'शांति के लिए वेद कुरआन' पे मैंने एक लेख लिखा तो मुझे उस लेख पर एक मूर्धन्य ब्लागर भाई ज़ीशान की टिप्पणी मिली।
उन्होंने ताज्जुब ज़ाहिर किया कि शांति के लेख पर इतनी कम टिप्पणियाँ ?
मैंने उन्हें जवाब दिया कि-
@ ज़ीशान भाई !
शुक्रिया ,
आपका यह एक कमेन्ट हिंदी ब्लागर्स की बौद्धिकता को बेनक़ाब करने के लिए काफी है ।
जब अनवर जमाल इन्हें दौड़ा लेता है तो ये कहते हैं कि अनवर जमाल शांति की बात नहीं करता और जब वह शांति का पैग़ाम देता है तो ये दो लफ़्ज़ लिखना पसंद नहीं करते ।
अभी मैं इनमें से किसी का ब्लागीय कोर्ट मार्शल कर दूं तो आएंगे भागे भागे और 80 कमेन्ट कर देंगे।
यह प्रवृत्ति ग़लत है।
अगर लोग चाहते हैं कि अनवर जमाल उन्हें दौड़ाना बंद कर दे तो कम से कम उसके अविवादित लेखों को तो पढ़ो और सराहो ताकि वह उसी तरह के लेखन में आगे बढ़ सके।
उसे हतोत्साहित करने या डराने की कोशिश ख़ुद षडयंत्रकारियों के लिए ही घातक सिद्ध होगी।
अनवर के लेखन की शैली को बदलना ख़ुद बहुसंख्यक ब्लागर्स के हाथ में है ।
उन्हें सोचना चाहिए कि वे अनवर जमाल को किस तरह के लेख लिखते देखना चाहते हैं ?
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