कैसे कैसे लोग हैं दुनिया में ?
प्यार को नफरत और एकता को फूट बताते हैं ?
ऐसे ही एक भाई हैं श्री मनोज पाण्डेय जी .
अपने ब्लाग पर एल बी ए के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं कि
एल बी ए में कोई विखंडन की हालत अभी तक तो है नहीं. आप खामख्वाह अफवाह उड़ाकर ज़रूर अपनी यह ख्वाहिश जता रहे हैं कि आप
एल बी ए में विखंडन देखना चाहते हैं.
१- ऑल इंडिया ब्लागेस असोसिअशन बनाई है खुद भाई सलीम खान ने .
२-उत्तर प्रदेश ब्लागेर्स एसोसिअशन बनाई है भाई हरीश जी ने और उसका प्रचार भी भाई सलीम खान की मर्जी से एल बी ए पर ही किया जा रहा है .
इसे आप फूट कहेंगे या फिर प्यार की बेनजीर मिसाल जो किआप को हज़म नहीं हो रही है. भाई हरीश के ब्लाग का एक सदस्य मैं खुद भी हूँ .
३- हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेश्नल को मालिक के फ़ज़ल से मैंने वुजूद बख्शा है और मैं एल बी ए का कोई पदाधिकारी नहीं हूँ जैसा कि आप झूठ बोलकर यहाँ भ्रम फैला रहे हैं.
खुद आपका यह 'प्रगतिशील ब्लाग लेखक संघ' एल बी ए की तथाकथित उठा पटख का नतीजा है और इसी का नाम आपने लिखा नहीं.
अब यह भी देख लीजिये कि आपका ब्लाग तो आपने नाम को भी सार्थक करने में नाकाम है . आपके ब्लाग पर पुराणों कि कहानियाँ लिखने वाले लेखक भी पुराण कथा लिखते रहते हैं .
क्या प्रगतिशील लेखक यह सब करते हैं ?
आप ब्लाग लिखें , हिंदी और हिन्दुस्तान कि सेवा करें लेकिन अपने दिल के छाले न फोड़ें और दूसरों पर कीचड़ न उछालें, ख़ासकर मुझ पर.
यह आपकी पहली ग़लती है इसलिए प्यार से समझा रहा हूँ वरना सारी प्रगतिशीलता मूलाधार चक्र के पास समाहित कर दी जाएगी.
आपने अनायास ही हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेश्नल का प्रचार किया , इसके लिए आपका धन्यवाद.
आप यह टिप्पणी पब्लिश न भी करेंगे तो मैं खुद ही इसे मंज़रे आम पर ले आऊंगा .
please see
http://pragatishilblogwriter.blogspot.com/2011/02/blog-post_3534.html?showComment=1298044439889#c476665933121634701
प्यार को नफरत और एकता को फूट बताते हैं ?
ऐसे ही एक भाई हैं श्री मनोज पाण्डेय जी .
अपने ब्लाग पर एल बी ए के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं कि
रवीन्द्र प्रभात जी के एल.बी. ए. अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद एल. बी. ए. में बिखंडन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है और उससे जुड़े हुए पदाधिकारियों की छुपी हुयी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा अब बाहर आने लगी है, जिसका परिणाम है ऑल इंडिया ब्लोगर असोसिएशन, उत्तर प्रदेश ब्लोगर असोसिएशन, हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम आदि की स्थापना !
तो भाइयो और बहनो ! हम किसी झूठ बात को झूठ कहने से न डरते हैं और न ही बचते हैं . सो हमने तुरंत एक्शन लिया इस दुष्प्रचार के खिलाफ़ और
हमने साफ़ कह दिया कि
@ भाई मनोज पाण्डेय जी ! रवींद्र जी ने अपना पद छोड़ दिया , यह उनकी मर्ज़ी थी .हमने साफ़ कह दिया कि
एल बी ए में कोई विखंडन की हालत अभी तक तो है नहीं. आप खामख्वाह अफवाह उड़ाकर ज़रूर अपनी यह ख्वाहिश जता रहे हैं कि आप
एल बी ए में विखंडन देखना चाहते हैं.
१- ऑल इंडिया ब्लागेस असोसिअशन बनाई है खुद भाई सलीम खान ने .
२-उत्तर प्रदेश ब्लागेर्स एसोसिअशन बनाई है भाई हरीश जी ने और उसका प्रचार भी भाई सलीम खान की मर्जी से एल बी ए पर ही किया जा रहा है .
इसे आप फूट कहेंगे या फिर प्यार की बेनजीर मिसाल जो किआप को हज़म नहीं हो रही है. भाई हरीश के ब्लाग का एक सदस्य मैं खुद भी हूँ .
३- हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेश्नल को मालिक के फ़ज़ल से मैंने वुजूद बख्शा है और मैं एल बी ए का कोई पदाधिकारी नहीं हूँ जैसा कि आप झूठ बोलकर यहाँ भ्रम फैला रहे हैं.
खुद आपका यह 'प्रगतिशील ब्लाग लेखक संघ' एल बी ए की तथाकथित उठा पटख का नतीजा है और इसी का नाम आपने लिखा नहीं.
अब यह भी देख लीजिये कि आपका ब्लाग तो आपने नाम को भी सार्थक करने में नाकाम है . आपके ब्लाग पर पुराणों कि कहानियाँ लिखने वाले लेखक भी पुराण कथा लिखते रहते हैं .
