वक़्त बेपरवाह है
वक़्त के साथ चलो
कोई क़िस्सा न बनो
खुद में हालात बनो
वक़्त के साथ चलो.
बज़्म में शोर नहीं
दिल पे कोई ज़ोर नहीं
अपना कोई ठौर नहीं
वक़्त के साथ चलो.
नक़ाब-दर-नक़ाब है वो
फ़िर भी एक ख़्वाब है वो
जाने कैसा जनाब है वो
वक़्त के साथ चलो.
इक ज़रा हाथ बढ़ा
दो क़दम साथ बढ़ा
जज़्बे हँसी में न उड़ा
वक़्त के साथ चलो.
आईना टूट गया
साथ जो छूट गया
मुझसे वो रूठ गया
वक़्त के साथ चलो.
हाथ में है सिर्फ़ लकीरें
पढ़ी न गई अपनी ताबीरें
तन्हाईयाँ दिल को चीरें
वक़्त के साथ चलो.
जिसपे भरोसा है किया
क़त्ल उसने ही किया
पूछे वो ये किसने किया
वक़्त के साथ चलो.
मेरा कौन मुकाम
मेरा कौन मुकीम
तुझे पाने की मुहीम
मैं एक अदना सा 'सलीम'
्बहुत ही शानदार प्रस्तुति।
SHANDAAR
कृपया अन्यथा न लीजियेगा>>आज टिप्पणी के रूप में एक निवेदन है, मौसमी पाण्डेय को वोट करने के लिए, वीडिओ के नीचे बने लाईक बटन को क्लिक करें और सहयोग प्रदान करें. आज अंतिम दिन के कुछ घंटे ही शेष हैं..धन्यवाद