ब्लॉगर बन बन के मिले मुझको मिटाने वाले
मैने देखे हैं कई 'एसोशिएशन' बदलने वाले
न्होंने चुप रहके सितम और भी ढाया मुझपरउ
उनसे अच्छे हैं मेरे ब्लॉग पे गरियाने वाले
मैं तो इखलाक़ (नैतिकता) के हाथों ही बिका करता हूँ
और होंगे तेरी ....वाणी पे बिकने वाले
आखिरी दौर पे सलाम-ए-ब्लॉग-ए-मुस्तर लेलो
फिर ना लौटेंगे शब-ए-हिज्र-ए-ब्लॉग पे रोनेवाले
ब्लॉग जगत भी सियासत से नहीं बच पाया?
बहुत खूब कहा है !
बेहतरीन :-)
बहुत khoob!