जब ऊंची शिक्षा पाने के लिए कोई मोटी रक़म लगाएगा तो वह उसे कई गुना वापस चाहेगा ही , ख़ास तौर से तब जबकि वह ऐसी फ़ैमिली बैकग्राउंड रखता हो जहां बच्चे की तालीम और परवरिश पर आये ख़र्च तक को लड़की पक्ष से ब्याज सहित वसूलने की परम्परा हो । जहां दौलत को बाक़ायदा ईश्वर की पत्नी का दर्जा दे दिया गया हो ।
... लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि प्यादों की बलि चढ़ा दी जाती है और मास्टर माइंड अपने राजनैतिक आक़ाओं के कारण बच निकलते हैं । काश ! इस बार ऐसा न हो । एक बात यह भी क़ाबिले ग़ौर है कि 1 - क्या एक माधुरी के पकड़े जाने के बाद अब सारे हिन्दुओं या सारे बनियों को उसी प्रकार शक की नजर से देखा जाएगा जैसे कि अगर माधुरी की जगह किसी मुस्लिम के पकड़े जाने पर किया जाता ?
2 - क्या अब मुसलमानों के अलावा अन्य समुदायों में भी देशद्रोहियों और आतंकवादियों की तलाश की जाएगी ?
3 - मुसलमानों को तो निशाने पर रखा गया और दूसरों की तरफ़ पर्याप्त तवज्जो न दी गयी जिसकी वजह से दौलत के पुजारी देश को बेहिचक बेचते रहे । क्या अब दौलत की हद से बढ़ी हुई हवस और मुसलमानों से बिला वजह नफ़रत को कम करने के लिए सरकार या समाज कुछ सोचेगा ?
देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए हमें देश के ग़द्दारों को सिर्फ़ ग़द्दार के रूप में पहचानना होगा और अपने कुत्सित मक़सद के लिए बिला वजह मुसलमानों को बदनाम करने वालों के हौसले पस्त करने होंगे ।
अन्त में मैं कहना चाहूंगा कि कभी कभी भोले भाले आदमी को मक्कार आदमी फंसा भी देते हैं क्योंकि हमेशा चीज़े वैसी नहीं होती जैसी कि वे नज़र आती हैं ।
अभी कोई राय क़ायम न कीजिये । पहले जांच हो जाने दीजिए ताकि सच सामने आ जाये ,अगर दबा न दिया जाए तो .... ।
... लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि प्यादों की बलि चढ़ा दी जाती है और मास्टर माइंड अपने राजनैतिक आक़ाओं के कारण बच निकलते हैं । काश ! इस बार ऐसा न हो । एक बात यह भी क़ाबिले ग़ौर है कि 1 - क्या एक माधुरी के पकड़े जाने के बाद अब सारे हिन्दुओं या सारे बनियों को उसी प्रकार शक की नजर से देखा जाएगा जैसे कि अगर माधुरी की जगह किसी मुस्लिम के पकड़े जाने पर किया जाता ?
2 - क्या अब मुसलमानों के अलावा अन्य समुदायों में भी देशद्रोहियों और आतंकवादियों की तलाश की जाएगी ?
3 - मुसलमानों को तो निशाने पर रखा गया और दूसरों की तरफ़ पर्याप्त तवज्जो न दी गयी जिसकी वजह से दौलत के पुजारी देश को बेहिचक बेचते रहे । क्या अब दौलत की हद से बढ़ी हुई हवस और मुसलमानों से बिला वजह नफ़रत को कम करने के लिए सरकार या समाज कुछ सोचेगा ?
देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए हमें देश के ग़द्दारों को सिर्फ़ ग़द्दार के रूप में पहचानना होगा और अपने कुत्सित मक़सद के लिए बिला वजह मुसलमानों को बदनाम करने वालों के हौसले पस्त करने होंगे ।
अन्त में मैं कहना चाहूंगा कि कभी कभी भोले भाले आदमी को मक्कार आदमी फंसा भी देते हैं क्योंकि हमेशा चीज़े वैसी नहीं होती जैसी कि वे नज़र आती हैं ।
अभी कोई राय क़ायम न कीजिये । पहले जांच हो जाने दीजिए ताकि सच सामने आ जाये ,अगर दबा न दिया जाए तो .... ।
पैसों की लालची, इस औरत को देशद्रोह के आरोप में तत्काल गोली से उड़ा दिया जाना चाहिये… और इसके साथियों को भी…। खामखा मुकदमा वगैरह चलाने का कोई मतलब नहीं है, जब यह स्वीकार कर चुकी है कि इसने दस्तावेज पाकिस्तान को बेचे हैं तब जाँच का कोई औचित्य नहीं है…। इसे तुरन्त सजा मिलनी चाहिये… (अफ़ज़ल गुरु से भी पहले) तभी कोई मिसाल कायम होगी…।
शीर्षक में 'जी' लगाने की जरूरत नहीं थी। कुछ मुद्दों पर गहन विवेचन की आवश्यकता है जिनमें से एक आपने उठाया है।
@ शिक्षा मित्र जी ! अभी अदालत ने माधुरी जी को मुजरिम घोषित नहीं किया है . हो सकता है अभी वह किसी दबाव में हों . हमें नतीजा नकलने जल्दी नहीं करनी चाहिए .
बिलकुल ठीक कहा चिपलूनकर जी ने...
तत्काल गोली से उड़ा देना चाहिए..लेकिन दिखावे के लिए नहीं,और ना ही मुसलमानों को रिझानें के लिए ही ...
आपने लिखा
"मुसलमानों से बिला वजह नफ़रत को कम करने के लिए सरकार या समाज कुछ सोचेगा ?"
डॉ साहब, वजह कम नहीं हैं, ये आप भी जानते हैं, और हम भी जानते हैं...और रही बात
"क्या एक माधुरी के पकड़े जाने के बाद अब सारे हिन्दुओं या सारे बनियों को उसी प्रकार शक की नजर से देखा जाएगा जैसे कि अगर माधुरी की जगह किसी मुस्लिम के पकड़े जाने पर किया जाता ?"
तो क्या किसी मुस्लिम के देश-विरोधी गतिविधी में पकडे जाने के एकाध ही केस हुए हैं, जो कि आम जन ने उनके खिलाफ राय कायम कर ली. और ये सिर्फ भारत की ही बात नहीं है कि मुसलमानों को शक की निगाह से देखा जाता है, लगभग पूरे विश्व में आपके तथाकथित "religion of peace" के अनुयाईयों को शक की निगाह से देखा जाता है...कृपया चिन्तन करें क्यों ऐसा है. पाञ्चजन्य के इसी संस्करण में "मुजफ्फर हुसैन" के लेख में इस पर विस्तार से चर्चा की गयी है, कृपया स्वयं देखें.
http://www.panchjanya.com/dynamic/modules.php?name=Content&pa=showpage&pid=375&page=35
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वैसे "ख़ास तौर से तब जबकि वह ऐसी फ़ैमिली बैकग्राउंड रखता हो जहां बच्चे की तालीम और परवरिश पर आये ख़र्च तक को लड़की पक्ष से ब्याज सहित वसूलने की परम्परा हो" वाली बात ठीक लिखी है आपने, दहेज हमारे देश की बहुत ही गलत परम्परा है, जिसका निपटारा तुरंत और असरदार तरीके से किया जाना चाहिए..
लेकिन डॉ जमाल साहब, दहेज रूपी इस कुप्रथा के शिकार अकेले हिंदू ही नहीं हैं मुसलमान भी जम कर दहेज लेते और देते हैं..
