लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन के अध्यक्ष पद से महफूज़ अली ने इस्तीफ़ा दे दिया है, जिसके फलस्वरूप तुरंत ही असोसिएशन की आपात बैठक बुलाई गयी औरउनका इस्तीफा मंज़ूर कर लिया गया. बैठक के दौरान ही सर्वसम्मति से रवीन्द्र प्रभात जी (परिकल्पना ब्लॉग) को नया अध्यक्ष चुन लिया गया है. महफूज़ भाई ने यद्धपि इस्तीफ़ा तो दे दिया है लेकिन उन्होंने असोशियेशन की प्राथमिक सदस्यता बरक़रार रखी है और भविष्य में वह एसोशियेशन के सदस्य बने रहेंगे!
महफूज़ भाई के उज्जवल भविष्य के साथ साथ नए अध्यक्ष श्री रवीन्द्र प्रभात जी को ढेरों बधाइयां...
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उधर लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन और साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में ब्लॉग जगत के एक बहुत ही मशहूर ब्लॉगर श्री अलबेला खत्री जी का सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसकी पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं.
आप सबका हम सफ़र;
उधर लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन और साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में ब्लॉग जगत के एक बहुत ही मशहूर ब्लॉगर श्री अलबेला खत्री जी का सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसकी पूरी रिपोर्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं.
आप सबका हम सफ़र;
सलीम ख़ान
संयोजक
लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन
सबसे पहले तो रविन्द्र जी को बहुत बहुत बधाई !
वैसे अच्छा ही हुआ जो महफूज़ ने ख़ुद इस्तीफ़ा दे दिया; वैसे भी वह फलां ब्रिगेड आदि आदि में इतना व्यस्त थे की अपना घर ही भूल गए थे और एसोशियेशन की मर्यादा भी. अच्छा हुआ उन्हें खुस एहसास हुआ और उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया.
बहुत बहुत बधाई !
रविन्द्र जी बहुत अच्छे इन्सान है औरतो के प्रति इनकी सोच बहुत अच्छी है .ऐसे लोगो को ही ऐसे पदों पर रहना चाहिए .
बहुत बहुत बधाई !
ऐसे लोगो को ऐसे पदों पर रहना चाहिए,रविन्द्र जी को बहुत बहुत बधाई !
रवींद्र जी को बहुत बहुत बधाई, हमारा मंच उनके मार्गदर्शन में और भी ऊँचाइयों तक पहुंचे यही कामना है.
रेखा जी मेरी भी यही दुआ है, धन्यवाद !!!
एजाज़ भाई, आप नाहक इलज़ाम लगा रहे हैं, आपको अच्छी तरह से मालूम होना चाहिए कि कोई किसी को न तो रोक सकता है न ही किसी कार्य के लिए बाध्य ही कर सकता है. महफूज़ भाई को जो सही लगा उन्होंने किया और हम उनके फ़ैसले का सम्मान करते हैं !!!
भाई....पहली बात तो मुझे यही नहीं पता था ... कि मैं ऐसे किसी अस्सोसिअशन का अध्यक्ष भी हूँ.... ना ही किसी ऐसी मीटिंग में मुझे अध्यक्ष चुना गया था.... ना ही पहले ऐसी कोई मीटिंग हुई हो...जिसमें मैं अध्यक्ष चुना गया हूँ... यह तो मुझे पता ही नहीं चला था ... वो तो मुझे LBA के ब्लॉग से ही अभी पांच-छः दिन पहले पता चला ....तो मैंने भाई सोचा ...कि इससे इस्तीफा ही दे दिया जाए.... कम से कम सलीम भाई...आपको मुझसे फोन कर के पूछ तो लेना चाहिए था.... यह पोस्ट डालने से पहले.... मेरा लेवल और कद आप भी जानते हैं.... (घमंड).... और यहाँ लोग मुझे फलां फलां ब्रिगेड से जोड़ रहे हैं.... क्या मेरा यह लेवल है....? यहाँ मर्यादा की बात हो रही है...कौन सी मर्यादा की? ज़रा मुझे मर्यादा बताया जाए....या अगर कोई भी ब्लॉग पर .... मेरे शहर में, मेरे कालोनी में यह कह देगा कि मैंने किसी मर्यादा का उल्लंघन किया है.... तो जो भी हार जाऊं.... अगर मुझ से किसी को खुन्नस है तो सामने आ कर बोले.... खुन्नस उतारना मुझे बहत्त अच्छे से आता है.... बिना मुझे जाने-समझे मेरे बारे में ना लिखा जाए....(गुज़ारिश).... मैं तो वैसे भी ख़ुद को बहुत नालायक/नाचीज़ मानता हूँ.... जब LBA के ब्लॉग पर यह लिखा देखा कि मैं इसका अध्यक्ष हूँ.... और मुझे ही पता नहीं है... ना ही किसी ने मुझे इसकी कभी कोई सूचना दी.... तो मैं भैया ख़ुद ही दूर हो गया.... फिर भी यह सोचने वाली बात है.... कि मेरे जैसे को इस्तीफा देने कि ज़रूरत पड़ी....? अब मैंने किसको इस्तीफा दिया है यह तो मुझे भी नहीं पता.... अगर किसी को पता हो तो मुझे बताये प्लीज़.... LBA कोई अस्सोस्यिशन भी है यह भी मुझे नहीं पता..... इसको तो मैं group of people समझता था.... यह तो अभी कुछ दिन पहले ही पता चला कि यह कोई अस्सोसियेशन भी है और मैं इसका अध्यक्ष भी हूँ.... :) अच्छा...ऐसी कौन सी आफत आ गई यार....कि आपातकालीन बैठक बुलानी पड़ी...? क्या GDP में कमी आ गई थी? या फिर National Income घट गई? या फिर Amartya Sen की Famine Theory बंगलादेश में फेल हो गई? या फिर शशि थरूर ने फिर कुछ कह दिया? अरे भाई... सही सही लिख देते की "चूंकि ...श्री./जनाब//आदरणीय/अति-सम्मानित/अति-प्रख्यात/घमंडी/हैंडसम(इसमें तो कोई शक नहीं है ना...)/सुरेश चिपलूनकर का चमचा/भगवा ब्रिगेड का मुल्ला झंडाबरदार/ महफूज़ अली जी को पता ही नहीं था कि वो LBA के अध्यक्ष भी थे...इसलिए वो टाटा बाय-बाय कर गए हैं....
दरअसल मेरा नाम पारस का पत्थर हो गया है... और कुछ नहीं....
ऐसा कोई दिन नहीं होता है... जिस दिन मेरी रविन्द्र जी से बात ना होती हो.... आज भी हुई सुबह .... अगर पता होता मुझे उन्हें बधाई ज़रूर देता.... फिलहाल रविन्द्र जी को इस मंच से बहुत बहुत बधाई.... उनसे तो रोज़ ही फोन पर बात होती है... अभी उन्हें फोन पर भी बधाई दिए देते हैं...
फालतू में सब गुस्सा दिलाते हैं.... बिना मतलब में.... हाँ! नहीं तो.....
चलें अब कुछ काम-धाम करें.... बहुत कुछ पेंडिंग पडा है... टाइम ही नहीं मिलता है....नेटियाने, कमेंटियाने और ब्लोगियाने का .....
रवीन्द्र जी को बहुत बहुत बधाई!आशा है उनकी सदारत में लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन सक्रियता और सार्थकता की नयी उंचाईयां छुएगा !
Mahfooj Bhai pl contol
अर्ज़ है
सच्चाई छुप नहीं सकती ब्रिगेड वालों के चाहने से
कि टेंशन जा नहीं सकती बिना डिस्प्रीन खाने से
WAH WAH WAH WAH
महफूज़ तो खुद ही अपने शब्दों में फंस गए, आईये देखते हैं उनकी ही टिपण्णी के कुछ अंश
पहली बात तो मुझे यही नहीं पता था ... कि मैं ऐसे किसी अस्सोसिअशन का अध्यक्ष भी हूँ
ना ही किसी ऐसी मीटिंग में मुझे अध्यक्ष चुना गया था.... ना ही पहले ऐसी कोई मीटिंग हुई हो...जिसमें मैं अध्यक्ष चुना गया हूँ... यह तो मुझे पता ही नहीं चला था ... वो तो मुझे LBA के ब्लॉग से ही अभी पांच-छः दिन पहले पता चला ....तो मैंने भाई सोचा ...कि इससे इस्तीफा ही दे दिया जाए....
