जन्म दिन पर...!!
(1)
अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं
फ़राज़ अब ज़रा लहजा बदल के देखते हैं.
जुदाइयां तो मुकद्दर हैं फिर भी जाने-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं.
(2)
अब के हम बिछुड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें.
ढूंढ उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती
ये खजाने तुझे मुमकिन है ख़राबों१ में मिलें.
गमे-दुनिया भी गमे-यार में शामिल कर लो
नश्शा बढ़ता है शराबें जो शराबों से मिलें.
तू ख़ुदा है न मेरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इन्सां हैं तो क्यों इतने हिजाबों में मिलें.
आज हमदार२ पे खींचे गए जिन बातों पर
क्या अजब कल वो ज़माने को निसाबों३ में मिलें.
अब न वो हैं न वो तू है न वो माज़ी है फ़राज़
जैसे दो शख्स तमन्ना के सराबों४ में मिलें.
(3)
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे, छोड़ जाने के लिए आ.
कुछ तो मेरे पिन्दारे-मुहब्बत५ का अरमान
तू तो कभी मुझको मनाने के लिए आ.
पहले से मरासिम६ न सही, फिर भी कभी तो
रस्मे-रहे-दुनिया७ ही निभाने के लिए आ.
इक उम्र से हूं, लज्जते-गिरिया८ से भी महरूम
ऐ राहते-जां मुझको रुलाने के लिए आ.
अब तक दिले-खुशफ़हम को तुझसे हैं उम्मीदें
ये आखिरी शम्मएं भी भुजाने के लिए आ.
१. खंडहर, निर्जन स्थल.
२. फ़ांसी का तख्ता.
३. पाठ्यक्रम, आधार.
४. मृगमरीचिका.
५. प्रेम के अभिमान.
६. संबंध
७. दुनिया के रास्ते की रस्म.
८. रोने का आनंद.
(स्रोत: फ़राज़ संकलन)
--प्रबल प्रताप सिंह
wah wah wah ..maja aa gaya ..ek se badkar ek ...bahut shukriya.
akshrashah shikha!!!
wah wah wah ..maja aa gaya ..ek se badkar ek ...bahut shukriya
Shikha ji or saleem ji comment ke lie shukria...!!
बहुत सुंदर प्रस्तुति है मजा आ गया...... जुदाइयां तो मुकद्दर हैं फिर भी जाने-सफ़र कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं.