कभी वो अपना था अब पराया क्यूँ है?
सन्नाटा भीड़ में इतना समाया क्यूँ है?
साथ जियेंगे साथ मरेंगे की क़समें खाकर
बाद मरने के फ़िर वो मेहंदी लगाया क्यूँ है?
क्या मिलूं मैं अब उनसे ऐ दिल तू ही बता
मोहब्बत करके चोट दिल पे लगाया क्यूँ है?
ज़िन्दगी क्या है ये जानने के लिए "सलीम"
मैंने बारहां मौत को गले लगाया क्यूँ हैं?
bahut khoob, is kyon ke jabaav khojane ke liye hi insaan jeeta rahata hai aur usako milta kuchh bhi nahin hai.
इन सवालों के जवाब मिल जाए तो ज़िन्दगी कितनी आसान होगी ...उम्दा प्रस्तुति !
bahut hi bhavamayi post........
-अच्छी गज़ल--सुन्दर भाव हैं, पर--
वो मेहंदी लगाया
चोट दिल पे लगाया क्यूँ है?
---वर्तनी की अशुद्दिया हैं,
त्रुटी की और ध्यान दिलाने का शुक्रिया... यक़ीनन मैं इसमें सुधार अवश्य लाऊंगा, बल्कि मुझे थोडा अध्ययन भी करना चाहिए कि कैसे एक बेहतर ग़ज़ल निर्मित हो सके. अभी मैं सिर्फ भावनाओं के सहारे ये लिखता हूँ....!!!
@DR. SHYAM GUPTA JEE त्रुटी की और ध्यान दिलाने का शुक्रिया... यक़ीनन मैं इसमें सुधार अवश्य लाऊंगा, बल्कि मुझे थोडा अध्ययन भी करना चाहिए कि कैसे एक बेहतर ग़ज़ल निर्मित हो सके. अभी मैं सिर्फ भावनाओं के सहारे ये लिखता हूँ....!!!
न्यवाद , अन्यथा न लेने के लिये।