प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयाँ करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की...। प्यार भरा यह दिन खुशियों का प्रतीक माना जाता है और हर प्यार करने वाले शख्स के लिए अलग ही अहमियत रखता है।
14 फरवरी को मनाया जाने वाला यह दिन विभिन्न देशों में अलग-अलग तरह से और अलग-अलग विश्वास के साथ मनाया जाता है। पश्चिमी देशों में तो इस दिन की रौनक अपने शबाब पर ही होती है, मगर पूर्वी देशों में भी इस दिन को मनाने का अपना-अपना अंदाज होता है।
जहाँ चीन में यह दिन 'नाइट्स ऑफ सेवेन्स' प्यार में डूबे दिलों के लिए खास होता है, वहीं जापान व कोरिया में इस पर्व को 'वाइट डे' का नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं, इन देशों में इस दिन से लगाए पूरे एक महीने तक यहाँ पर लोग अपने प्यार का इजहार करते हैं और एक-दूसरे को तोहफे व फूल देकर अपनी भावनाओं का इजहार करते हैं।
प्यार का दिन, प्यार के इजहार का दिन। अपने जज्बातों को शब्दों में बयाँ करने के लिए शायद इस दिन का हर धड़कते हुए दिल को बेसब्री से इंतजार होता है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, प्यार के परवानों के दिन की, वेलेंटाइन-डे की...।
इस पर्व पर पश्चिमी देशों में पारंपरिक रूप से इस पर्व को मनाने के लिए 'वेलेंटाइन-डे' नाम से प्रेम-पत्रों का आदान प्रदान तो किया जाता है ही, साथ में दिल, क्यूपिड, फूलों आदि प्रेम के चिन्हों को उपहार स्वरूप देकर अपनी भावनाओं को भी इजहार किया जाता है। 19वीं सदीं में अमेरिका ने इस दिन पर अधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित कर दिया था।
यू.एस ग्रीटिंग कार्ड के अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में प्रति वर्ष करीब एक बिलियन वेलेंटाइन्स एक-दूसरे को कार्ड भेजते हैं, जो क्रिसमस के बाद दूसरे स्थान सबसे अधिक कार्ड के विक्रय वाला पर्व माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि वेलेंटाइन-डे मूल रूप से संत वेलेंटाइन के नाम पर रखा गया है। परंतु सैंट वेलेंटाइन के विषय में ऐतिहासिक तौर पर विभिन्न मत हैं और कुछ भी सटीक जानकारी नहीं है। 1969 में कैथोलिक चर्च ने कुल ग्यारह सेंट वेलेंटाइन के होने की पुष्टि की और 14 फरवरी को उनके सम्मान में पर्व मनाने की घोषणा की। इनमें सबसे महत्वपूर्ण वेलेंटाइन रोम के सेंट वेलेंटाइन माने जाते हैं।
1260 में संकलित कि गई 'ऑरिया ऑफ जैकोबस डी वॉराजिन' नामक पुस्तक में सेंट वेलेंटाइन का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार शहंशाह क्लॉडियस के शासन में सेंट वेलेंटाइन ने जब ईसाई धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था, तो क्लॉडियस ने उनका सिर कलम करने के आदेश दिए।
कहा जाता है कि सेंट वेलेंटाइन ने अपनी मृत्यु के समय जेलर की नेत्रहीन बेटी जैकोबस को नेत्रदान किया व जेकोबस को एक पत्र लिखा, जिसमें अंत में उन्होंने लिखा था 'तुम्हारा वेलेंटाइन'। यह दिन था 14 फरवरी, जिसे बाद में इस संत के नाम से मनाया जाने लगा और वेलेंटाइन-डे के बहाने पूरे विश्व में निःस्वार्थ प्रेम का संदेश फैलाया जाता है।
आइये हम सब मिलकर इस निःस्वार्थ प्रेम को सारे जहा में फैलाएं ताकि द्वेष, इर्ष्या,कटुता हमारे समाज से मिट जाय और एक सुखद वातावरण पैदा हो.
आप सभी को वेलेंटाइन-डे पर हार्दिक शुभकामनायें.
bahut achchhi gyanvardhak post.aabhar..
वैलेंटाइन डे और प्यार के नाम पे अनैतिक सम्बन्ध Valentine day
----प्रश्न तो यह है कि सभी देशों के मदन-पर्व की भांति अपने यहां भी बसंत पर्व...मदनोत्सव...होली ..प्यार के दिवस हैं...फ़िर हम क्यों विदेशी पर्व को मनायें.....
---निस्वार्थ-प्रेम तो प्रति-दिन होना चाहिये ...एक दिन क्यों...पर लडके-लडकियों का, खुले आम साथ साथ घूमना..मौज़-मस्ती मनाना कौन सा निस्वार्थ प्रेम है...
--यह सब बाज़ार-व्यापार की बात है कि ..उद्देश्यहीन नासमझ युवा पीढी को नये-नये कार्ड, पुष्प, गुलदस्ते, महंगी गिफ़्ट आदि दुगुने-चौगुने दाम पर बेच कर मूर्ख बनाओ....
शालिनी जी धन्यवाद, मासूम भाई आपका लेख पढ़ा, अच्छा ही नहीं बहुत अच्छा लगा. आज के ज़माने में प्रेम का मतलब ही लोग गलत लगाने लगे हैं.
डॉ. श्याम भाई देखा जाय तो सभी त्योहारों का मतलब ही लोग गलत लगाने लगे है. जब हम किसी चीज को अपनाते है तो उसकी अच्छाईया देखकर किन्तु वही अच्छाईयों का रूप जब विकृत हो जाता है तो वह गलत लगने लगता है. होली भी मस्ती का त्यौहार है किन्तु आज उसमे व्याप्त हो चुकी फूहड़ता क्या सन्देश देती है. लोग वहा भी मौके का फायदा उठाते है. मासूम भाई का लेख वैलेंटाइन डे और प्यार के नाम पे अनैतिक सम्बन्ध Valentine daय में जो लिखा है वह हमें अच्छा लगा निश्चय ही टी. वी. व फिल्मो में दिखाई जा कहानिया ही युवाओ को पथभ्रष्ट करती है और दोषी त्यौहार बन जाता है. रही बात व्यवसायिकता की तो वह हर जगह है. हम में से कितने लोग ऐसे है जिन्हें पता नहीं हमारा नया वर्ष कब आता है और अंग्रेजी महीने को मनाने में जोर शोर से जुट जाते है. अच्छाईया चाहे जिस धर्म में हो उसे स्वीकार करना चाहिए और बुराईयों का विरोध करना चाहिए.
आइये हम सब मिलकर इस निःस्वार्थ प्रेम को सारे जहा में फैलाएं ताकि द्वेष, इर्ष्या,कटुता हमारे समाज से मिट जाय और एक सुखद वातावरण पैदा हो.
आमीन...