पत्रकारिता के लिए अपने परिवार को दावं पर लगा दिया (आपबीती आज हम पेश कर रहे हैं , देहरादून के एक स्ट्रिंगर संजीव शर्मा की व्यथा . कहते हैं की ज़िंदगी इम्तिहान लेती है , लेकिन मैं कहता हूँ की हम पत्रकारों से पत्रकारिता इम्तिहान लेती है . संजीव शर्मा से भी उसकी पत्रकारिता ने इम्तिहान लिया और वे किस तरह से अपने परिवार को दावं पर लगा कर इस इम्तिहान में पास हुए . हमारा दावा है की आप भी संजीव शर्मा की आपबीती पढ़ कर हिल जायेंगे.) देहरादून के स्ट्रिंगर संजीव शर्मा की आपबीती मंगलवार 22-12-2009 मीडिया मंच मुझे आज भी वो दिन अच्छी तरह याद है, मैं एक न्यूज़ एजेन्सी मैं काम करता था। मेरी प्यास,भूख, नींद सब खबर ही थी। पुलिसवालों से मेरी शुरू से ही नहीं बनती थी। हाँ इंटेलिजेंस ब्यूरो के कुछ लोगो से दोस्ती थी। मुझे उनसे खबर मिली थी कि हिमाचल मैं कुछ महिला दलाल हिमाचली बालाओं को खरीदने आ रही है। यह खबर इंटेलिजेंस ब्यूरो को उनके उस खबरी ने दे थी, जो खुद उन महिलाओं के लिए कुछ दिन तक काम करता आ रहा था। उन महिलाओं ने उसे कुछ पैसे भी दिए थे मकसद था, हिमाचल प्रदेश की उन कम उम्र कि लड़कियों को हुस्न के बाज़ार मैं उतारना जिन्होंने कभी सेक्स नहीं किया हो, वो महिला दलाल मुँह मांगे पैसे देने के लिए तेयार थी। मुझे आशिक अली नाम के इन्फोर्मेर ने साफ़ कहा- सर मैंने खुद उन महिलाओं से पैसे लिए है लेकिन अब मेरा ज़मीर जाग चुका है क्योंकि मैं खुद किसी का भाई हूँ और पिता भी -हो सकता है कि कल वो महिलाएं मेरी बेटी को भी इस पेशे मैं उतारें इसलिए सर मैं उन्हें सलाखों के अन्दर पहुँचाना चाहता हूँ। मुझे उस इन्फोर्मेर कि बात में दम नज़र आने लगा था यह सच है। मैंने अपने न्यूज़ डेस्क को इन्फोर्म कर दिया था। पहले न्यूज़ प्रोड्यूसर टाल मटोल करने लगे लेकिन मैं भी नहीं माना। यहाँ तक कि मेरी बहस तक हुई। मुझे कुछ नज़र नहीं आ रहा था। मैं किसी भी हालत में उन महिला दलालों को बेनकाब करना चाहता था। लेकिन आसान यह काम भी नहीं था। हार कर मुझे न्यूज़ शूट के लिए इजाज़त मिल ही गयी। मैंने सबसे पहले उन दलालों के फ़ोन नंबर का पता लगाया। एक दिन आशिक अली ने मेरी बात उन दलालों से यह कहकर करवाई कि मैं हिमाचल का सबसे बड़ा दलाल हूँ। पहले उन महिलाओं ने मुझ से ठीक तरीकेसे बात नहीं की, लेकिन कुछ दिनों के बाद उनका फ़ोन आया और उन्होंने कहा कितना माल है तुम्हारे पास? मुझे यह समझते हुआ देर नहीं लगी कि माल का मतलब क्या है? मैंने कहा हर तरह का माल मौजूद है बस बोली लगाओ यहाँ आकर। उन्होंने कहा कि हम जल्द आएंगे यहाँ मेरी परेशानी बड़ते जा रही थी क्योंकि अब लड़किया कहाँ से लाता और फिर वो हुआ जो मैं चाहता भी था, और नहीं भी। मुझे एक दिन फिर दलालों का देहरादून से फ़ोन आया। मुझसे कहा गया कि माल तैयार रखना। घटिया माल नहीं चलेगा। फ्रेश की जरुरत है। ये सुनकर मेरे खून में आग लग गयी। मन मेंखुद को भी कोसता था कि क्या मैं इन महिलाओं को बेनकाब कर पाउँगा? एक दिन फिर फ़ोन आया इस बार दलाल मेरे शहर से सिर्फ चंद किलोमीटर की दूरी पर थे।