पल्हना मंदिर (माँ पल्हमेश्वरी देवी सिद्ध पीठ) , आजमगढ़ उत्तर प्रदेश
माँ पल्हमेश्वरी देवी जी (पल्हना मंदिर) के नाम से जाना जाने वाला देवी दुर्गा जी का सिद्ध पीठ जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में स्थित है यह वाराणसी (बनारस) से ८२ किलोमीटर दूर है आप को इस स्थान के दर्शन के लिए वाराणसी से सीधे आजमगढ़ वाली बस पकड़ के लालगंज (मासिरपुर मोड़) उतरना होगा या आप बस वाले को बोलेंगे की माँ पल्हमेश्वरी के दर्शन को जाना है तो वो ख़ुद ही आपको लालगंज (मासिरपुर मोड़ ) पर उतार देगा वहा से सीधे ही जीप या ऑटो जाते है मसिरपुर मोड से तरवा मार्ग पर मात्रा १५ किलोमेटेर पर माँ पल्हमेश्वरी भगवती का सिद्ध पीठ स्थान है यहा के जो ब्राह्मण है वो भारथिपुर गॉंव के है जो माँ के मंदिर से मात्रा ३ किलोमीटेर पर है वो ही माँ भगवती का शृंगार करते है,पूजा अर्चना करते है,प्रातः काल एवम् संध्या के समय आरती करते है इन ब्राह्मणो के पूर्वजों को माँ भगवती ने सपने मे दर्शन दिया और कहा की तुम मेरी इस जगह पर पूजा करो, मेरा तुम मंदिर बनवओ मेरा यश अपने आप बढ़ेगा, महामाई बोली मै तुम्हारे वंश का कल्याण करूँगी और युग युगांतर तक तुम्हारे वंश के लोग ही मेरी पूजा का लाभ प्राप्त करेंगे और उनका उद्धार होगा, यह वो ही स्थान है जहा माँ भगवती के चरणो का उपर का हिस्सा पिंडलियो वाला (पालथी) गिरी थी जब मथुरा नरेश कंस ने देवकी के आठवे संतान के जन्म की सूचना मिली तो वह काराग्रह मे गया और देखा की ये आठवी संतान तो लड़का नहीं पैदा हुआ लड़की पैदा हूई है तो वह सोचा की ये जरुर् भगवान विष्णु की चाल है इस कन्या को मारना उचित होगा और उसने उस कन्या को जब हाथो मे पकड़ कर पत्थर पर पटकना चाहा तो वह देवी रूपी कन्या कंस के हाथो से उड़ कर आसमान मे जाकर आकाशवाणी की हे कंस तू मुझे क्या मरेगा जो तुझे मरने वाला है वो तो इस पर्थ्वी पर पैदा भी हो चुका है और फिर देवी माँ खंड खंड रूप मे विभाजित हो गई और जहा जहा जो जो अंग गिरा वो सिद्ध पीठ के रूपो मे पूजा जाता है उन स्थानो मे विंध्याचल (मिर्जापुर) , चौकियाँ माई ( जोनपुर,उत्तर प्रदेश ) आदि .... और भी सिद्ध पीठ स्थान है उन्ही मे से एक माँ पल्हमेश्वरी देवी (सिद्ध पीठ) भी है यहा जो माँगो वो मिलता है यह एक सच्चा दरबार है यहा माँ दरबार मे दोनो नवरत्रो मे भारी संख्या मे भीड़ लगती है और स्वयं सेवको के अलावा प्रशासन को भी पुलिस व्यवस्था देखनी पड़ती है माँ पल्हमेश्वरी देवी की पूजा से सभी इच्छा पूरी हो जाती हैं।माँ के बारे मे ज़्यादा क्या लिखू माँ पल्हमेश्वरी देवी का वर्णन नही कर सकता ये तो सूर्य को दीपक दिखाने के समान है प्रेम से बोलो जय माता की सारे बोलो जय माता की सब मिलकर बोलो सच्चे दरबार की जय , जय माता की.........................................
दुर्गा सप्तशती के सिद्ध मंत्र ........मार्कण्डेय पुराण में ब्रह्माजी ने मनुष्यों के रक्षार्थ परमगोपनीय साधन, कल्याणकारी देवी कवच एवं परम पवित्र उपाय संपूर्ण प्राणियों को बताया, जो देवी की नौ मूर्तियाँ-स्वरूप हैं, जिन्हें 'नव दुर्गा' कहा जाता है, उनकी आराधना आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक की जाती है।श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ मनोरथ सिद्धि के लिए किया जाता है; क्योंकि श्री दुर्गा सप्तशती दैत्यों के संहार की शौर्य गाथा से अधिक कर्म, भक्ति एवं ज्ञान की त्रिवेणी हैं। यह श्री मार्कण्डेय पुराण का अंश है। यह देवी महात्म्य धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्रदान करने में सक्षम है। सप्तशती में कुछ ऐसे भी स्रोत एवं मंत्र हैं, जिनके विधिवत पारायण से इच्छित मनोकामना की पूर्ति होती है।
* सर्वकल्याण एवं शुभार्थ प्रभावशाली माना गया है-
सर्व मंगलं मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
* बाधा मुक्ति एवं धन-पुत्रादि प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप फलदायी है-
सर्वाबाधा वि निर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।मनुष्यों मत्प्रसादेन भवष्यति न संशय॥
* आरोग्य एवं सौभाग्य प्राप्ति के लिए इस चमत्कारिक फल देने वाले मंत्र को स्वयं देवी दुर्गा ने देवताओं को दिया गया है-
देहि सौभाग्यं आरोग्यं देहि में परमं सुखम्।रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजहि॥
* विपत्ति नाश के लिए-
शरणागतर्दनार्त परित्राण पारायणे।सर्व स्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽतुते॥
* ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपदा प्राप्ति एवं शत्रु भय मुक्ति-मोक्ष के लिए-
ऐश्वर्य यत्प्रसादेन सौभाग्य-आरोग्य सम्पदः।शत्रु हानि परो मोक्षः स्तुयते सान किं जनै॥
* विघ्ननाशक मंत्र-
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यसयाखिलेशवरी।एवमेय त्याया कार्य मस्माद्वैरि विनाशनम्॥
जाप विधि- नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर प्रातः स्नान करके दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें। मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष या तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप एक माला से पाँच माला तक पूर्ण कर अपना मनोरथ कहें। पूरी नवरात्रि जाप करने से वांच्छित मनोकामना अवश्य पूरी होती है। समयाभाव में केवल दस बार मंत्र का जाप निरंतर प्रतिदिन करने पर भी माँ दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं। दुर्गेदुर्गति नाशिनी॥
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।
(जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री और स्वधा- इन नामों से प्रसिद्ध जगदंबे। आपको मेरा नमस्कार है।)
पल्हना मंदिर के ब्रह्मण संघ के सोजन्य से (09899890924)
bahut hi acchi jankari di hai aapne , chaukiya mai aur vindhyachal ke dharshan to kai bar ho chuke hain , is bar AZAMGARH aaunga to jarur samay nikalunga.
Aur bahut hi accha laga apne AZAMGARH ke bare main yesi bate padh karke.