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मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010

मंगलवार, अक्तूबर 05, 2010 2



आप राम कहानी को पढ़ने जाते हैं तो उसे दोहराने को मजबूर होते हैं। अब रामकथा और आस्था के आधार पर न्याय आया है तो यह भी दोहराने की मांग करेगा और अब हम भविष्य में एक नए किस्म के न्याय से मुखातिब होंगे जिसका आधार रामकथा या ऐसी ही कोई पौराणिक या मिथकीय कथा होगी जिसके आधार न्याय का पाखंड रचा जाएगा। इस तरह की बेबकूफियां अनेक इस्लामिक देशों में होती रही हैं।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बैंच का जब से फैसला आया है। रामभक्त अब लखनऊ बैंच के भक्त हो गए हैं। मैं उन्हें लखनऊभक्त के रूप में ही चिह्नित करूँगा। वे लखनऊ बैंच के जजमेंट को यूनीवर्सल बनाने में लगे हैं। आस्था के सिद्धांत को कानून का सिद्धांत बनाना चाहते हैं। यह लखनवी न्याय है। इसके लिए वे किसी भी हद तक जाने की सोच रहे हैं। वे लखनऊ बैंच के जजमेंट को न्याय का आदर्श आधार
बता रहे हैं।
लखनवी न्याय में अनेक संभावित खतरे छिपे हैं। पहला खतरा तो यही है कि इसमें न्याय बुद्धि से काम नहीं लिया गया। यह भारत के अब तक के न्याय पैमाने को अमान्य करके लिखा गया फैसला है। दूसरी बात यह है कि इस फैसले को अंतिम फैसला नहीं मान सकते। तीसरी बात यह कि इसमें विविधता के सिद्धांत की उपेक्षा हुई है। चौथी बात यह है कि इस फैसले का आधार रामकथा और उससे जुड़ी मान्यताएं हैं।
उपरोक्त चारों बातों की रोशनी में लखनऊ बैंच का जजमेंट न्याय नहीं हैए राय है। उस पर पक्ष.विपक्ष में जो कुछ बोला जा रहा है वह भी न्याय नहीं है राय है। यह अतीत को आधार बनाकरएधार्मिक मान्यताओं को आधार बनाकर दी गई राय है। इसने न्याय की बहस को कानून के बाहर कर दिया है।
अब लोग न्याय पर नहीं राय पर बातें कर रहे हैं। राय के आधार पर मंदिर.मसजिद का तर्क रचा जा रहा है। बाबरी मसजिद के गिराए जाने के बाद से न्याय की बातें नहीं हो रही हैं आस्था की बातें हो रही हैं। बाबरी मसजिद के अस्तित्व के बारे में रथयात्रा के पहले न्याय और विविधता पर केन्द्रित होकर ज्यादा बातें होती थीं लेकिन बाबरी मसजिद विध्वंस के बाद विविधता और न्याय की बजाय आस्था और राय पर
बातें होने लगीं। लखनऊ बैंच के जजों का फैसला इसी अर्थ में न्याय नहीं राय है।
लखनवी राय को राम के जन्म के साथ कम राम के राज्य या एंपायर के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। जिन जजों ने रामजन्मस्थान के रूप में बाबरी मसजिद की विवादित जमीन को रामजन्म स्थान चिह्नित किया है। उन्होंने राजा दशरथएउनके पुत्र राम एअयोध्या राजधानी और राम के शासन को ध्यान में रखकर फैसला लिखा है। न्याय बुद्धि में राम के एंपायर का आना स्वयं में ही समस्यामूलक है। न्यायबुद्धि किसी
राजा के देश के आधार पर जब फैसलादेने लगे तो कम से कम उसे न्याय नहीं कहते राय कहते हैं।
राम के एंपायर को आधार बनाते समय न्यायाधीशों ने अपने लिए धार्मिक मुक्ति का मार्ग चुन लिया। वे अपना फैसला राम के एंपायर को एउनके भक्त समुदाय को सुनाकर चले गए। वे इस बात को भूल गए कि न्याय को एंपायर का आधार नहीं बनाया जा सकता। रामभक्त जब बाबर के युग की बातें करते हैं राममंदिर के पक्ष में तर्क गढ़ते हैं तो वे भूल ही जाते हैं कि बाबर के बहाने न्याय को नहीं एंपायर को आधार बना रहे
हैं। एंपायर के आधार पर न्याय नहीं किया जा सकता। फैसले का आधार तो न्याय और विविधता ही हो सकती है।
जज यह जानते थे कि बाबरी मसजिद का फैसला एक राजनीतिक फैसला है और राजनीतिक फैसले एंपायर के आधार पर नहीं न्याय और विविधता के आधार पर ही किए जाने चाहिए। एंपायर के आधार पर फैसला करने के कारण ही लखनवी न्याय में आधुनिककालएआधुनिकबोधए भारत का संविधान और न्याय सब एकसिरे से गायब है। इस फैसले में राय की एकता और भाषा की एकता भी है। इस अर्थ में जजों ने भाषिक वैविध्य को भी अस्वीकार किया
है।
इस जजमेंट के बाद जिस तरह की राय राजनीतिक सर्किल से आई है उसे राजनीतिक राय ही कह सकते हैं न्यायकेन्द्रित राय नहीं कह सकते। यहां तरह.तरह की राजनीतिक राय व्यक्त की गई है। कांग्रेस से लेकर कम्युनिस्टों तकएआरएसएस से लेकर मुलायम सिंह तक सबने राजनीतिक राय व्यक्त की है। न्याय को आधार बनाकर राय नहीं दी है। इसमें राजनीतिक विचारों की चर्चा खूब हो रही है।
लखनवी राय के पक्ष.विपक्ष में जो कुछ भी बोला जा रहा है वह राजनीतिक विचारों की अभिव्यक्ति है। लखनऊ बैंच का फैसला जजमेंट नहीं राजनीतिक राय है। न्याय में कनवर्जेंस नहीं होता। विविधता होती है। लखनऊ बैंच ने डायवर्जेंस को अस्वीकार किया है। वहां तीन जजों की राय में कनवर्जंस हुआ है।
जो लोग अल्पसंख्यकों की बात कर रहे हैं। मुसलमानों की बात कर रहे हैं वे भी मुसलमानों को सामाजिक इकाई के रूप में नहीं देख रहे हैं बल्कि भाषिक इकाई के रूप में देख रहे हैं। अल्पसंख्यक या मुसलमान को सामाजिक इकाई मानने की बजाय भाषिक इकाई मानना स्वयं में इस समुदाय का अवमूल्यन है। भारत की सामाजिक विविधता को अस्वीकार करना है।
सब जानते हैं भारत में एक नहीं अनेक अल्पसंख्यक समुदाय हैं लेकिन वे सिर्फ अब हमारे भाषिकगेम का हिस्सा मात्र हैं। हिन्दू संगठनों के द्वारा रथयात्रा के साथ अल्पसंख्यकों को भाषिकगेम में तब्दील करने की जो प्रक्रिया आरंभ हुई थी उसने अल्पसंख्यकों की सामाजिक इकाई के रूप में पहचान ही खत्म कर दीएलखनवी न्याय उस प्रक्रिया की चरम अभिव्यक्ति है। इस फैसले ने अल्पसंख्यकों पर
हिन्दुओं के प्रभुत्व की मुहर लगा दी है।
हमारे देश की समग्र राजनीति ने अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक का वर्गीकरण कुछ इस तरह किया है कि उससे कोई भी अल्पसंख्यक समूह कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकता है। अब अल्पसंख्यकों के पक्ष में खड़े होने के लिए जिस दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है उसका राजनीतिक दलों से लेकर न्यायाधीशों तक में जबर्दस्त अभाव दिखाई देता है। अल्पसंख्यक.बहुसंख्यक के आधार पर वर्गीकृत राजनीति ने न्याय की
नजर से अल्पसंख्यकों को देखने का नजरिया ही छीन लिया है। हमें साठ साल के बाद सच्चर कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि मुसलमानों को 60 सालों में हमारी राजनीतिक व्यवस्था ने किस रौरव नरक में ठेल दिया है। लखनऊ बैंच का फैसला उसी बृहत्तर प्रक्रिया हिस्सा मात्र है। अब हमारे देश में अल्पसंख्यक हैं लेकिन वे भाषिकगेम में हैंएसामाजिक समूह के रूप में उन्हें विमर्श और न्यायपूर्ण
