दर-असल होता यूँ है कि हम भारतवासी भेंडचाल चलने में दुनियाँ में सबसे आगे है और इसी की परिणतिस्वरुप हमारे देश ने कई मर्तबा गहरी चोटें अपने शरीर के अलग अलग अंगों पर खाईं हैं. फ़िर चाहे वह देश के बंटवारे की बात हो या गुजरात दंगों की, अयोध्या में बाबरी मस्जिद के शहीद होने की या सिख दंगों की. हम आज इस विषय पर चर्चा नहीं करेंगे कि देश विभाजन के कौन ज़िम्मेदार था हालाँकि कि उस वक़्त जिन मानसिकता के लोगों की वजह से असल में देश का विभाजन हुआ वही आज भी सीना तान के असली देश भक्त होने का स्वांग करते आ रहे हैं लेकिन विगत कुछ वर्षों से उनका चेहरा भी बेनक़ाब होता आ रहा है.
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं संघ परिवार की जो कि संघ-परिवार न रह कर आतंक-परिवार हो गया है. हम देखते आ रहे हैं कि किस तरह से संघ परिवार और इसके अंग व कारिंदे किस तरह से देश को बर्बाद करने पर तुले हुए हैं. पहले भी और आज भी वे दावा करते आ रहे हैं कि वे ही हैं जो देश बल्कि दुनियाँ में हिन्दू हितैषी हैं और कोई नहीं. श्रीराम, श्रीराम का नारा लगाने वाले क्या वास्तव में उनके बताये मार्ग पर चल रहे हैं? नहीं ! आस्था का ढोंग दिखाकर आम हिन्दू जनता के मन में इस आतंक-परिवार ने जो विष बो दिया है, वह बहुत मुश्किल से ही अब धुल पायेगा. लगभग सभी बम विस्फ़ोट में मुस्लिम लोग लगातार गिरफ्तार होते आ रहे हों लेकिन बाद में पता चल रहा है कि वे जो गिरफ्तार हुए मुस्लिम हैं, निर्दोष हैं...सबसे बड़ा उदहारण पुणे के तौक़ीर का है. फ़िर उधर मक्का मस्जिद, मालेगाँव विस्फ़ोट, अजमेर दरगाह पर संघ परिवार के हाँथ होने का आरोप लग चुका है. इलाहाबाद और कानपुर में बम बनाते संघी आतंकवादियों की संलिप्तता से हम क्या आशय लगायेंगे? वे साध्वी प्रज्ञा को वे किस आधार अपना आदर्श मानने लगे हैं जबकि मैं और मेरे जैसे मुस्लिम न तो कसाब के समर्थन में हैं और न ही इस तरह की गतिविधियों के हिमायती!
उधर संघ-परिवार अर्थात आतंक-परिवार जो कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना देख रहा है और इस ओर आम हिन्दू जनता को बरगला कर अपनी रोटी सेंक रहा है तो इसके पीछे उसकी नियत साफ़ नज़र आ रही है और वह नियत है सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलमानों और इस्लाम को बदनाम करना. अगर हम ठन्डे दिमाग से सोंचे तो क्या वास्तव में सिर्फ़ मुसलमान और इस्लाम ही बदनाम हो रहा है? क्या आरएसएस और उसके अंगों का यह दुष्कृत्य भारत देश को बदनाम नहीं कर रहा है. क्या भारत देश की इज्ज़त लूट कर हिन्दू राष्ट्र बनाने की मुहीम देशभक्तों की मुहीम कही जायेगी? क्या भारत देश के बेगुनाह नागरिकों को मारकर हिन्दू राष्ट्र बनाने की मुहीम देशभक्तों की मुहीम कही जायेगे? हरगिज़ नहीं ये देशभक्त नहीं है ये देशद्रोही है! एक तरफ़ भारत को अपनी माँ तक कहते हैं दुसरी तरफ़ उसी माँ की दुसरी औलादों से वे नफ़रत करते हैं, उन्हें मार डालने और बाहर खदेड़ने की बात करते हैं!
हेमंत करकरे की बीवी ने अपने घर से नरेंद्र मोदी को क्यूँ वापस कर दिया? क्यूँ उन्होंने एक करोड़ रुपये की सहायता लेने से इन्कार कर दिया. हम महाराष्ट्र के पूर्व आईजी पुलिस एस एम् मुशरिफ की पुस्तक को अनदेखा कर सकते हैं जिसमें हेमंत करकरे की हत्या हिन्दू आतंकवादियों द्वारा किये जाने की बात कहीं गयी है. मालेगांव और अजमेर दरगाह धमाकों का मुख्य आरोपी सुनील जोशी, संघ परिवार के प्रमुख मोहन भागवत के सर्वाधिक निकट सहयोगी इन्द्रेश कुमार का प्रमुख शिष्य था. तो क्या संघ परिवार के मुखिया या इन्द्रेश कुमार को इसकी जानकारी नहीं होगी? उधर हेडलाइंस टूडे के स्टिंग ऑपरेशन में यह बात सामने आ ही गयी कि मालेगांव और अजमेर दरगाह धमाकों के मुख्य आरोपी सुनील जोशी ने इन्द्रेश कुमार के दिशा निर्देश पर ही उक्त विस्फ़ोट किये. हम सभी जानते हैं कि सुनील जोशी संघ परिवार का वो आतंकवादी था जिस पर मक्का मस्जिद पर विस्फ़ोट करके 17 लोगों को मारने और अजमेर दरगाह में धमाका करके दो लोगों को मारने का आरोप है. उधर अब देवेन्द्र कुमार अजमेर बम धमाकों का प्रमुख अभियुक्त है. अजमेर धमाके के तुरंत बाद सुनील जोशी की हत्या कर दी गयी थी वह जेल में बंद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का करीबी भी था.
