बिना पुलिस केचरैवेति चरैवेति
कैसे संभव हैहोली
दीवाली
ईद
मोहर्रम
कुम्भ
चुनाव
मंत्रीजी का भाषण
माननीयोँ का शहर
या गाँव मे निकलना
राशन
आपदा राहत
मनरेगा की मजदूरी का वितरण
जुलूस
धरना -प्रदर्शनके आयोजन
बिना पुलिस के
कैसे हो पाएंगे ?
ओ मेरे देश बोलो !
इस सडाँध भरी राजनीति को हम सब
कितने दिन और ढो पाएँगे ?
अधिकारी कहते हैं
हम रिश्वत मे छोटे नोटों की गड्डियाँ नही लेते
कौन घण्टोँ गिने
पाँच या हजार के नोटोँ की
गड्डियाँ लाइयेआनन फानन मे
काम करवाइये
इस हाथ दीजिए
उस हाथ दीजिए
राजनेता कहते है
नोट नही
प्रकार मे रिश्वत दीजिए
फाइव स्टार मे
काम का परिणाम लीजिए
बाबू अब भी नोटोँ और
बोतलोँ मे फँसे है
हम सब लोकतन्त्र के
समारोह मे बहुतगहरे तक धँसे हैँ
ऐसे मे
माननीय न्यायालय
और आम
जनताखोज रही हैनक्सलवाद के कारण
इसका किस तरह से
उत्तर दे पाएगे चारण
ओ मेरे युगचारण !!
-- अरुणेश मिश्र
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Arunesh jee kee great kavita par kripya pratikriya den!
अच्छा लगा.....
लड्डू बोलता है.....
.विश्व गौरैया दिवस-- गौरैया...तुम मत आना...
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॒ अम्बरीश जी, ठीक है हुकुम दे रहे है टिप्पणी
कविता बहुत ही बढिया है