जीवन से बेदखल कर दिया गया है।
अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक केटेगरी में बांटकर देखने के कारण ही धीरे.धीरे अल्पसंख्यक हाशिए पर गए हैं और आज स्थिति इतनी बदतर है कि अल्पसंख्यकों के पक्ष में खुलकर बोलने वाले को बेहद जोखिम उठाना पड़ता है। खासकर जब न्याय देने का सवाल आता है तो अल्पसंख्यकों को भारत में बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अल्पसंख्यकों को अपने समुदाय के अंदर और बाहर दोनों तरफ से खतरा है।
मजेदार बात यह है कि लखनऊ बैंच में तीन जज थेए दो की एक राय और एक जज की अलग राय थी लेकिन तीनों की भाषा एक ही है। भाषिकगेम में उनकी अंतर्वस्तु में कोई बुनियादी अंतर नहीं है। तीनों जज बाबरी मसजिद के बारे में राम कथा की विवरणात्मक .कथात्मक भाषा का इस्तेमाल करते हैं। न्याय में इस तरह के भाषिकखेल के अपने अलग नियम हैं। उत्तर आधुनिक विचारक जेण्एफण्ल्योतार के अनुसार इस तरह के भाषाखेल
और कथानक के बारे में न्याय के आधार पर विचार नहीं किया जा सकता।
राम हमारे कथानक का हिस्सा हैं एकथानक में राम इतने ताकतवर हैं कि उनकी सत्ता को अस्वीकार करना मुश्किल है। लखनऊ बैंच के जजों ने रामकथानक को जजमेंट का आधार बनाकर न्याय की ही विदाई कर दी। कथानक के आधार पर न्याय नहीं हो सकता। कथानक भाषिकखेल का हिस्सा होता है न्याय का नहीं। जब आप कथानक के खेल में फंसे हैं तो उसे तोड़ नहीं सकते। न्याय पाने के लिए कथानक के खेल के बाहर आना जरूरी है लेकिन तीनों जज और उनके लिए जुटे वकीलों का समूचा झुंड रामकथानक को त्यागकर बाबरी मसजिद की बातें नहीं कर रहा है।
संघ परिवार की सबसे बड़ी सफलता यह है कि उसने बाबरी मसजिद विवाद को न्याय के पैराडाइम के बाहर कथानक के पैराडाइम में ठेल दिया है। अब राम कथानक के पैराडाइम में घुसकर आप संघ परिवार को पछाड़ नहीं सकते। राम कथानक के पैराडाइम के कारण ही बाबरी मसजिद का विवाद भाषिकगेम में फंस गया। कोई भी दल रामकथा को अस्वीकार नहीं कर सकता। रामकथा का भाषिकगेम सभी रंगत की राजनीति को हजम करता रहा है। यह टिपिकल पोस्ट मॉडर्न भाषिकगेम है। इस भाषिकगेम के बाहर निकलकर ही न्याय की तलाश की जा सकती है। लेकिन यदि रामकथानक के आधार पर बातें होंगी तो भाषिकगेम में फसेंगे और ऐसी अवस्था में जज कोई भी हो जीत अंततः संघ परिवार की होगी।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि भाषिकगेम हमेशा मिलावटी होता है। उसमें शुद्धता नहीं होती। रामजन्म के भाषिकखेल में भी मिलावट है। यह बहुस्तरीय मिलावट है। इस गेम में तैयार राम कहानी में न्याय के लिए भी सुझाव हैं और वेही सुझाव लखनऊ बैंच ने माने हैं। राम कहानी का भाषिकगेम जिन्होंने तैयार किया उन्होंने अपने विरोधियों को भी अपनी बातें मानने के लिए मजबूर किया
कथा का भाषिकखेल छलियाखेल है। वे इसके जरिए कांग्रेस को छल चुके हैंएराजीव गांधी को छल चुके हैं। अब उसी भाषिकगेम ने जजों को भी छला है। रामकथा के भाषिकगेम को संघ परिवार और भारत के पूंजीपतिवर्ग ने वैधता प्रदान की है और संघ परिवार ने रामगेम में जो कहा उस पर अपनी सिद्धाततः सहमति दी है व्यवहार में निर्णय लिया है। रामकथानक के भाषिकखेल की यह विशिष्ट उपलब्धि है।
