खुशबू तुम दिखती तो नहीं हो ...
पर तुम्हे महसूस करती हूँ हर पल ...!!
फूल तुम्हे मैं कैसे भूलूं ?
डाली पर उगते हो जब तुम ,
काँटों कि चुभन को सहते हुए भी ,
आँखों को यूं मूंदकर .......
वो खुशबू को जहन में भर लेते है हम ,
क्योंकि तुम पौधे पर ही खूबसूरत हो लगते ....
पहली बरसात में तपती धरती पर ,
पड़ती है बारिश की पहली बूंदें ...
धरती से उठती वो सौंधी सी खुशबू ,
होती है पहले प्यार के अहसास सी .....
खुशबू ....रिश्तों में बंधे प्यार की,
खुशबू ...वो मुस्कानों की,
खुशबू ...दोस्ती के अटूट बन्धनकी ,
खुशबू .......महकते विचारों की .......!!!!
- मीत
खुश्बू के भाव बहुत ही उम्दा हैं।
अतिसुन्दर !