बढिया जानकारी है, खबर तो अखबार में भी देखी थी लेकिन इधर जो आपने बात कहीं वह अलग हैं वह उधर नहीं होती, जो मुसलमान पाकिस्तान का नाम ले उसे परेशान किया जाता है और ऐसी माधुरियां पाकिस्तान में ही मजे करती रहती हैं, अन्धेर है, खेर इधर भाईयों का सपोर्ट मिल रहा है उम्मीद है बात दूर तक जायेगी
गुरू जी panchjanya शायद आप शायद देख नहीं पाओगे मनुज भाई को उसे देखने की विधि भी लिखनी होगी मुझे फुरसत होगी तो आपको बताउंगा वैसे कम शब्दों में समझे तो अलग ढपली अलग राग है हिन्दी अखबारों की दुनिया में (फोंट का मसला उर्दू दुनिया में नहीं है उधर एक लाजवाब फोंट है जिसको सबने अपनाया)
हो सके तो आप भी panchjanya वाली वह पुरानी चीज कभी दिखा दो जो कभी मुझे दिखायी थी
कल जब ये न्यूज़ ब्रेकिंग न्यूज़ में चल रही थी तो दिल धड़क रहा था और यही दुआ कर रहा था या अल्लाह कोई अपना बेवकूफ़ ना हो, मगर जब तफ़सील सामने आई तो और अफ़सोस हुआ, इक औरत और वो भी कुँवारी, पढ़ी लिखी, इतने बड़े औहदे पर,
लेकिन अब भी कुछ ऐसा है जिसको छुपाया जा रहा है कोई तो है जिसे बचाया जा रहा है ?
कहाँ है औरतो की आज़ादी के अलंबरदार ?
देखना है फिर्दोस ख़ानम और उनके''भाई'' लोग अब अपनी बहन का डिफेन्स किस तरह से करते हैं?
@सहसपुरिया
"रही बात माधुरी मेडम की, कल जब ये न्यूज़ ब्रेकिंग न्यूज़ में चल रही थी तो दिल धड़क रहा था और यही दुआ कर रहा था या अल्लाह कोई अपना बेवकूफ़ ना हो"
यही तो बात है. आपको क्यूँ लगा कि कोई अपना बेवकूफ न हो? क्यूँ खुद की कौम के देशप्रेम पर शक हुआ? जवाब आप खुद जानते हैं और वजहे भी हम खूब जानते हैं. एक सार्थक चिंतन की आवश्यकता है इस मुद्दे पर.
इस देश के आम मुसलमानों का जो चरित्र है वो आम हिन्दुओ के चरित्र के अलहदा नहीं है. उनकी भी मुख्य समस्यायें भी वही हैं जो कि आम हिंदुओं की है - बेरोजगारी, भूख, भ्रष्ट-प्रशासन, भ्रष्ट-पुलिस इत्यादि.
लेकिन फिर भी एक फर्क है दोनों कौमों में - वो फर्क है attitude का यानी के समस्याओं के प्रति आपके रुख का.
हिंदू समाज जहां अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आगे की तरफ, भविष्य की तरफ रुख करते हैं तो वहीं मुस्लिम समाज अपनी समस्याओं के समाधान के लिए १५०० साल पीछे मुढ कर देखता है.
और आग में घी डालने का काम करते हैं ये ज़ाकिर नाईक जैसे self-proclaimed विद्वान जो कि समस्याओं के सही और ठीक निराकरण के बजाए कुर'आन की मनमानी व्याख्याओं से मुस्लिमो को भ्रमित करते रहते हैं. (बात बात पर गला फाड़ कर फतवा देने वाले ये तथाकथित इस्लामी विद्वान "उलेमा" भी इसी श्रेणी में आते हैं ). ऐसे में जहां मुजफ्फर हुसैन, फिरदौस खान, तस्लीमा नसरीन,एम् जे अकबर जैसे कुछ प्रगतिवादी मुसलमान कुछ समाज सुधार का काम 'कुछ' हद तक करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें काफिर घोषित कर दिया जाता है.
@Mohammed Umar Kairanvi
आप पाञ्चजन्य की वेबसाईट पर जाकर वहाँ इंस्टाल फॉण्ट आप्शन पर क्लिक करना, फिर फॉण्ट डाउनलोड करना, फिर फॉण्ट डाउनलोड करना, फिर वेब-ब्रोज़र को रिस्टार्ट करना, फिर वो वेब-पेज जिसका लिंक मैंने दिया है, उसको address-bar में पेस्ट करना...फिर वो लेख आपके सामने खुल जाएगा...