न्यायपालिकाएराजनीतिक दलों और जनता से कहा जा रहा है कि राममंदिर अयोध्या में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा। न्यायपालिका की जिम्मेदारी बनती है कि वह रामकथा की पवित्रता की रक्षा करे। यही वह दबाब है जिसके गर्भ से लखनवी न्याय आया है।
लखनवी न्याय के आने के साथ ही रामकथा पर न्याय की भी मुहर लग गयी है। अब राम कथा भी कानूनी हो गयी है। अब राम जन्म को कानूनी मान्यता मिल गयी है। इस कानूनी मान्यता के बड़े दूरगामी परिणाम होंगे। यह न्याय की भाषा के बदलने की सूचना भी है।
रामकथानक की आंतरिक प्रकृति है ष्रिपीट मीष्ए संघ परिवार ने बड़े ही कौशल के साथ रामकथा को अपना विचारधारात्मक अस्त्र बनाया है और रामकथा को बार.बार दोहराने के लिए सबको मजबूर किया और उसका प्रभाव जजमेंट में भी पड़ा है अब भविष्य में अन्य जजों पर यह दबाब रहेगा कि ष्रिपीट मीष्।
आप राम कहानी को पढ़ने जाते हैं तो उसे दोहराने को मजबूर होते हैं। अब रामकथा और आस्था के आधार पर न्याय आया है तो यह भी दोहराने की मांग करेगा और अब हम भविष्य में एक नए किस्म के न्याय से मुखातिब होंगे जिसका आधार रामकथा या ऐसी ही कोई पौराणिक या मिथकीय कथा होगी जिसके आधार न्याय का पाखंड रचा जाएगा। इस तरह की बेबकूफियां अनेक इस्लामिक देशों में होती रही हैं। धार्मिक कथानकों और
मान्यताओं के आधार पर वहां पर न्याय होता रहा है और इससे न्याय घायल हुआ है। संभवतःहम राम मंदिर बनाने के बहाने फंडामेंटलिज्म के मार्ग पर चल पड़े हैं।

हमारे अनेक ब्लॉग पाठक आस्था के आधार पर हाल ही में आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले पर मुग्ध हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि वे राम.राम जपते.जपते इस भवसागर को आसानी से पार कर जाएंगे। आस्था को इन लोगों ने तर्कएविज्ञानए आधुनिक न्यायएसंविधान आदि सबसे ऊपर स्थान दिया है।
संघ परिवार आस्था के आधार पर आम लोगों को बेबकूफ बनाने में लगा हैए मेरे ब्लॉगर दोस्त आस्था के नशे में डूबे हैं उन्हें अब राम मंदिर दे ही दिया जाए और एक राम मंदिर नहीं सारे देश को राम मंदिर में तब्दील कर दिया जाए।
देश की सारी जनता से कहा जाए कि वह अपने घरएइमारतएस्कूलएकॉलेज.विश्वविद्यालयए न्यायालयएविज्ञान की प्रयोगशालाएं आदि सबको राम मंदिर में तब्दील कर दे। जनता सड़कों पर रहेएखुले आसमान के नीचे रहे। हम सबके घरों को भव्य राम मंदिरों में रूपान्तरित कर दिया जाए।
संघ परिवार और रामभक्तों को इस देश में प्रत्येक इमारत को भव्य राम मंदिर में रूपान्तरित करने का जिम्मा दे दिया जाए। सारा देश राम का है और रामभक्तों का है। राम और राम भक्तों को तो भारत में सिर्फ राममंदिर चाहिए चाहे उसके लिए कोई भी कीमत देनी पड़े। वे बच्चों की तरह राम लेंगे .राम लेंगे की रट लगाए हुए हैं। हम चाहते हैं कि इस प्रस्ताव पर सभी रामभक्त गंभीरता से सोचकर जबाब दें कि
देश की सभी इमारतों को भव्य राम मंदिर में रूपान्तरित क्यों कर दिया जाए।
