भ्रष्टाचार भी एक उद्योग है, जो उच्च स्तर पर खूब फल फूल रहा है, नेता हों या अधिकारी दोनो मौसेरे भाई इसमें आकंन्ट डूबे हुए हैं। इससे बढ़ कर लाभ का कोई धंधा नहीं। पहले ‘इन्वेस्ट‘ कीजिये फिर जेबें भरिये। कुछ वर्ष पहले तक चुनाव अधिक मंहगे नहीं थे, न पढ़ाई में ज़्यादा ख़र्च था, न ही नौकरी पाने हेतु रिश्वत देने का ग्राम प्रधान चुनाव में अधाधुंध खर्च करेंगे, तो बाद में अगर पैसा न लेंगे तो असल चुनाव कैसे लड़ेंगे? कोठी, वाहन, सम्पति कैसे जुटायेंगे। अधिकारी के अभिभावक शुरू ही से पढ़ाई पर कितना ख़र्च करते हैं? फिर ‘डोनेशन‘ देते हैं, नौकरी में भर्ती के लिये जुगाड़ के साथ-साथ पैसा भरते हैं। अब यही लोग जब सीट पर पहुचते हैं तो उनका यही ध्येय होता है- ‘दोनो हाथ बटोरिये यही सयानो काम‘।
लोकतंत्र के तीन स्तम्भ हैं- इनमें से दो विधायिका और कार्यपालिका के तो रंग ढंग आप देख ही रहे हैं- भ्रष्टाचार में दोनो एक दूसरे को बचाते हैं। तीसरा खम्भा-न्यायपालिका अभी मज़बूत है।
भ्रष्टा उच्च अधिकारयों या नेताओं मुक़दमें चलाने की जब सी0बी0आई, सरकारों से अनुमति चाहती है, तब ऐसी फाइलें आखि़र लम्बे समय तक क्यों रोकी जाती हैं?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग नें, सुप्रीम कोर्ट में दायर विनीत नारायण केस के सन्दर्भ में सरकार के विभाग प्रमुखों को एक कड़ा पत्र भेजा है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित वीन माह की समय-सीमा में अनुमति देना सुनिश्चित किया जाय।
इन सब उपायों के बावजूद पिछले नौ महीने में भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के मामले में तीन गुना बृद्धि हुई, अगस्त 09 तक जो संख्या 51 थी वह मई 10 तक 165 हो गई?
भ्रष्टा उच्च अधिकारयों या नेताओं मुक़दमें चलाने की जब सी0बी0आई, सरकारों से अनुमति चाहती है, तब ऐसी फाइलें आखि़र लम्बे समय तक क्यों रोकी जाती हैं?
केन्द्रीय सतर्कता आयोग नें, सुप्रीम कोर्ट में दायर विनीत नारायण केस के सन्दर्भ में सरकार के विभाग प्रमुखों को एक कड़ा पत्र भेजा है और कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित वीन माह की समय-सीमा में अनुमति देना सुनिश्चित किया जाय।
इन सब उपायों के बावजूद पिछले नौ महीने में भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के मामले में तीन गुना बृद्धि हुई, अगस्त 09 तक जो संख्या 51 थी वह मई 10 तक 165 हो गई?
यह भी खूब रही- तुम डाल-डाल, हम पात-पात
डॉक्टर एस.एम हैदर
फ़ोन : 05248-220866
0 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!