माधुरी द्वारा दिए गए प्रश्नों के उत्तरों ने इस गुंजाइश पर विराम लगा दिया है कि वे किसी दबाव में बोल रही हों. लेकिन उसके द्वारा दिए गए उत्तरों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि अगर उनमें सच्चाई है तो ये तथाकथित बॉस इंसान को क्या क्या करने पर मजबूर कर देते हैं. ये उसके अनुसार सिर्फ प्रतिशोध है लेकिन ये प्रतिशोध उसके लिए है, देश के लिए ये गद्दारी बहुत मंहगी पड़ सकती है.
@ हर मुसलमान गद्दार नहीं होता , यहाँ अब्दुल हमीद जैसे कितने जांबाज थे और अब भी हैं वे भी मुसलमान है. गद्दार की कोई जाति नहीं होती .और गद्दार के लिए कोई और सजा नहीं अरब देशों की तरह सिर्फ फाँसी होनी चाहिए.
@मनुज जी रेखा जी भारत के दूतावास हर देश मे है पाकिस्तान की अधिक निगरानी रहने पर माधुरी पगड़ी गई लेकिन और देशो मे इस तरह की जासूसी न चल रही हो इसकी क्या गारंटी है
90के दशक तक पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप मे पकड़े सभी लोग हिंदू थे एक भी मुसलमान नही था
देशद्रोही देशद्रोही ही होता है, चाहे वह किसी भी समुदाय से क्यों न हो, उसे देशद्रोही की नज़र से ही देखना चाहिए। ऐसे लोगो को सख्त से सख्त सज़ाएं देनी चाहिए। आपने एक उचित बात सही समय पर की है, दरअसल बुरे लोग हर समुदाय में है। लेकिन मुस्लिम समुदाय के बुरे लोगों को हमेंशा से ही मज़हब से जोड़कर देखा जाता रहा है। उनके बहाने पूरे के पूरे मज़हब पर निशाना साधा जाता है। लेकिन केवल यह सोच कर कि हर समुदाय में बुरे लोग हैं, हमें समाज सुधार के कार्य बंद नहीं करने चाहिएं। अगर हम सोचते हैं कि इस्लाम पूरे समाज के लिए एक मिसाल हैं तो यह बात मुस्लिम समुदाय को मिसाल के तौर पर प्रस्तुत किए बिना नही हो सकती है। मुस्लिम समाज में आजकल शिक्षा एवं व्यक्तित्व विकास के लिए अनेकों संस्थान एवं तबलीगी जमाते कार्य कर रहीं है, जो कि काबिलें-तारीफ है।
देशद्रोही चाहे कोई भी हो. इनके मामले में तुरंत फैसले होने चाहिए और सजा भी कठोर(मृत्यु दंड) होनी चाहिए.
देर से आया मगर दुरुस्त आया हूँ लगता है... सवाल अच्छा है कि
1 - क्या एक माधुरी के पकड़े जाने के बाद अब सारे हिन्दुओं या सारे बनियों को उसी प्रकार शक की नजर से देखा जाएगा जैसे कि अगर माधुरी की जगह किसी मुस्लिम के पकड़े जाने पर किया जाता ?
2 - क्या अब मुसलमानों के अलावा अन्य समुदायों में भी देशद्रोहियों और आतंकवादियों की तलाश की जाएगी ?
3 - मुसलमानों को तो निशाने पर रखा गया और दूसरों की तरफ़ पर्याप्त तवज्जो न दी गयी जिसकी वजह से दौलत के पुजारी देश को बेहिचक बेचते रहे । क्या अब दौलत की हद से बढ़ी हुई हवस और मुसलमानों से बिला वजह नफ़रत को कम करने के लिए सरकार या समाज कुछ सोचेगा ?
और सुझाव भी
देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए हमें देश के ग़द्दारों को सिर्फ़ ग़द्दार के रूप में पहचानना होगा और अपने कुत्सित मक़सद के लिए बिला वजह मुसलमानों को बदनाम करने वालों के हौसले पस्त करने होंगे ।