तमन्ना जीने की फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
यूँ मरने की हसरत फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
उमंग उड़ने की फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
तरंग मचलने की फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
धड़कन उसी तरह उछल उठी बल्लियों ऊपर
थी जैसे बरसों पहले वो मचल उठी मेरे दिल में
खुश हुआ मैं एक अच्छे मुस्तक़बिल की आस में
है फ़िर क्यूँ वो एक लहर-सी उठी मेरे दिल में?
प्यार पाने के लिए मैंने क्या-क्या न किया 'सलीम'
आरज़ूयें किश्तों में फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
प्यार पाने के लिए मैंने क्या-क्या न किया 'सलीम'
आरज़ूयें किश्तों में फ़िर से जाग उठी मेरे दिल में
salim bhai pahle ki tarah hi khubsurat rachna. dhanybad.
बहुत सही जारहे है---बढिया गज़ल---यहांऊपर के दोनों शेर मतले हैं,दूसरे मतले को -हुश्ने मतला या स्वर्णिम मतला कहते हैं जो गज़ल की खूबसूरती को बढाता है।---नाम बाला मक्ते का शेर भी है।...बधाई.
badhia gazal hai janaab salim sahab
shukriya dr. sahab !
@amir-ehsas jee au masum jee aapka shukriya !!!