इस बार फिर वही बोल, मुझे कहा गया एक दिन के अन्दर एक दर्ज़न लड़कियोंकी जरुरत है। मेरे पास कोई भी विकल्प नहीं था। दूसरी तरफ न्यूज़ एजेन्सी का डंडा। उन्हें किसी भी कीमत पर खबर की जरुरत थी। फिर चैनल के लिए स्ट्रिंगर कि औकात क्या होती है? यह मेरे स्ट्रिंगर भाई भी सही तरीके से जानते हैं। खबर न भेजने का मतलब था कि रिपोर्टर ने पैसे निगल लिए हैं। वैसे मेरे लिए यह खबर स्वाभिमान कि लडाई भी थी। मैं साबित करना चाहता था कि किस तरह एक स्ट्रिंगर अपने स�िर पर कफ़न बांधकर जंग में उतरता है। यह जानने के बावजूद कि कब उसे दूध मैं मक्खी कि तरह निकाल कर फेंका जायेगा। मेरे सामने एक ही विकल्प था, उन नाबालिग़ मासूम लड़कियों को बचा सकूँ,जिन्हेंहुस्न की मंडी मैं नीलाम करनेकीतैयारीहोरहीथी।मैंने उन दलालों के आने से पहले फैक्ट्री मैं काम करने वाली कई महिलाओं से बात की और कहा क्या वो मेरा साथ देंगी, लेकिन किसी ने भी मुझे भरोसा नहीं दिलाया। मुझे हैरानी इस बात की थी जिन महिलाओं से मैं मदद मांगना चाहता था वो कह रही थीं कि आप हमारे साथ कुछ भी करें हमे मंज़ूर है लेकिन हम पुलिस के पचडे में नहीं पड़ना चाहते। दूसरी तरफ महिला दलाल भी आने वाली थी। सवाल यह था में उनके सामने किन लडकियों को पेश करता। समाज स�ुधारने का बीडा तो यहाँ पर मैंने ही उठाया था। लेकिन किसी ने मेरे मदद नहीं की।मैंयहाँ मदद मांग जरूर रहा था लेकिन मदद का मोहताज़ बिल्कुल नहीं था। में अच्छी तरह जानता हूँ कि खुदा भी उसकी मदद करता है जो खुद की मदद करता है। थक हारकर मैं अपने घर पहुंचा। काफी परेशान था। दूसरी तरफ डेस्क से फ़ोन पर फ़ोन, मुझसे जब मेरे घरवालों ने परेशानी का कारण पूछा तो आँखों से अश्क झलक आए।मैं घर में फूट-फूट कर रोया क्योंकि मैं कुछ नहीं कर पा रहा था। अपनी समस्या डेस्क को नहीं बता सकता था क्योंकि उन्हें समस्या नहीं बल्कि समाधान चाहिए था। मेरी बहन की उम्र उस समय 16 साल थी। उसने मुझे कहा भइया में उन महिला दलालों को बेनकाब करवाउंगी। एक बात को उसने बड़े जोर से कहा कि भइया मेरे नाटक करने से अगर वो दलाल आपके जाल में फंस जाते है तो कम से कम बाकी नाबालिग़ लड़कियों की जान तो बच जायेगी। कम से हम किसी को हुस्न की मंडी में जाने से तो वो बच जाएंगी। मुझे अपनी बहनकी बात पहले बुरी लगी लेकिन उसकी बात में उन लड़कियों के लिया दर्द भी छिपा था, जिन्हें हुस्न की मंडी के दरिन्दे फांसकर ले जाते है और बेच देते हैं। मेरी बहन मुझसे छोटी है लेकिन उसकी बात मेरी सोच से भी ऊँची थी। मैंने उसकी बात मान ली एक बार फिर मुझे दलालों का फ़ोन आया और बोला कि हमे लेने एक चौक पर आ जाओ मैंने अपनी गाडी उठाई और निकल पड़ा मिशन पर। दो नेपाल मूल की महिला दलाल बेसब्री से इंतज़ार कर रही थीं। हम तीन लोग उन महिलाओं के पास गए मेरे दो और दोस्त थे वो लोग भी फर्जी दलाल बने थे हम बड़े प्यार से उन महिलाओं को अपने घर ले गए। वहाँ पर मैंने पहले से ही स्पाई कैम लगा रखाथा। मैंने अपनी बहन से उन दोनों दलालों को मिला भी दिया। मेरे सामने उन दलालों ने मेरे बहन से वो सवाल पूछे जो में बयाँ नहीं कर सकता।मैं अन्दर ही अन्दर रो रहा था। हारकर मैं उन महिला दलालों के बीच से उठ गया।