होली को तो हर वर्ष आना ही था
सो इस बरस भी आगई|
अबीर,,गुलाल ,पिचकारी
तो मिलते हैं बाजार में
पर नहीं मिला करती
मन की उमंगें |
मौसम तो फागुनी
हो ही होजाता है
पर नहीं होते स्पंदित
मन की वीणा के तार|
होली मन की खुशियों
का त्यौहार है
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता
कि यह महीना फागुन हो या बसंत|
अभी कुछ बरस पहले
चिलचिलाती दुपहरी में
मन खुशियों का खजाना था|
तन बिन वस्त्र आभूषण के
ओज से दीप्त था
और दीवारें बिना रंग-रोगन के
भी उल्लसित थी|
आँगन दूधिया चांदनी से
नहाया था |
अचानक मौसम बसंती हो आया
रंगों की फुआरे पड़ी
और होली,दीबाली सब एक
साथ घर में घुस आई|
होली है होली है
रंग बिरंगी होली है|
यह तो कहा हीजाता है
पर होली
हमेशा होली नहीं हुआ करती|
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