क्या प्रगतिशील लेखक यह सब करते हैं ?
आप ब्लाग लिखें , हिंदी और हिन्दुस्तान कि सेवा करें लेकिन अपने दिल के छाले न फोड़ें और दूसरों पर कीचड़ न उछालें, ख़ासकर मुझ पर.
यह आपकी पहली ग़लती है इसलिए प्यार से समझा रहा हूँ वरना सारी प्रगतिशीलता मूलाधार चक्र के पास समाहित कर दी जाएगी.
आपने अनायास ही हिंदी ब्लागर्स फोरम इंटरनेश्नल का प्रचार किया , इसके लिए आपका धन्यवाद.
आप यह टिप्पणी पब्लिश न भी करेंगे तो मैं खुद ही इसे मंज़रे आम पर ले आऊंगा .
please see
http://pragatishilblogwriter.blogspot.com/2011/02/blog-post_3534.html?showComment=1298044439889#c476665933121634701
यदि कोई भी व्यक्ति कहे की LBA में उठा पटक मची या फूट पड़ी तो यह नितांत गलत बात है. LBA कोई संगठन नहीं बल्कि एक परिवार है और परिवार में प्यार, गुस्सा, नाराजगी होनी नाजायज बात नहीं है. दुनिया का कौन सा परिवार है जहा विवाद नहीं होते. और यहाँ पर किसी का आपसी विवाद नहीं था, यह एक वैचारिक विवाद था और ऐसे विवाद हमेशा होते रहेंगे उन्हें रोक पाना किसी के वश की बात नहीं. यह अलग बात है की अनवर भाई ने रविन्द्र जी को ललकारा था. जिस पर मैंने आह्वान किया था की सभी पदाधिकारी कुछ कहे. कुछ लोंगो ने अपने विचार रखे भी किन्तु रविन्द्र जी नहीं आये और आये भी तो उस परिवार के मुखिया की तरह जो उस समय मैदान छोड़कर भाग जाता है. जब उसकी आवश्यकता पूरे परिवार को रहती है. वे परिवार के मुखिया थे, उन्हें लोंगो को समझाना था न की मैदान छोड़ कर भाग जाना. रविन्द्र जी की मैं बहुत इज्ज़त करता हू. उन्हें मैंने पढ़ा है वे एक विद्वान व्यक्ति है. किन्तु उन्होंने जो हरकत की उससे विदित होता है की वे उस पद के लायक ही नहीं थे. जो व्यक्ति इतनी छोटी सी बात से घबरा जाय उसे हम क्या कहेंगे, हो सकता है की अनवर भाई के मन में कुछ पीड़ा रही हो. क्या उसे समझने का प्रयास उन्होंने किया . कदापि नहीं.
दूसरी बात..... LBA एक परिवार है, परिवार के सदस्यों में मनमुटाव हो सकता है किन्तु फूट कदापि नहीं. वह हमेशा मजबूत रहा है और दिनोदिन मजबूत भी होता रहेगा. रही बात उत्तरप्रदेश ब्लोगेर असोसिएसन की तो वह एक मकसद के तहत बना है. और वह मकसद क्या है आने वाले दिनों में पता भी चल जायेगा. वह भी LBA के माध्यम से. यदि हमारे मन में कोई छल कपट होता तो जो लोग हमें जयचंद तक कहे उनकी बातों का सही जबाब देता किन्तु मेरा भाई अगर गलत फहमी का शिकार हो जाय तो हमें उस पर गुस्सा नहीं आता बल्कि उसकी नादानी पर हंसी आती है, अनवर भाई हमें उन लोंगो को मुह तोड़ जवाब देना है जो लोग कहते है LBA में फूट पड़ी है.
हरीश भाई ने सब कुछ कह दिया !
मैं तो मनोज जी के टिप्पणी को बचकानी हरकत मानता हूँ, लखनऊ ब्लोगर असोसिएशन पर किसी का किसी से किसी तरह का मनमुटाव नहीं है । मनोज जी आपको कुछ भी लिखने से पहले मामले के गहराई तक जाना चाहिए तभी कुछ लिखना चाहिए । रविन्द्र प्रभात जी ने खुद अध्यक्ष पद छोड़ा था , आपको रविन्द्र जी के उस पोस्ट को भी पढ़ लेना चाहिए था जो उन्होने पद छोड़ने से पहले एलबीए पर लगाया था । वहां उन्होनें साफ तौर पर इलबीए के साथ निभने की कही थी पद छोड़ने के बावजूद । रही बात अन्य सामूहिक ब्लोग बनने की तो आपको जानकर हैरानी होगी जब हमें उत्तर प्रदेश ब्लोगर असोसिएसन बनाया था तो उसपर पहली पोस्ट ऐलबीए के संयोजक सलीम भाई की थी ।
@ हरीश भाई ! आज आपकी टिप्पणी ने और भाई मिथिलेश जी के बयान ने एलबीए के दुश्मनों के दाँत-आँत सब कुछ खट्टा कर दिया है ।
दीगर लोगों को भी इस घटिया साज़िश की निंदा करनी चाहिए ।
---पचास ब्लोगर्स अस्सोसिएशन हों तो भी क्या फ़र्क पडता है....
dr.shyam gupt ji se poori tarh sahmat..
ham sath sath hain
जिस व्यक्ति के पास जितनी एसोसिएशन, वह उतना बडा ब्लॉगर?
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।