हादसे गवाह हैं, कि औरतें हमेशा आदमी पर भारी पड़ी हैं,
मनवा के रही हैं अपनी जिद, ज़ब वो मनवाने पर अड़ी हैं,
हमने जितने भी पुराण, इतिहास आदि बांचे हैं,
यही देखा है कि देवता, राजा, प्रजा
चाहे जिस उत्तम कुल के हों स्त्री के इशारों नाचे हैं,
राम को वन भेजने का बीड़ा एक स्त्री ने ही उठाया था,
और अपने हठ के चक्कर में
अपनी इज्ज़त के साथ-साथ अपने पति तक को गंवाया था,
अंधे क़ी औलाद को अंधा कहने का दर्प
स्त्री के ही दिल में आया था,
उसके इस गुरूर ने उसको और उसके पतियों को
जंगल-जंगल नचाया था,
ऐ तो भगवत कृपा थी जो भारी सभा में
उसकी साड़ी उतरने से बच गयी,
लेकिन उसकी जिद भाइयों के युद्ध का
एक दुर्दांत वृतांत रच गयी,
काश इन स्त्रियों क़ी मति न मारी जाती,
तो व्यास और तुलसी क़ी इतनी स्याही न व्यर्थ जाती,
लड़ाई मारकाट के छंदों क़ी जगह मस्त पोप गीत लिखते,
और उतरती उम्र के लोंगों क़ी जगह
जवां दिलों में दिखते,
मुझे विश्वास है क़ी कलयुग, द्वापर, त्रेता
चाहे जितने युग आयेंगे,
चिर स्त्री-युग के चरणों में शीश झुकाएंगे,
आदमी ऊपर से चाहे जितना निडर दिखता है,
पर दूर कहीं उसके दिल में स्त्री का डर जरूर दिखता है ,
घर संसार हो या राज-पाट
स्त्री को जो लोग अपने करतब से मोहेंगे,
वही सेज और सत्ता में सोहेंगे,
हमने जितने भी पुराण, इतिहास आदि बांचे हैं,
यही देखा है कि देवता, राजा, प्रजा
चाहे जिस उत्तम कुल के हों स्त्री के इशारों नाचे हैं,
राम को वन भेजने का बीड़ा एक स्त्री ने ही उठाया था,
और अपने हठ के चक्कर में
अपनी इज्ज़त के साथ-साथ अपने पति तक को गंवाया था,
अंधे क़ी औलाद को अंधा कहने का दर्प
स्त्री के ही दिल में आया था,
उसके इस गुरूर ने उसको और उसके पतियों को
जंगल-जंगल नचाया था,
ऐ तो भगवत कृपा थी जो भारी सभा में
उसकी साड़ी उतरने से बच गयी,
लेकिन उसकी जिद भाइयों के युद्ध का
एक दुर्दांत वृतांत रच गयी,
काश इन स्त्रियों क़ी मति न मारी जाती,
तो व्यास और तुलसी क़ी इतनी स्याही न व्यर्थ जाती,
लड़ाई मारकाट के छंदों क़ी जगह मस्त पोप गीत लिखते,
और उतरती उम्र के लोंगों क़ी जगह
जवां दिलों में दिखते,
मुझे विश्वास है क़ी कलयुग, द्वापर, त्रेता
चाहे जितने युग आयेंगे,
चिर स्त्री-युग के चरणों में शीश झुकाएंगे,
आदमी ऊपर से चाहे जितना निडर दिखता है,
पर दूर कहीं उसके दिल में स्त्री का डर जरूर दिखता है ,
घर संसार हो या राज-पाट
स्त्री को जो लोग अपने करतब से मोहेंगे,
वही सेज और सत्ता में सोहेंगे,
गोपालजी
10000% correct hai
bilkul sahi
janhit me jaari ...
naari hai atyachaari ...
majaak me kaha hai , baat ko seriously mat lena
:):)
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