सफ़र इक उम्र का पल में तमाम कर लूंगा
नज़र मिली तो पूछूँगा इश्क का अंजाम
नज़र झुकाई तो ख़ाली सलाम कर लूंगा
जहाँ-ए-दिल पे हुकूमत तुम्हें मुबारक हो
रही शिकस्त तो मैं अपने नाम कर लूंगा
तुम्हारी ज़ुल्फ़ के साये में शाम कर लूंगा
सफ़र इक उम्र का पल में तमाम कर लूंगा
I love this song....
yah ek purbahar ghazal hai...khushnaseeb hai ye ghazal ki ise rafi sahab ki awaaz mili..
yah ghazal mujhe bahut-bahut bahut pasand hai..
aabhar ise padhwaane ke liye..
क्या कहनें …………