महान सेनानी मोहनदास करमचंद गाँधी की हत्या आजादी के बाद ब्रिटिश साम्राज्यवाद के पिट्ठू हिंदुत्ववादी शक्तियों ने कर दी थी। अब उन्ही शक्तियों को गाँधी की सूरत गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी में दिख रही है। गाँधी जी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ हुए शांति पूर्ण युद्ध के अद्भुद महानायक थे। गाँधी से हम सहमत हों या न हों यह दूसरी बात है लेकिन गाँधी धर्म निरपेक्षता को बनाये रखने के भी महान सेनानी भी थे। भारतीय संघ को धार्मिक रूप से एक रखने की अदभुद क्षमता थी। अंग्रेजो ने हिन्दू-मुसलमान का जो बीज अपने फायदे के लिए बोया था। गाँधी जी जबतक जिन्दा थे उन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा कर उस बीज को पेड़ नहीं बनने दिया। गोडसे प्रतीक ने गाँधी का वध किया था। आज उनके अनुयायीओं को नरेंद्र मोदी में गाँधी की तस्वीर दिखती है। मोदी जी ने गुजरात के अन्दर मुस्लिम अल्पसंख्यकों का नरसंहार कराया था आज उसी व्यक्ति में अगर गाँधी की तस्वीर दिखती है तो भी वह गाँधी की दूसरी हत्या है।
गाँधी जी के तथाकथित उत्तराधिकारी अमेरिकन साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं। साम्राज्यवाद का मुख्य दुश्मन महात्मा गाँधी थे। अगर उनके तथाकथित उत्तराधिकारी साम्राज्यवाद की सेवा में लगे हुए हैं तो यह गाँधी के विचारों का वध नहीं है तो और क्या है ? गाँधी जी के विचार आज पूरी दुनिया में प्रासंगिक हैं अगर उनका सत्य और अहिंसा का प्रयोग उनके अनुयायी अगर अपने जीवन में उतारे होते तो निश्चित रूप से साम्राज्यवादी शक्तियों का शोषण भारतीय जनता को आत्महत्या करने को मजबूर नहीं करता।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
बहुत खूब, लगे रहिये…।
प्रख्यात गाँधीवादी चिन्तक - कुसुमलता केडिया जी के विचार…
…जानकारी के अनुसार गाँधी हत्याकांड के फैसले में उल्लेख है कि गाँधीजी को जो गोलियाँ लगी थीं, वे गोडसे के रिवॉल्वर की नहीं थीं। गोडसे की स्वीकारोक्ति भी कानूनी रूप से वैध नहीं है। इस हत्याकांड में चश्मदीद गवाह के परीक्षण में मनु व आभा की गवाही भी नहीं हुई थी। गोली रिवॉल्वर की नहीं बंदूक की थी। ऐसी परिस्थितियों के बाद गाँधीजी की हत्या के इस फैसले पर देश में व्यापक चर्चा नहीं होना दुर्भाग्य की बात है।
न गाँधीवादी और न ही कोई अन्य संगठन सच को सामने लाने का प्रयास कर रहा है। दूसरा पहलू यह है कि हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध तो लगा दिया गया था, पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। बाद में इसे बिना शर्त के समाप्त कर दिया गया था। संघ कहाँ दोषी था इस बात की जानकारी नहीं है।
आपने जिस अधिकार पूर्वक अपने इतिहास के अज्ञान को बघारा है वो काबिले तारीफ है...श्रीमन आपके सामान्य ज्ञान के लिए बतादें की संघ पर प्रतिबंध लगाया गया क्यों कि नेहरू जी ऐसा चाहते थे....बाकि ऐसा कोई ऐसा सूबूत या गवाह वे पैश नहीं कर पाये...न्यायालय के आदेश से संघ जैसे देश भक्त सामाजिक संगठन पर से प्रतिवंध का आदेश वापिस हुआ था....कब तक ये झूठ बोलकर आप जैसे भले और ज्ञानी लोग जनता को गुमराह करते रहेंगे...देशहित मैं ईश्वर आपको सद्बूध्दी दे ....इसी कामना के साथ........
