माँ को शब्दों में व्यक्त करूं
इतने मुझमें ज़ज्बात नहीं,
भाषा, स्याही और कलम की भी
विश्वास है ए औकात नहीं,
मेरी माँ क्या है मेरे लिए
लिखना ही हास्यास्पद होगा
माँ साक्षात् खुद ईश्वर है
कोई ईश्वरीय सौगात नहीं,
गोपालजी
मां शब्द एक खूबसूरत एहसास है
abhee tak padhee gayee posts me, ye kavita " Maa" ka arth bataane me saarthak rahee
Greatest expression :)
thanks a lot :)
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भाई इसीलिये तो प्रार्थना करते हैं:- "पुत्र कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि माता कुमात न भवति" सुन्दर रचना।
सभी को मात् दिवस की बधाई. कविता गागर मे सागर है. बहुत खूब......