
सपने जिनकी नींव हैं और लेखनी जिनकी ताक़त .....जो सपनों की दुनिया में कोमलता ढूँढती हैं और हकीक़त कविता के रूप में सामने आ जाती है .... इनका मानना है कि सपनों की दुनिया मन की कोमलता को बरकरार रखती है...हर सुबह चिड़ियों का मधुर कलरव - नई शुरूआत की ताकत के संग इनके मन-आँगन में उतरा...ख़ामोश परिवेश में सार्थक शब्दों का जन्म होता रहा और ये अबाध गति से बढती गईं और यह एक और सौभाग्य कि आज यहाँ हैं....अपने सपने, अपने आकाश, अपने वजूद के साथ!
जानते हैं कौन हैं वो ?
वो हैं रश्मि प्रभा
इन्हें ब्लोगोत्सव-२०१० की टीम ने वर्ष की श्रेष्ठ कवियित्री का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ।
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हिंदी चिट्ठाजगत में सक्रीय एक ऐसा कवि जो 20 वीं शताब्दी के आठवें दशक में अपने पहले ही कविता संग्रह 'रास्ते के बीच' से चर्चित हुए ! जो 38 वर्ष की ही आयु में 'रास्ते के बीच' और 'खुली आँखों में आकाश' जैसी अपनी मौलिक कृतियों पर 'सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड' जैसा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार पाने वाले पहले कवि बने । जिनका जीवन निरंतर संघर्षमय रहा है। जो 11 वीं कक्षा के बाद से ही आजीविका के लिए काम करते हुए शिक्षा पूरी की। जो 17-18 वर्षों तक दूरदर्शन के विविध कार्यक्रमों का संचालन किया और 1994 से 1997 में भारत की ओर से दक्षिण कोरिया में अतिथि आचार्य के रूप में भेजे गए, जहाँ साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उन्होंने कीर्तिमान स्थापित किए।
जानते हैं कौन हैं वो ?
वे हैं डा. दिविक रमेश
जिन्हें ब्लोगोत्सव की टीम ने इस बार वर्ष के श्रेष्ठ कवि का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है ...!
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सितारों की महफ़िल में आज रश्मि प्रभासितारों की महफ़िल में आज श्री दिविक रमेश
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