sriman ji,
ek kavita mujhe hamesha yaad aati hai jhoot to bole magar jhoot ka sauda na karein. gandhi vadh kyon aatmkatha nathu ram godse sangh ki shakhaon mein aaj bhi bechi jaati hai sangh k log hitlar k pracharmantri ki gobills ki tarah hajaar baar jhoont bol kar apne kukarmon ko chhupa nahi sakte hain gandhi ji se ham bhi tamaam saare vishayaon par sehmat nahi hai sehmat na hona hatya kar dena swangh ki sochi samjhi radniti ka hissa thi.kusumlata kadiya ji k vichaar sangh poshit vichaar hai. sangh par pratibandh grahmantri Sardaar ballabh bhai patel ne lagaya tha jo mansik vaicharik star par sangh k hi najdeek the nehru ji nashtik the unka svapn tha ki bharat bahudharmiy, bhaubhashiy, aur panth nirpeksh rajy k roop mein viksit ho isiliye british samrajyvaad ka sevak sangathan sangh kabhi deshbhakt nahi raha uski sochi samjhi radniti k tahat uska ek neta paksh mein bolta hai dusara uske vipreet aap logon se mera vinamr anurodh hai ki aap guru golvalkar ko padhne ka kast karein jisse gandhi vadh se lekar desh bhakti tak ka najariya aap ka saaf ho sake.
sasamman
aap ka hi
suman
सुमन जी
आपका लेख पढ़ने के बाद हमने आपके बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला आप सेकुलर गिरोह के उस दल के साथ जुड़े हैं जो हमेशा देश के साथ गद्दारी करता रहा है अब ऐसे दल से जुड़ा वन्दा गांधी जी के बारे में लिखे ये सायद गांधी जी की आत्मा भी पसंद नहीं करेगी । रही बात धर्मनिरपेक्षता की तो धर्मनिर्पेक्ष का अर्थ है धर्मविहीन । धर्मविहीन सिर्फ पशु हो सकते हैं इन्सान नहीं। अत: वेहतर हो हम सर्वधर्मसम्मभाव की वात करें जो भारत की पहचान है। वेहतर होगा आगे से कोई भी बात लिखने से पहले आप उस बात की सत्याता की जांच पड़ताल कर लें वरना आपके झूठ लिखने से और तो किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर हम ब्लागर लोग ब्यर्थ में बदनाम होंगे क्योंकि जब तब की सरकार व माननीय न्यायलय ने संघ को निर्दोश करार दे दिया तो हम कौन होते हैं उसको दोसी ठहराने बाले । बैसे भी हम इतने ही ताकतबर लोग होते तो ब्लागिंग नहीं करते । आप और हम वो प्राणी हैं जिनका किसी संगछन में कोई रूतवा नहीं । अत: वेहतर हो हम अपने मन से सिरdफ वो लिखें जो सत्य हो और देशहित में हो।
सुनील दत्त
sunil dutt ji,
main kisi giroh ka aadmi nahi hoon. gandhi ka vadh jin logo ne kiya vahi log gandhi vaadi samajvaad ki baat karte hain. gram svaraj ki baat karte hain. shabdon ka khel mat kariye. ye aap ki manyata hogi ki dharm vihin pashu hota hai insaan nahi. aap ki jaankaari k liye bata doon ki duniya mein nashtikon ne apne prachaar prashar k liye koi yudh nahi lada hai aap logon ki baat k kya kehne hain 'chah mein hai aur koi baanh mein aur koi' yahi aap ki niyat hai. likhne se pehle main adhyann kark hi likhta hoon spast tarike se likhne se acchi samaaj ki sanrachna hoti hai bhramak tathyon k adhaar par koi cheej tay nahi hoti hai nyaylay mein saabit hua, na sabit hua se nirdoshta bhi saabit nahi hoti hai. jara se apne dil par hath rakh kar kahiye ki gandhi ki hatya hinduvaadi shaktiyon ne nahi ki thi.yadi nahito itihas ka sabse bada jhoont likh rahe honge .
sasamman
hindu tigers ko zoo mubarak ho jahan sabse jyada suraksha hai.
aap ka hi
suman