मैं आज दोपहर जेट एयरवेज़ के ऑफिस टिकेट के सिलसिले में गया था. जेट एयरवेज़ का ऑफिस लखनऊ सिविल हॉस्पिटल पार्क रोड के सामने एक बिल्डिंग में है. मैं अपनी गाड़ी पार्क करके जैसे ही अन्दर की तरफ़ जाने लगा मुझे वहाँ एक औरत बुरी हालत में नज़र आयी. उसके कपड़े अस्तव्यस्त थे, उसके शरीर पे ढेर सारी मक्खियाँ भिनभीना रही थी शायेद उसने शौच वहीँ पर कर दिया था. मैंने आवाज़ लगी लेकिन वह जैसे सुन ही न सकी. शायेद वह भूखी होगी क्यूंकि जैसे लग रहा था कि उसके शरीर में जान ही नहीं है. मैंने इधर उधर देखा कोई नहीं था. थोड़ी दूर पे एक फल विक्रेता पर मेरी नज़र पड़ी और मैंने उस भिखारिन और भूखी औरत के बारे में तज़किरा किया तो उसने बताया, "साब! ये तो रोज़ ही इधर टहलती है, भीख मांगती है और शायेद गाँजा-वाँजा भी पीती है!" मैंने कहा, "तुम लोग यहाँ के लोकल हो क्यूँ नहीं कुछ करते? "कोई फायेदा नहीं, यहाँ ऐसे बहुत से हैं, किस किस को देखेंगे!"
मैंने सोचा कि लखनऊ में दर्जनों ऐसी संस्थान होंगे जो बेसहारा, मज़लूम या भिखारियों की दशा सुधारने वास्ते काम ज़रूर करते होंगे फ़िर उन लोगों को ये सब क्यूँ नहीं दिखता. हर चौराहे पे, सड़क के किनारे पार्कों के पास, मजारों और मंदिरों के सामने ये मिलते हैं लेकिन इनके लिए कोई संस्था क्यूँ नहीं आगे आती है!? ख़ैर ऐसे कई सवाल मेरे मन में आये....
फ़िर मैंने वही पास में ठेले से एक बन्द-मक्खन लेकर से दिया लेकिन बहुत देर बाद भी उसने नहीं खाया. मैं लखनऊ ब्लॉगर्स असोसियेशन के सदस्यों और पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि जो भी इस क्षेत्र से जुड़ा हो वह इस तरह की ख़बर को उन लोगों के कानों तक पहुँचाये जो सक्षम हैं... प्लीज़ !!!
bhai aap batayen ki mai madad kaise kar sakta hun, aur mai koshish karunga ki au logono se bhi madad krwa sanku
मैं भी मदद के लिए तैयार हूँ...... अच्छा कदम है.
हमें अवश्य ही मदद करनी चाहिए, इससे पहले की हमें स्वयं ही मदद की आवश्यकता पड़े.
Just kill her....problam over...I dont understand why these people getting marry and making children for nothing.