हैं कवाकिब कुछ नज़र आते हैं कुछ,
देते हैं धोखा ये बाज़ीगर खुला।
देते हैं धोखा ये बाज़ीगर खुला।
दिनांक 8.4.2010 को महाराष्ट्र विधान सभा में जो कुछ हुआ किसी से छिपा नहीं है। राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के विधायक जितेन्द्र अव्हाड़ ने सदन को बताया कि अभिनव भारत और सनातन प्रभात जैसे अतिवादी संगठन ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संध के वर्तमान सर्वसंघ चालक श्री मोहन भागवत की हत्या कारित करने का कार्यक्रम बना लिया था। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तानी खूफिया एजेन्सी आई0एस0आई0 की मदद से हिन्दुत्ववादी संगठन देश में अराजकता फैलाने के लिए प्रयासरत हैं और उन्होंने ही अजमेर की दरगाह में और समझौता एक्सप्रेस में बम धमाके किये थे। ए0टी0एस0 महाराष्ट्र के स्तम्भ रहे स्वर्गीय हेमन्त करकरे ने भी श्री मोहन भागवत को इस तथ्य की जानकारी देते हुए उन्हें आगाह किया था, कारण कि वह संगठन मानते हैं कि श्री मोहन भागवत जैसे लोग हिन्दुत्व के रास्ते से भटक गये हैं।
यदि श्री मोहन भागवत की हत्या कर दी गई होती तो उसके नतीजे में आज यह देश जल रहा होता और आग बुझाने के सारे प्रयास निरर्थक सिद्ध होते। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जो अपने को हिन्दुत्व का ध्वजावाहक बताता है, जिसके इस दावे को लोग जाने-अनजाने स्वीकार भी करते हैं। यदि इस संगठन के सर्वसंघ चालक जिनकी अपनी प्रतिष्ठा है मार दिये गये होते तो अविश्वास का कोई कारण नहीं बनता कि उनकी हत्या किसी मुसलमान या मुस्लिम संगठन ने की। 1984 अभी लोग भूल नहीं पाये हैं जब देश की प्रधानमंत्री की हत्या कर पूरे देश में पूरे सिक्ख समाज को गुनहगार मानकर उन्हें जिन्दा जलाया गया, उनका घरबार और दुकाने लूटीं गईं, कुल मिलाकर जानी-माली नुकसान पहुंचाया गया।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के मानस पुत्र स्वामी लक्ष्मणानन्द सरस्वती उड़ीसा के जनजातियों के बीच में चकाबाद नामक स्थान पर आश्रम बनाकर निवास करते और गुरूकुल संस्कृत विद्यालय चलाते तथा मुख्य रूप से धर्मान्तरण का आरोप लगाकर इसाइयों में दहशत पैदा करने का काम करते थे। स्वामी जी की भी हत्या कैसे हुई यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन उनकी हत्या के बाद उत्पात मचाकर ईसाईयों की जान-माल और धर्म स्थलों को किस तरह नुकसान पहुंचाया गया, यह घटना किसी से छिपी नहीं है और कन्धमाल की यह घटना आज भी मानवता के लिए काम करने वाले लोगों के रोंगटे खड़े कर देती है।
क्या-क्या गिनाया जाए, नानदेड़ में हिन्दुत्ववादी संगठन के बाद से मुस्लिम पहचान बताने वाले कुर्ते-पायज़ामें, टोपी-दाढ़ी बरामद किया गया। हैदराबाद की मक्का-मस्जिद पर ब्लास्ट करके बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को फंसाया गया। उत्तर प्रदेश की कचहरियों में ब्लास्ट कराकर गुनहगारों को न पकड़कर बेगुनाहों को पकड़ा गया। बाटला हाउस में हत्या करके आजमगढ़ के बेगुनाहों को फंसाया गया, इस तरह की घटनाओं की गिनती बहुत है। इन्हें गिनाने के लिए काफी समय लगेगा, लेकिन कुछ घटनायें ऐसी भी हैं जिसमें गुनहगारों का चेहरा सामने आया। कानपुर में बजरंग दल के दो लोग अपने ही विस्फोटक से जान गवां बैठे और फाइल बंद कर दी गई। हेमन्त करकरे जैसा जांबाज़ ही था जिसनें मालेगांव ब्लास्ट के असल गुनहगारों को पकड़ा और नतीजा आपके सामने है। गोवा में भी असली चेहरे सामने आये लेकिन पूणे में विवेचना जारी है, जबकि वहां भी सबद हाउस को निशाना बनाया जाना बताया गया है।
दम है, महाराष्ट्र विधान सभा में जितेन्द्र अव्हाड़ द्वारा खुलासा किये गये तथ्यों में अगर कहीं अभिनव भारत और सनातन प्रभात अपने लक्ष्य में सफल हो जाते तो सचमुच हिन्दु-मुसलमान के बीच का तांडव रोके नहीं रूकता और हमारी भारत माता अपने सपूतों के आपसी उन्माद के नतीजों में उनके बहते खून पर विलाप कर रही होती। आज हमें सतर्क रहना है कि किये जा रहे इस तरह के षड़यन्त्रों से जिन्हें हम समझते हैं हौर हम अपनी भाषा में इसे कहते हैं ‘‘इसराइली रणनीति’’। हमला ऐसा करो कि खुद को भी नुकसान हो और लोग ये समझें कोई क्यों अपने को नुकसान पहुंचायेगा और आरोप आये उनपर जिनको हम गुनहगार साबित करें।
मुहम्मद शुऐब एडवोकेट
loksangharsha.blogspot.com
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