हम अब कुछ पैदा करेंगेए ज्ञान की बातें करेंगेएन रेशनल बातें करेंगेएन विज्ञान की चर्चा करेंगेएहम पढ़ेंगे ओर लिखेंगे। इंटरनेटएटीवीएरेडियो आदि का धंधा भी बंद कर दिया जाए सिर्फ राम धुन होगीएराम की इमेज होगी। अधिक से अधिक सरसंघचालक के कुछ अमरवचन होंगे जिन्हें हम सुनेंगे और धन्य हो धन्य हो करेंगे।
आस्था में राम हैं। सारे वातावरण में राम हैं। यह देश राम का है और राम के अलावा इस देश में किसी भी देवी.देवता और मनुष्य की आस्था का कोई महत्व नहीं होगा। राम के प्रति आस्था के खिलाफ कोई अगर जुबान खोलेगा तो उसका वध होगा। राम हमारी राष्ट्रीय आस्था के प्रतीक हैं अब आगे से हम राम का ही उत्पादन और पुनरूत्पादन करेंगे।
राम घरों में रहेंगे मनुष्यों घरों के बाहर रहेगें। वैज्ञानिकोंएइंजीनियरोंएवकीलोंए न्यायाधीशोंए अध्यापकोंएआस्तिकों.नास्तिकोंएनागरिकों और सभी किस्म के पेशवर लोगों को उनके धंधे से हटा दिया जाएगा अब आगे से हम सिर्फ आस्था खाएंगेएआस्था पीएंगे आस्था में जीएंगे। अब इस देश में सिर्फ रामभक्त रहेंगे। जो रामभक्त नहीं हैं वे अपने लिए अन्य देश खोज लें और हमारे राम जो भारत के बाहर
अन्य देशों में चले गए हैं वहां से हम सभी राम मूर्तियों को ले आएंगे। राम को हम विदेशों में नहीं रहने देंगे। गुस्ताखी देखो की जब एकबार भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के महाज्ञानी पुरातत्व विशेषज्ञों ने बता दिया और उस पर लखनऊ न्यायालय के न्यायसंपन्न न्यायाधीशों ने मुहर लगा दी कि राम का जन्म कहां हुआ था तो इस बात को तो दुनिया की अब तक की सबसे महान खोज मान लिया जाना चाहिए
और जो लोग नहीं मान रहे हैं उनकी व्यवस्था वैसे ही की जाए जैसी रामजी ने राक्षसों की कीथी।
हमें खुश होना चाहिए कि हमारा देश सिर्फ राम का है यहां राम और रामभक्तों के अलावा किसी की नहीं चलेगी। हमारे यहां संसदएअदालतएसंविधान और उसमें प्रदत्त नागरिक अधिकारों का अब कोई महत्व नहीं रह गया है अब राम हमारे देश में जन्म ले चुके हैं और हमें उन सैंकड़ों.हजारों किताबों को आग के हवाले कर देना है जो राम के विभिन्न किस्म के रूपों की चर्चा करती हैं। उन विद्वानों को रामभक्तों की
कैद में ड़ाल देना है जो राम को नहीं मानतेएराम जन्म को नहीं मानते। अयोध्या को तो अब रामभक्त एकदम स्वर्ग बनाकर छोडेंगे और भारत को रामराज्य और स्वर्गलोक। हम चाहते हैं कि रामभक्त और संघ परिवार जल्दी से जल्दी मिशन राम मंदिर को सारे राष्ट्र में साकार करे हो सके तो रातों .रात रामजी से मिलकर सभी इमारतों को राममंदिर में तब्दील करा दें। जब देश राम और देशवासी राम के तो किसी
तर्कएविवेकएविज्ञानएन्याय आदि के आधार पर सोचना नहीं चाहिए। जय श्री राम।


जगदीश्वर चतुर्वेदी
संपर्क
jagadishwar_chaturvedi@yahoo.co.in
साभार
hastakshep.com

2 पाठकों ने अपनी राय दी है, कृपया आप भी दें!

  1. ---एक अविचारशील आलेख,

    १.---कि इसमें न्याय बुद्धि से काम नहीं लिया गया। यह भारत के अब तक के न्याय पैमाने को अमान्य करके लिखा गया फैसला है।
    लखनऊ बैंच के जजों का फैसला इसी अर्थ मेंन्याय नहीं राय है।-----क्या यह न्यायालय की अवमानना नही है, क्या लेखक विद्वान जजों से अधिक कानून के जानकार व ग्यानवान है?


    २.-न्याय में कनवर्जेंस नहीं होता---क्या सर्वसम्मति से फ़ेसला गलत होता है , क्या यह मूर्खतापूर्ण बात नहीं है।

    ३.-
    अल्पसंख्यक समूह कभी भी बहुसंख्यक नहीं बन सकता है। ----क्या बताएंगे कि क्यों अल्पसन्ख्यक , बहुसंख्यक बनें? क्या बहुसंख्यक अशक्त बन जायें।

    ४-अब अल्पसंख्यकों के पक्ष में खड़े होने के लिए जिस दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है उसका राजनीतिक दलों से लेकर न्यायाधीशों तक में जबर्दस्त अभाव दिखाई देता है।
    ------इच्छा शक्ति जनता में होती है--राज्य, शासन, व न्याय -किसी भी कार्य के लिये अपनी इच्छा शक्ति से नहीं अपितु उचित तथ्यों व न्याय के अनुसार कार्य करते हैं।
    ५.-क्या बाबर को चतुर्वेदी जी ने देखा है, क्या प्रमाण है कि कोई बाबर नाम का व्यक्ति था भी, जैसे बाबर भी एक आस्था ही है वैसे ही राम --और राम बहुसंख्यकों की व बाबर से करोडों वर्ष पहले।----मष्तिष्क--द्वार खोलें एसे अतर्क्य लेखक।

  2. जब आस्था पर फैसले और इंसाफ होने लगे गें तो देश क्या होगा अभी तो हम नक्सल माओ व आतंकवाद से ग्रस्त हैं बाद में न जाने कितने वाद हो जाये पता नहीं , जब आस्था पर न्याय करना था तो ६० साल की नौटंकी चलाने की क्या ज़रुरत थी , इतना पैसा बर्बाद करना देश को एक गलत कम में उलझाये रखना उस से भी बड़ा जुर्म है अगर सही मामले में अपना देश धर्म निरपेक्ष और लोकतान्त्रिक होता तो इन जज महोदय से ज़बरदस्त पूछताछ होती
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Tips & Tricks WILDLIFE aag aankh aarati ajadee alankar alvida aman ka paigham amrit anchal anugeet chhand arab india relation arth asmyik hindi kavita atal biharee ayodhya balidan banee basant bhagat azad. bhajan bhasha bhav bimb bhojpuree bhojpuri doha bhoo bhopal book review bundelee chatushpadee chhatisgarhee chunautiyan chunav creation creatior daman dandkala chhand dard dard una ladakon ka desh dharm aur lekhan dhool dhuaan dil doha gazal dohe durmila chhand educational institute in india elegy emaan falak fasal galib ganesh datt sarasvat gantantra divas garal gas treagedy geeta chhand geetika ghalib gulf news haiku hamara dharm harish singh harsh hindee ke haiku hindi laghu katha hindi short story. kargil hindi shortstory hindi smriti geet hinsa aur ham http://sajiduser.blogspot.com/ http://www.sajiduser.blogspot.com/ imarat. india is great india. indian women and arabian shekh indipendence day jabalpur. jannah is man's destination jantantra jhulna chhand kabeer kaikeyee kamand chhand kamlinee kamroop chhand khalish khazana. kiran kriti charcha laghukatha lakhnaoo laloo laxmi lay lokneeti. loktantra lotus love manav mandir manhagaayee marhatha chhand maut meeran krishna megh mekal mirza ghalib narmada neta pakistan pita father's day prakriti prarthna pratibandh pratibha prem pyar quran and gayatri mantra rachna rachnakar radha rajneeti ram janm bhoomi ras sabab sada sakhee salgirah. sanjiv sansadji.com saraswati sat satyagrahee. sanjiv 'salil' shaheed shakeel badyoonee ship shiv shok geet shok samachar sincerity in intention sitasat siya soniya gandhi stuti sundar svasthya aur uchit ilaj svatantrata swaroopanand tadbeer talent. tam taqdeer the world is not enough tomorrow may be or not may be toofan tribhangi chhand ujala ummeed ved and quran ved mantra veenapanee vidyarthiji vivadit maamale aur ham vivek ranjan wildlife DUDHWA अ ध्यक्ष अंग्रेज़ी अंचरा अंतराग्नि अंतर्द्वंद्व अंतर्मंथन अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन अंतस अंधविश्वास अंशकालिक अनुदेशक अखंडता अगीतायन अग्ने अग्रवाल अचेतन अठखेली अति सुखा अभिलाषा अतीत अतुकांत कविता अदा अदावत अनमन अनवर जमाल अनाहत नाद. अनाहिता अनुकूला छंद अनुप्रास अनैतिकता अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस अन्धविश्वास अन्न अन्नकूट अन्ना हज़ारे अन्य कविताएँ अप:तत्व अपरा-शंभु संयोग अपराधीकरण अपशब्द अभिभावक अभियंता अभियान २६-२-२०२१ अभेद बुद्धि अमरकंटक छंद अमरेंद्र अनारायण अमोघ अस्त्र अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर' अरमां अर्धनारीश्वर अल्पना अल्लाह अवतार अशांति अशोभनीय - धन अश्वती तिरुनाळ गौरी लक्ष्मीभायी असार असीम आस्था अहं आँख आँवला आंकिक उपमान आंसू आचार्य भगवत दुबे आचार्य संजीव वर्मा "सलिल" आज आजादी आणविक परिवार आतंक की समस्या आतंक हैरान नज़रें आदत आदि-वाणी आदिशक्ति आभा सक्सेना आभूषण आरक्षण आर्टेमिस आलिंगन आलेख- मत करें उपयोग इनका आल्हा गीत भारतवारे बड़े लड़ैया आवश्यक सूचना आशनां आस्था आज़ाद शहीद दिवस इंडियन जिओटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर इंडियन ब्लॉगर्स असोसिएशन इच्छा इच्छाएं इन्डली इन्डियन धारावाहिक इन्डिया गेट इमली ईषत इच्छा उ. प्र. राजनीति के ये घोटाले उक्ति उचित मार्ग उत्तर प्रदेश असोसिएसन उत्तर प्रदेश का सच उत्तर प्रदेश ब्लॉगर्स एसोसियेशन उदारीकरण उदासीनता उधार उपन्यासकार और पटकथा उमन्ग उर्दु उल्लाला छंद उषा ऋचाएं ऋतु ऋषि ऋषि अनंग एक तत्व एक रचना आगे मत जा एकाक्षरी श्लोक एतबार एश्वर्य एसिड की शीशी एसे गीत ऐसी तान ओउम ओमप्रकाश तिवारी औरत क्या है कंगना कछारन कथा निराली | कथा-गीत बूढ़ा बरगद कन्घा कन्या भ्रूण-हत्या कब क्या : जनवरी कब्र कर्नाटक कलम कलियुग के मोहन कलुष कल्पना कल्पना रामानी कवि लखनऊ कविता दिया २ कविता दुबे कवित्त कांता रॉय जबलपुर में कागतन्त्र है कागज़-कलम कानून काफिया काम-सृष्टि कामनाएं कामरूप छंद कामिनि कायदे कायस्थ कारण कारण-ब्रह्म कारोबार कार्य कार्यशाला दोहा से कुण्डलिया कार्यशाला : मुक्तक कार्यशाला दोहा से कुण्डलिया कार्यशाला पद कार्यशाला- ​​​​छंद बहर का मूल है- २ कार्यशाला: दोहा - कुण्डलिया कालकांज काव्य और छंद काव्य गोष्ठेी काव्य छंद काव्य शाला काव्यानुवाद किसान किसान माहिया कीर्तिदा कुंभ कुञ्ज गली कुरआन कृष्ण कुमार "बेदिल" कृष्ण कुमार 'बेदिल' कृष्णमोहन छंद कोरोना कौन क्यूं न हुआ क्रमिक विकास क्षणिका खुरचहा पति खुशबू खुशियों की थिरकन खुशी खेल-व्यवसाय खेळ खौफ गंगटोक सवैया गंगा दोहा गंगोदक सवैया गणतंत्र गणतंत्र दोहे गणितीय मुक्तक गरिमा सक्सेना गरीबी ग़ज़ल अंदाज़े-बयाँ गाँव की गोरी गांव की समस्या; लेख;शिव गाय की रोटी गाली गीत चिरैया गीत - सियाहरण गीत : नया साल गीत अम्बर का छोर गीत काम तमाम तमाम का गीत कौन हैं हम? 