आंसुओं की शमशीरों से ये जंग न जीती जाएगी
लफ़्ज़ ए मुजाहिद लिखना होगा झंडों पर दस्तारों पर
शब्दार्थ - अश्क - आंसू , शमशीर - तलवार ,
मुजाहिद - सत्य के लिए जानतोड़ संघर्ष करने वाला , दस्तार - पगड़ी
भाई एजाज़ साहब के लिए एक फ़रमान बशक्ले इल्तेजा यह है कि आइन्दा आप बहन फ़िरदौस के बारे में ख़ामोशी इख्तियार करें या फिर उनका तज़्करा ख़ैर के साथ करें । उनके साथ गुफ़्त ओ शुनीद के लिए हम लखनवी अख्लाक़ से मुज़य्यन जनाब सलीम ख़ान साहब को काफ़ी समझते हैं । कोई भी एजाज़ लफ़्ज़ों के जज़ीरे की शहज़ादी और हमारी मुश्तरका इज़्ज़त को मजरूह करने का मजाज़ हरगिज़ हरगिज़ नहीं है ।
भाई.... Request as an order होगा.... articles का यूज़ वोवेल्स से पहले होता है..... इसलिए an होगा .... कुछ ऐसा ही इन भाई साहब से मेरे लिए भी कह देते....कल इसने मेरी तुलना.... शराब से की थी..... मन तो किया कि इन्हें कुछ कहूँ (गाली)..... पर अपना लेवल ध्यान में आ जाता है....
बहुत अच्छी सीख, गजब उर्दू का प्रयोग, वाह
भाई महफ़ूज़ ! आपके आने से हम आज हुए महज़ूज़ । ऐसी ग़लतियां हम रोज़ करना चाहेंगे ताकि आप जैसी हरदिल अज़ीज़ शख्सियत से ज्ञान भी प्राप्त होता रहे और माशा अल्लाह आपकी तो सूरत देखकर ही दिल को क़रार आ जाता है । आज दो पोस्ट करनी हैं । अभी तक अपने ब्लॉग पर पोस्ट नहीं डाल पाया हूं । प्रूफ़ करेक्शन के बग़ैर ही फटाफट लेख डाल दिया । आपको संबंधित विषय पर भी अपनी प्यारी सी शक्ल जैसे प्यारे विचार ज़रूर रखने चाहिए थे । इस ग़लती को मैं आपकी पहली आमद की निशानी के बतौर ऐसे ही क़ायम रखूंगा । इससे बाद वालों को भी आपकी टिप्पणी की सार्थकता का पता चलता रहेगा ।
आपसे बारम्बार आमद की दरख्वास्त है ।
इदरीसी के लिये वाकई लखनवी अख्लाक़ से मुज़य्यन जनाब सलीम ख़ान साहब काफ़ी हैं, कुछ समझ होगी तो आज की आप चेतावनी से बाज आ जायेगा अन्यथा भुगतेगा, किसी को फिरदौस जी बारे में शंका हो तो देखे उनकी वेब पर
بلبیرسنگھ: سابق صدر، شیو سینا یوتھ ونگ کی اسلام قبول کرکے ماسٹر محمد عامرہونے کی کہانی خود اُن کی زبانی
http://www.starnewsagency.in/2010/03/blog-post_7006.html
बाबरी मस्जिद के विध्वंसकारी बलबीर सिंह उर्फ़ मुहम्मद आमिर से मुलाक़ात
http://www.starnewsagency.in/2009/12/blog-post_9346.html
शुक्रिया!
हर इंसान को अपनी बात कहने का हक है...अगर आप किसी की बात से सहमत नहीं हैं तो सभ्य तरीक़े से अपनी बात रख सकते हैं... गरिमा के साथ... इंसान के शब्द, उसका बर्ताव उसकी परवरिश, उसकी तहज़ीब और उसके अख़लाक़ को बयां करता है...
किसी को भी किसी भी व्यक्ति अथवा धर्म विशेष पर कुछ भी गलत कहने का हक नहीं है. हमारा प्यारा मज़हब इस बात की बिलकुल इजाज़त नहीं देता है, की हम किसी की बेईज्ज़ती करें. हुजुर (स.) का इरशाद है (अर्थ की व्याख्या) की जिसने भी किसी की इज्ज़त को महफूज़ किया और जिसने किसी के बुरे शब्दों का अच्छे अखलाक से जवाब दिया, उस व्यक्ति की जन्नत की ज़िम्मेदारी स्वयं आप (स.) के ऊपर है.
फिरदौस खान जी के समर्थन में आप सभी को देख कर अच्छा लग रहा है . जहाँ एक तरफ ब्लॉग जगत आपसी लट्ठबाजी में लगे हैं वहां इस तरह की मध्यस्तता के लिए आप सभी को साधुवाद ........ इस देश में सभी को तबतक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है जब तक कि आपके लिखे या बोले गये शब्दों से किसी व्यक्ति की निजता, राष्ट्रीय एकता और समरसता , देश की संप्रभुता , आदि भंग ना हो लेकिन कुछ लोग इस स्वतंत्रता का मतलब स्वच्छंदता समझ बैठे हैं ! अधिकार की दुहाई देते समय ऐसे लोग ख्याल रखें कि उसके साथ कर्तव्य भी जुडा हुआ है देश और समाज के प्रति . इसीलिए बहन , फिरदौस के साथ किसी तरह के अपशब्द का प्रयोग बेहद निंदनीय है .................
यही है असली हिन्दुस्तान और इसकी गंगा-जमुनी तहज़ीब. एक अच्छी पहल में सभी भाई साथ हैं. हमेशा ऐसे ही रहना. आमीन
deri se aane ke liye maazrat... insha ALLAH sab theek ho janene ki ummed ke saath ALLAH se ham dua karte hain ki ham apne farz aur farzo ko bakhubi samjhen...
Saleem Khan
9838659380
sabhi bloger bhai ek dusre ki izzat kare, sabke samman me hi sabka samman nihit hai.
Harish singh 7860754250..8081886778