संसद के अन्दर सांसदों ने महंगाई पर जोर-शोर से चर्चा की उनकी चिंता जनता के प्रति नहीं थी अपितु अपनी सुविधाओं को महंगाई की चर्चा के बहाने बढ़ाना चाहते थे । महंगाई पर चर्चा की और अपनी सुविधाओं में बढ़ोत्तरी की । मंत्री 'वेतन एवं सुविधाएं ( संशोधन ) विधेयक 2009' पास कर लिया। इस विधेयक के अनुसार मंत्री व उनके निकट सम्बन्धी वर्ष भर में 48 मुफ्त हवाई यात्राएं करने का प्राविधान है । एक यात्रा में कितने लोग शामिल हो सकते हैं उसका कोई उल्लेख नहीं किया गया है । यह विधेयक बिना किसी चर्चा के कुछ ही मिनटों में पारित हो गया है । डॉक्टर मनमोहन सिंह के गरीबी हटाओ कार्यक्रम के तहत मंत्रियों को महंगाई से थोड़ी सी राहत प्रदान की गयी है । इससे लगता है कि संसद के सत्रावसान तक सभी सदस्यों को महंगाई से राहत दे दी जाएगी । देश का मजदूर किसान मेहनतकश तबका महंगाई से भूखो मर जाये, हमारे राजनेता सुखी रहे उनसे यह उम्मीद करना कि वह जनमुखी कोई कार्य करेंगे ? देशी कहावत है कि ' अँधा बाँटें रेवड़ी, घरो घराना खाए ' । केन्द्रीय मंत्री मंडल के काफी सदस्य विभिन्न राजा महाराजों के पोते परपोते हैं। उनके बाप दादा ब्रिटिश साम्राज्यवाद के प्रतिनिधि थे और भारत को गुलाम बनाये रखना चाहते थे । जब वह ब्रिटिश साम्राज्यवाद की तरफ से शासन करते थे तो जनता से टैक्स वसूलने के मद इस प्रकार थे कि आज राजा के लड़का हुआ रुपया दो , आज राजा के कुत्ते की शादी है उसके खर्चे के लिए टैक्स दो , राजा कार खरीद लाए हैं उसके लिए पैसा दो। कुल मिलाकर ये पुराने राजे-रजवाड़े मेहनतकश जनता की कमाई को किसी न किसी प्रकार, किसी न किसी तरीके से हड़प लेते थे। आज स्वरूप बदला है चरित्र वही है ।
सुमन
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सुमन जी आज कम शब्दों मे ही बात निपटा दी? आलेख अच्छा है मगर क्या कहें महंगायी ने आवाज़ ही छीन ली है । धन्यवाद्