जन्म मिले यदि...(श्याम सवैया छंद )
(१)
जन्म मिले यदि मानव का, तौ भारत भूमि वही अनुरागी।
पुत्र बड़े नेता का बनूँ , निज खातिर देश की चिंता हो त्यागी।
पाहन ऊंचे मौल सजूँ, नित माया के दर्शन पाऊँ सुभागी।
जो पशु हों तौ श्वान वही, मिले कोठी ओ कार रहूँ बडभागी ।
काठ बनूँ तो बनूँ कुरसी,मिलि जाए मुराद मिले मन माँगी ।
श्याम जिसे ठुकराऊं , मिले या फांसी या जेल, सदा को हो दागी।
(२)
वाहन हों तौ हीरो होंडा , चलें बाल-युवा सबही सुखराशी।
वास रहे दिल्ली बेंगलूर , न चाहूँ अयोध्या , मथुरा न काशी।
नौकरी प्रथम क्लास मिले, हो सत्ता के मद में चूर नशा सी।
पत्नी मिले जो संभाले दोऊ ,घर- नौकरी बात न टाले जरासी।
श्याम मिले बंगला-गाडी, ओर दान दहेज़ प्रचुर धनराशी।
जो कवि हों तौ बसों लखनऊ , हर्षाये गीत-अगीत विधा सी॥
जो पशु हों तौ श्वान वही, मिले कोठी ओ कार रहूँ बडभागी ।
काठ बनूँ तो बनूँ कुरसी,मिलि जाए मुराद मिले मन माँगी ।
Bahut sundar !
pehla doosra ek doosre se ekdam bhinn...pehle me to raashtr bhakti...doosre me haasya waah bahut sundar...
क्या बात है। सुंदर ...
हिंदी ब्लागिंग को आप और ऊंचाई तक पहुंचाएं, यही कामना है।
लखनऊ ब्लागर एसोसिएशन के सदस्यों को यहां पधारने का निमंत्रण दे रही हूं -
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