गंभीर अपराधों के मामलों में उत्तर प्रदेश पुलिस की विवेचना अपराधियों के घर से ही शुरू होती है और तरह-तरह की वसूली के बाद उनकी मदद की जाती है। अपराधी जब पैसा नहीं देते हें तो उनके नातेदारों, रिश्तेदारों तक की पिटाई की जाती है। रात में तलाशी के नाम पर रुपया, पैसा, जेवर गहना लूट लेना यह आम सी बात है। यदि अपराधी ने उनकी मांगें पूरी कर दी तो कंधे पर बैठा कर एक किलोमीटर के रास्ते को पूरा करने में पांच जगह रोक कर मिठाइयाँ खिलाते हुए न्यायलय के सामने पेश करेंगे अन्यथा अपराधी की हड्डी पसली एक करते हुए अदालत के समक्ष ले जायेंगे। पुलिस विभाग के उच्च अधिकारी चाहे जैसे भी दावे करें उनके दावों में दम नहीं है। हमारे समाज की एक मशहूर कहावत है कि सैयां भये कोतवाल तो अब डर कहे का।
सुमन
लो क सं घ र्ष !
गंभीर मुद्दा उठाया है , उत्तरप्रदेश पिछड
रहा है मायावती का बैंक बैलेंस बढ़ रहा है
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सुमन जी
नमस्ते !
आपके इस लेख से आज इस विभाग की आज की वस्तुस्थिति बयान हो रही है यह वाकई शर्मनाक है हम सभी को अब स्वयं में ही सुधरना होगा ......तभी अपने देश का कल्याण हो सकता है .....जय हिंद .......जय हिन्दुस्तानी .........
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