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नवगीत गोल क्यों? नवगीत घोंसले में नवगीत छोडो हाहाकार मियाँ! नवगीत जगो सूर्य आता है नवगीत त्रिपदिक नवगीत दर्पण का दिल नवगीत दिवाली नवगीत नव वर्ष नवगीत नागफनी उग आयी नवगीत निर्माणों के गीत नवगीत पहले गुना नवगीत भटक न जाए नवगीत भीड़ में नवगीत मिली दिहाडी नवगीत में नए रुझान नवगीत राम बचाए नवगीत रार ठानते नवगीत लोकतंत्र का पंछी नवगीत वह खासों में खास है नवगीत शिव नवगीत संक्रांति काल है नवगीत संग्रह नवगीत सत्याग्रह के नाम पर नवगीत समय वृक्ष नवगीत समीक्षा नवगीत सड़क पर नवगीत सड़क पर... नवगीत: उगना नित नवगीत: उड़ चल हंसा नवगीत: दीन प्रदर्शन नवगीत: नाम बड़े हैं नवगीत: भाग्य कुंडली नवगीत: लोकतंत्र का पंछी बेबस नवगीत: कुण्डी खटकी नवगीत: छोडो हाहाकार मियाँ! नवगीत: बजा बाँसुरी नवगीत: भारत आ रै नवगीत: रब की मर्ज़ी नवभारत टाईम्स नशा नाक की सर्जरी नाग नाभिक ऊर्जा नारि नारी मुक्ति नारी-भाव नाश प्रकृति का निर्निमेष निर्विकार निष्काम कर्म निष्ठुरता नीति व्यवहार नीति-नियम नीति-व्यवहार नीलकंठ नेकियां नेह नर्मदा तीर पर नेह-नाता नैतिकता नैन-डोर नैना नौ कन्या न्यू-ईयर गिफ्ट नज़र नज़ारा पंचौदन अजः पद चिन्ह पद-चिन्ह पद्मिनी परब्रह्म परम-पिता परमाणु परमानंद परमार्थ परलोक परहित पराग पराया-धन पल- छिन पशु पहलू पाँच पर्व पायल पिचकारी पीयूषवर्ष छंद पीर पुरुषार्थ पुरोवाक : यह बगुला मन पुरोवाक ओस की बूँद पुरोवाक केरल एक झाँकी पुरोवाक बुधिया लेता टोह पुरोवाक् पुलिस पूजा पूर्ण-ब्रह्म पूर्णकाम पृथ्वी पैरोडी पोखर ठोके दावा प्यार प्रकृति प्रकृति दोहन प्रकृति बादल प्रजापति प्रणम्य शहीद प्रणय प्रणय -दीप प्रणय के पल प्रतिकण प्रतियोगिता प्रत्रकार प्रदूषण प्रभाव प्रभु प्रभु ज्ञान प्रश्न मन के प्राण शर्मा प्रातस्मरण स्तोत्र प्रिय प्रवास प्रीति के रंग प्रीति-चलन प्रेम के छःलक्षण प्रेम प्याला प्रेम ममता फरवरी कब क्या? 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आप सभी को हर्ष और बधाई के साथ यह सूचना देना चाहता हूँ कि LBA अपनी सफलता के उस मुक़ाम तक आ चुका है कि इसकी सदस्यता संख्या अपने चरण तक पहुँच चुकी है और जो ब्लॉगर्स बन्धु इससे जुड़ने की इच्छा रख रहे हैं और जिनके मेल मुझे मिल रहे हैं उसको मद्देनज़र रखते हुए नयी सदस्यता के इच्छुक ब्लॉगर्स को एक और भी शक्तिशाली और नया मंच का गठन आज किया जा रहा है जिसका नाम है 'ऑल इंडिया ब्लॉगर्स असोसिएशन' अर्थात AIBA ! इस मंच का हिस्सा सभी भारतीय बन सकते है, फ़िर चाहे वे दुनिया के किसी भी कोने में रह रहें हों !!!
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