अरे बाबा जब आपको पता ही नहीं था तो फ़िर आपने इस्तीफ़ा क्यूँ दिया और इस्तीफ़ा देने की क्या आवश्यकता पड़ गयी.... क्या यूपी वालों के सिंगे लगी हैं जो ब्रिगेड वालों के लिए इतनी दूर चले गए मगर यूपी वालों से मिले भी नहीं... बने रहते अध्यक्ष क्या बिगड़ जाता... अरे नहीं नहीं दर-असल कभी कभी एहसास हो ही जाता है.. इस के चलते ही महफूज़ ने इस्तीफ़ा दे दिया होगा...
अगर सवाल ये है कि सलीम भाई को पोस्ट लिखने से पहले फ़ोन करके पूछ लेना चाहिए तो सवाल ये भी तो हो सकता है कि इस्तीफ़ा देने से पहले भी तो महफूज़ फ़ोन से पूछ सकते थे????????????????????????????????????????????????
रविन्द्र व्यास जी ढेरों बधाइयां...
रवीन्द्र प्रभात जी को हार्दिक शुभकामनाएं और महफ़ूज़ अली को भी…। सदी के महानतम ब्लॉगर "सलीम खान" के मार्गदर्शन, निर्देशन और संयोजकत्व में लखनऊ ब्लॉगर असोसिएशन बहुत तरक्की करेगा…। :)
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सुमन जी से सवाल क्यों निकाली भैया जी टिप्पणी वैसे लिखा होगा न ”नाइस”
रविन्द्र जी को हार्दिक शुभ कामनायें
सुरेश जी से सहमत
जिन्दगी का जब कर हिसाब किताब देखा
लड़ाई झगड़े के बिन कुछ ना जनाब देखा
वो नहीं करते बात दंगा फसादों की,
जिन्होंने झुलसता हुआ दिल्ली पंजाब देखा।
अमन की गूँज गूँजे चारों ओर
हैप्पी ने तो बस इतना सा ख्वाब देखा
रविन्द्र प्रभात जी को बधाई,
महफ़ूज भाई को भी शुभकामनायें,
@ again,again,again,again and again:-
भाई, नाराजगी है तो भी थोड़ा इत्मीनान से कह लो, जो कहना है।
दम ले लो घड़ी भर,
सोच लो फ़िर तसल्ली से लिख लो,
ऐसी भी क्या जल्दी है, आते हो, जाते हो बार-बार।
थक जाओगे यार।
दुशमनी में क्या रखा है?
CONGRATULATIONS.
आपकी POST की चर्चा यहाँ भी की गई है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_6838.html
रवींद्र जी को बहुत बहुत बधाई!
रवीन्द्र प्रभात जी को लखनऊ ब्लॉगर्स असोसिएशन का अध्यक्ष मनोनीत होने पर बहुत बहुत मुबारकबाद! उम्मीद है कि उनकी अध्यक्षता में यह असोसिएशन और भी अधिक प्रगति करेगी.
Ezaj Ahmad Idreesi ji badhiya shaayar hain. Waah! Kya sher kaha hai.
Badhai.
shukriya benami jee
अच्छा किया । मगर ऐजाज़ अहमद जली रस्सी जी काहे इतना उछ्ला कूदी किए पड़े हैं ? ये तो बहुत पुराने बिल्ली के गू हैं न लीपने के और न पोतने के।
गू नहीं गूगल
सच्चाई छुप नहीं सकती ब्रिगेड वालों के चाहने से
कि टेंशन जा नहीं सकती बिना डिस्प्रीन खाने से
इस युग की सर्वोत्तम कविता इसे किधर छापा जाये सभी सोच रहे हैं
हा हा हा एज़ाज़ भाई मज़ाहिया शायर हैं..?
एजाज जी,आप अल बी ऐ परवकता है,कया ...चलो महफूज भी अपने है,आप बाल की खाल कयो निकाल रहे है,रवीनदर जि को बधाई....