaro ko nyay mil sake.