मैं वो सवाल बर्दाश्त नहीं कर सकता था। वो पूछ रही थी मेरी बहन से ..... मेरी सिस्टर ने ऐसा जाल बिछाया कि वो दलाल फंस चुकी थी। उन्होंने एक-एक करके अपने राज़ खोले और कहा बड़े-बड़े बिल्डर्स और बड़े-बड़े बाबू और कई बार तो नेता भी हमसे लड़की की डिमांड करते हैं। हिमाचल की लड़कियोंकी ज्यादा डिमांड है। लेकिन हमे 15 साल से 18 साल तक की जरुरत है जिनके दाम सही मिल जाते हैं। हमारे पास एडवांस बुकिंग रहती है है। हम हर महिला को 1000रुपये हर दिन देते हैं। जिनके साथ भी वो एक रात जाएगी उसका ६०० रुपये हर आदमी से अलग से मिलेंगे। यहाँ यह भी कहा गया कि अभी भी एक दर्ज़न से ज्यादा लड़किया हमारे पेशे में जुडी हैं। यह सारी बातें हमारे कैमरे में रिकॉर्ड हो रही थीं। चार घंटे के इस शूट में हुस्न के मंडी के कई सनसनीखेज राज खुल चुके थे। हम तीनो फर्जी दलालों में से एक मेरा दोस्त पुलिस को सारी बात बताने चला गया ताकि उन महिलाओं की गिरफ्तारी हो सके। इधर दलाल हमारे जाल में फंस चुकी थी और अब दलालों ने एडवांस पेमेंट दे दी थी और वो मेरी सिस्टर को अपने साथ हिमाचल से देहरादून लेकर जा रहे थे, तभी मेरे घर से सिर्फ एक किलोमीटर दूरी पर पुलिस ने आरोपी दलाल महिलाओं को हिरासत में ले लिया। रिपोर्टर होने के साथ मेरा यह फ़र्ज़ भी था हम चाहते तो सिर्फ खबर दिखाते लेकिन हमने उन दलाल महिलाओं को जेल पहुंचा दिया। इस तरह हमने सच को सामने रखा। मुझे कभी कभी लगता है किअपनी बहन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिएथा। लेकिन यह सच है किअगर हमारा मिशन पूरा नहीं होता तो दर्ज़नों लडकियां आज भी जिस्म के बाज़ार में लुट रही होती। आज मेरी बहन की शादी हो चुकी है और एक बच्ची की माँ भी है। यह खुलासा हिमाचल पत्रकारिता के इतिहास का पहला स्टिंग ऑपरेशन था। अगले दिन हर न्यूज़पेपर की खबर में पहले पन्ने पर हम थे। शायद ही किसी रिपोर्टर ने कभी अपने पेशे के लिए अपने परिवार को दांव पर लगाया हो। हमने भी सिर्फ इसलिए अपना कदम पीछे नहीं किया क्योंकि मेरा पेशा ही मेरा जूनून था। मैंने कई खुलासे किये लेकिन एक चैनल के लिए स्टिंगर यूज एंड थ्रो से ज्यादा कुछ नहीं। मैं आज उस चैनल मैं नहीं हूँ। मुझे भी मक्खी की तरह दूध से निकल कर फेंक दिया गया।सिर्फ इसलिए क्योंकिमैं एक मिशन मैं फेल हो गयाथा। लेकिन आज मैं ताल ठोंक कर कह सकता हूँ कि मैं असल जिंदगी में पास हूँ और रहूँगा। बेईमानी...चाटुकारिता...चापलूसी....मेरे खून मैं नहीं हैं। जिस दिन आएगी उस दिन मीडिया को अलविदा कहदूंगा। आज मैं एक अच्छे चैनल मैं हूँ। खुद से ज्यादा मुझे आपनी टीम पर भरोसा है। बस उस खुदा ये ही दुआ है किऊंचाई तक पहुँचाना जरूर, लेकिन ज़मीन से दूर भी ना करना। जो कुछ मेरे साथ मेरे चैनल ने उस दौरान किया, मैं कभी अपने स्टिंगर के साथ न ऐसा न कर सकूँ। (स�रोकारी पत्रकारिता में यकीन रखने वाले स�ंजीव शर्मा आजकल वॉयस ऑफ नेशन, देहरादून में कार्यरत हैं।( यह आलेख हमने उनके ब्लॉग स�े स�ाभार लिया है.संजीव शर्मा से आप उनके मेल आई डी mediasanjeev@gmail.com के जरिये संपर्क कर सकते हैं . उनका मोबाइल नंबर -09720164142 है )
पत्रकारिता वास्तव में समाज सेवा है, यदि एक पत्रकार यह ठान ले तो समाज की बुराइयों को काफी हद तक दूर कर सकता है किन्तु एक पत्रकार पत्रकारिता के लिए अपने परिवार को दावं पर लगा सकता है शायद हाँ और यही कर दिखाया पत्रकार संजीव शर्मा ने, उनके संघर्ष की कहानी जानने के बाद आपके भी रोंगटे खड़े हो जायेंगे. संजीव शर्मा के संघर्ष की गाथा मैंने www .mediamanch .com से लिया है.
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