भारत बंद से किसी का भला नहीं होने वाला. और न ही इस तरह के बेहूदा क़िस्म के अंद-बंद सरकार को बदल सकते हैं. मैंने विवेक रस्तोगी से सहमत हूँ इस बात पर कि भारत बंद से कोई भला होने वाला है. अगर आपको वाक़ई बदलना है तो उन नीतियों और नियमों को जड़ से उखाड़ फेंकने वाला संविधान अमल में लायें जिसने ज़रा भी लोच न हो. शून्य% अथवा 100% के पैमाने पर कार्य करे ! आज की तारीख़ में एक दुधिया आप के घर जब ढूध देने आता है तो कहता है "बहन जी, पानी वाल ढूध 26 रुपये लीटर है और शुद्ध दूध 35 रुपये है? अब आप क्या समझते है अगर समझ में आ सके तो समझने की कोशिश ज़रूर कीजियेगा !
एक तो वह दूधवाला आपसे सीना तान के कहता है कि मैं पानी मिला हुआ ढूध बेचता हूँ और आपको अगर शुद्ध दूध लेना है तो दीजिये ज़्यादा पैसे! कुछ इसी तरह से अपने महान देश भारत की अर्थव्यवस्था चल रही है. बेईमानी, घूसखोरी, भ्रष्टचार और दोगली नीति से परिपूर्ण अर्थव्यस्था!
अगर आपको इन सबसे निजात पानी है तो अपनाईये सर्वोच्च क़िस्म की मानसिकता, बदले में पाईये सर्वोच्च क़िस्म की व्यवस्था !!! अर्थात जो शून्य% अथवा 100% के पैमाने पर कार्य करे!!!
सलीम ख़ान
9838659380
bahut kathin hai dagar panghat ki..
बोस गलत नीतियों का विरोध तो करना पड़ेगा न....