पुणे भगवा आतंक का गढ़ बन कर सामने आ चुका है और वहाँ हिन्दू आतकवाद की जड़ें बरगद की जड़ों से भी कि गुना ज़्यादा अपने पैर पसार चुकी है. पुणे के वाडिया कॉलेज के कैमिस्ट्री प्रोफ़ेसर ही बम बनाने के मास्टरमाइंड साबित हुए. मैंने अपने पिछले लेख "आरएसएस और संघ परिवार के अंगों को कौन आतंकवादी बना रहा है" में लिखा था कि सरकारी तंत्र और ऊँचे ओहदों में इस तरह की मानसिकता के लोग अपनी जड़ें मज़बूत कर रहे हैं जो कि देश के हित में कतई नहीं है.
अभी तक पढ़ने पर आपको यह लग रहा होगा कि मैं हिन्दू हितैषी तत्वों का चेहरा बेनक़ाब करके कोई ख़ुशी हासिल कर रहे होऊंगा और हिन्दू आतंकवाद को बेनक़ाब करके प्रसन्नता के गोते लगा रहे होऊंगा तो यह सरासर ग़लत सोच है. हम संघ परिवार से सवाल करना चाहते हैं कि वह अपनी मानसिकता को इतना संकुचित क्यूँ रखे हुए है जिसके निशाने पर सिर्फ़ मुसलमान ही हैं. हमें याद है अभी भी जिस तरह से हमें बचपन में बताया गया था कि किस तरह से हिन्दू और मुसलमान ने मिलकर इस देश को आज़ाद कराया.
आज जब बाल ठाकरे जैसा व्यक्ति यह कहता है कि अब समय आ गया है कि हिन्दू आतंकवादी होने चाहिए और हिन्दू आतंकवादी दस्ते भी तैयार किये जाने चाहिए! तो पता चलता है कि भारत देश का क़ानून उस जैसे रसूखदार का बाल भी बांका नहीं कर पा रहा है!!!
लेकिन हमें रोष होता है कि क्यूँ महात्मा गांधी जैसे अहिंसा के पुजारी को मार दिया जाता है? क्यूँ हेमंत करकरे जैसे जांबाज़ देशभक्त को मार दिया जाता है? क्यूँ मुफ्ती अबुल बशर को आतंकवादी बता कर जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया जाता है? क्यूँ जामिया मिल्लिया के बेगुनाह छात्रों आतिफ और साजिद को साजिशन आतंकवादी बता कर मार दिया जाता है? क्यूँ सोहराबुद्दीन जैसे भारतीय मुस्लिम को मार दिया जाता है? क्यूँ इशरत को आतंकवादी बता कर फ़र्ज़ी एकन्कोउन्टर में मार दिया जाता है?
क्यूँ? क्यूँ? क्यूँ?
आख़िर में मैं बस इतना कहना चाहता हूँ जब बम जब फटता है तो वह यह नहीं देखता कि मरने वाला हिन्दू है या मुसलमान, सिख है या ईसाई, बौधिस्ट है या जैनी, बहाई है या पारसी. क्या वाक़ई ऐसा होता है कि बम इन्सान की ज़ात देख कर फटता है? वो तो बस फट जाता है और निर्दोषों को अपना शिकार बना डालता है. हम चाहे किसी भी मानसिकता के हिमायती हों इस तरह के किये गए कृत्य को जब तक नकारेंगे नहीं, अमन क़ायम नहीं हो सकता. हमें यह समझना होगा की अगर हम दुसरे धर्मों के इन्सान का खून बहते हैं तो आख़िर कार सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसानियत का खून होता है.
-सलीम ख़ान
आप कहते हैं तो कमेन्ट दे देता हूँ. ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ पर देशभक्ति कि बात करने वालों को सांप्रदायिक और धर्मान्धता दिखाने वालों को अल्पसंख्यक कहा जाता है. संघ परिवार एकमात्र ऐसा संगठन है जिसकी विचारधारा कि बुनियाद सिर्फ और सिर्फ देशभक्ति है और जो कोई भी देश के साथ गद्दारी करता है संघ कि विचारधारा उसके खिलाफ जाती है. संघ से किसी को खतरा नहीं है खतरा है तो सिर्फ उन लोगों को जो धर्म को राष्ट्र से ऊपर देखते हैं.
आज तक संघ ने देश से गददारी ही की है यह बात जगजाहिर है
bahut achha
thora late read kar raha hu ye meri galti h
saleem saab aapka jawab nahi
me aapka lekh www.crimebureau.in k liye lena chahta hu plese
anumati de
aapka aabhari
Ahtsham tyagi