...लिख दे
संजीव 'सलिल'
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सच को छिपा कहानी लिख दे.
कुछ साखी, कुछ बानी लिख दे..
लोकनीति पहचानी लिख दे.
राजनीति अनजानी लिख दे..
चतुर न बन नादानी लिख दे.
संयम तज मनमानी लिख दे..
कर चम्बल को नेह नर्मदा.
प्यासा मरुथल पानी लिख दे..
हिन्दी तेरी अपनी माँ है.
कभी संस्कृत नानी लिख दे..
जोड़-जोड़ कर जीवन गुजरा.
अब हाथों पर दानी लिख दे..
जंगल काटे पर्वत खोदे.
'सलिल' धरा है धानी लिखदे..
ढाई आखर 'सलिल' सीख ले.
दुनिया आनी-जानी लिख दे..
'सलिल' तिमिर में तनहाई है
परछाईं बेगानी लिख दे..
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Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
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