'गर तुम्हें मुझसे मोहब्बत हो तो सुनो...
मोहब्बत की आग ऐसी भी हो सकती है
कि समाजों की रस्में भी टूट सकती है
तुम इन रस्मों को निभाने के लिए ही आ जाओ !
इश्क़ में कभी ना कभी ऐसे दिन भी आ सकते हैं
कि चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हमारी तक़दीर बदलने के लिए ही आ जाओ !
सन्नाटे में भी एक शोर सुनाई दे सकता है
कि मुझको सिर्फ़ तू ही दिखाई दे सकता है
तुम मेरे इस भरम को रखने के लिए ही आ जाओ !
लाख अँधेरे में भी उम्मीद की लौ जल सकती है
मायूसी की रात में भी चाँदनी नज़र आ सकती है
तुम इन मायूसी को मिटाने के लिए ही आ जाओ !
लेकिन अब तुम जो आना तो सिर्फ़ मेरे लिए ही आओ
मुझ को अपने आगोश में सिर्फ़ लेने के लिए ही आओ !
सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए ना आओ
सिर्फ़ मुझपर एहसान जताने लिए ना आओ !
'गर मुझसे मोहब्बत ना हो तो ना आओ
सिर्फ़ अपनी रस्म निभाने के लिए ना आओ !
'गर तुम्हें मोहब्बत ना हो तो ना आओ !!
सुन्दर शब्द रचना ।
वाह क्या खूब कहा है………………।बहुत सुन्दर भाव्।
Ati Sundar , Aaj Laga ki Saleem Khan Saheb Ne likha Hai, Aaj To Bilkul Sahad ki tarah lag raha hai.
NICE
NICE
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NICE
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सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए ना आओ
सिर्फ़ मुझपर एहसान जताने लिए ना आओ !
'गर मुझसे मोहब्बत ना हो तो ना आओ
सिर्फ़ अपनी रस्म निभाने के लिए ना आओ !
क्या खूब कहा है
dabirnews.blogspot.com
apane bhavon ko bahut sundar shabdon men abhivyakt kiya hai aur ek bebak nirna lene ka nyota bhi diya hai.
सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए ना आओ
सिर्फ़ मुझपर एहसान जताने लिए ना आओ !
'गर मुझसे मोहब्बत ना हो तो ना आओ
सिर्फ़ अपनी रस्म निभाने के लिए ना आओ !
सलीम भाई, आप वाक़ई एक हर-फ़न मौला व्यक्तित्व के स्वामी हैं. एक तरफ जहाँ आपके तीखे तेवर स्वच्छ सन्देश पर देखने को मिलतें है वहीँ दुसरी तरह आपके ह्रदय के इस नरम पहलू को भी उजागर करता है.
आप ने यह एसोशियेशन बनाया जिसके बाद से ही एशोशिएशन की संज्ञा ब्लॉग-जगत में आम होनी शुरू हुई.
अब आपकी इस रचना के लिए
हयात के साथ चलो, कायनात के साथ चलो
चलना ही है अगर तो सभी के साथ चलो
सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए ना आओ
सिर्फ़ मुझपर एहसान जताने लिए ना आओ !
'गर मुझसे मोहब्बत ना हो तो ना आओ
सिर्फ़ अपनी रस्म निभाने के लिए ना आओ !
@sada ji aapka bahut bahut shukriya.
@vandana ji aapka bahut bahut shukriya.
are waah tarkeshwar ji aapka bhi bahut bahut shukriya.
@Tausif Bhai aur Ejaz bhai aapka shukriya!
very nice
magar tum ek aatankwadi hi ho. aisa karke tum kuchh bhi sabit nahin kar sakte.
शुद्ध मोहब्बत की यही परिभाषा हो सकती है, एक सार्थक दिशा निर्देशित रचना. बधाई.
सिर्फ़ दुनिया को दिखाने के लिए ना आओ
सिर्फ़ मुझपर एहसान जताने लिए ना आओ !
'गर मुझसे मोहब्बत ना हो तो ना आओ
सिर्फ़ अपनी रस्म निभाने के लिए ना आओ !
'गर तुम्हें मोहब्बत ना हो तो ना आओ !
bahut khoob.
बेनामी जी ज़रा सामने तो आईये. फिर आपको बढ़िया जवाब मिल जाएगा.
bahut khoob आज आवश्यकता है यह विचार करने की के हम हैं कौन?
आप सबको दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाए!